नई दिल्ली। लोकसभा और राज्य विधानसभाओं में महिलाओं के लिए 33% आरक्षण के प्रावधान वाले नारी शक्ति वंदन अधिनियम पर सुप्रीम कोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाया है। कोर्ट ने इस अधिनियम को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई से इनकार कर दिया है।
सुप्रीम कोर्ट ने खारिज की याचिकाएं
सुप्रीम कोर्ट की न्यायमूर्ति बेला एम. त्रिवेदी और न्यायमूर्ति पी.बी. वराले की पीठ ने जया ठाकुर और नेशनल फेडरेशन ऑफ इंडियन वुमेन (NFIDW) की याचिकाओं पर सुनवाई करने से मना कर दिया।
✔ जया ठाकुर की याचिका: अधिनियम की संवैधानिकता को चुनौती दी गई थी।
✔ NFIDW की याचिका: कानून के परिसीमन प्रावधान को असंवैधानिक बताया गया था।
➡️ सुप्रीम कोर्ट ने जया ठाकुर की याचिका को निरर्थक बताकर खारिज कर दिया।
➡️ NFIDW को हाईकोर्ट या किसी अन्य मंच पर जाने की सलाह दी गई।
क्या है नारी शक्ति वंदन अधिनियम?
📅 19 सितंबर 2023 को यह विधेयक लोकसभा में पेश हुआ था।
📅 20 सितंबर 2023 को लोकसभा और 21 सितंबर 2023 को राज्यसभा से पास हुआ।
📅 राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू की मंजूरी के बाद यह कानून बना।
➡️ इस अधिनियम के तहत लोकसभा और राज्य विधानसभाओं में 33% सीटें महिलाओं के लिए आरक्षित होंगी।
➡️ एक तिहाई सीटें अनुसूचित जाति (SC) और अनुसूचित जनजाति (ST) की महिलाओं के लिए आरक्षित की जाएंगी।
कब लागू होगा कानून?
➡️ पहले जनगणना होगी, फिर परिसीमन प्रक्रिया पूरी होगी।
➡️ इन दोनों शर्तों के पूरा होने के बाद ही महिला आरक्षण लागू होगा।
➡️ इसमें कई साल लग सकते हैं, इसलिए 2024 के लोकसभा चुनाव में यह लागू नहीं होगा।
क्या बदलेगा इस कानून से?
📌 लोकसभा में कुल सीटें: 543
📌 वर्तमान महिला सांसद: 82
📌 कानून लागू होने के बाद महिला सांसद: 181
✔ दिल्ली विधानसभा (70 सीटें): 23 सीटें महिलाओं के लिए आरक्षित होंगी।
✔ अन्य राज्यों की विधानसभाओं में भी महिलाओं के लिए 33% आरक्षण लागू होगा।
महिला सशक्तिकरण की दिशा में ऐतिहासिक कदम
➡️ इस कानून से राजनीति में महिलाओं की भागीदारी बढ़ेगी।
➡️ हालांकि, इसे लागू होने में समय लगेगा, क्योंकि पहले जनगणना और परिसीमन की प्रक्रिया पूरी करनी होगी।
Editor In Chief