संविधान ऐसा होना चाहिए जो यमराज को भी मान्य हो: शंकराचार्य निश्चलानंद सरस्वती
रायपुर: पुरी पीठ के शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद सरस्वती छत्तीसगढ़ के दौरे पर रायपुर पहुंचे। एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में उन्होंने संविधान, धर्म और समाज से जुड़े विभिन्न विषयों पर अपने विचार व्यक्त किए।
संविधान पर विचार
शंकराचार्य ने कहा कि देश का संविधान ऐसा होना चाहिए जो यमराज को भी मान्य हो। उन्होंने मनुस्मृति का उदाहरण देते हुए कहा कि यह संविधान लौकिक और परलौकिक दोनों को संतुष्ट कर सकता है। उनका मानना है कि वर्तमान आधुनिक संविधान यमराज को मान्य नहीं है।
प्रदीप मिश्रा पर बयान देने से इंकार
शंकराचार्य ने कथावाचक प्रदीप मिश्रा के विवादित बयान पर टिप्पणी करने से मना कर दिया। उन्होंने कहा, “मैं हर कथावाचक के बयानों की समीक्षा नहीं कर सकता। सुप्रीम कोर्ट से सुलझ न पाने वाले मामले मेरे पास आते हैं। यह समझने की बात है कि आप किससे और कहां सवाल कर रहे हैं।”
हिंदुओं के अस्तित्व पर चिंता
शंकराचार्य ने हिंदू समाज की स्थिति पर चर्चा करते हुए कहा कि सेवा के नाम पर हिंदुओं को अल्पसंख्यक बनाना उनके आदर्शों पर प्रहार है। उन्होंने आरएसएस के पूर्व प्रमुख सुदर्शन जी का जिक्र करते हुए कहा कि वे अक्सर मार्गदर्शन के लिए उनके पास आते थे।
उन्होंने कहा, “हाथी से हल नहीं जोतवाया जाता और शेर को दुर्बल नहीं माना जाता। हिंदुओं की संख्या में कमी उनके पक्ष में नहीं है। शिक्षा, रक्षा, अर्थ और सेवा में संतुलन जरूरी है।”
मातृशक्ति का महत्व
सनातन धर्म में मातृशक्ति को सर्वोपरि बताते हुए शंकराचार्य ने कहा, “माता का स्थान सर्वोच्च है। जगदीश्वर का कान पकड़ने का अधिकार केवल माता को है।”
मोहन भागवत पर टिप्पणी
मोहन भागवत के बयानों पर शंकराचार्य ने कहा, “जो बारह महीने बोलते हैं, वे कुछ भी कह देते हैं। वे आलोचना के नहीं, बल्कि दया के पात्र हैं। उनके पास गुरु, ग्रंथ और गोविंद का बल नहीं है।” उन्होंने कहा कि सभी को शास्त्र सम्मत बातों को मानना चाहिए।
योगी और मोदी पर विचार
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा, “मैं इन्हें पहले से जानता हूं। योगी हिंदू महासभा से आए और मोदी आरएसएस से। जो बात शास्त्र के अनुसार हो, उसे सुनना चाहिए।”
शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद सरस्वती के ये विचार सामाजिक और धार्मिक मुद्दों पर एक गहन दृष्टिकोण प्रस्तुत करते हैं।
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