रेणु जोगी का कांग्रेस में जेसीसीजे के विलय का प्रस्ताव: टीएस सिंहदेव ने जताई असहमति

राजेन्द्र देवांगन
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जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ (जोगी) [जेसीसीजे] की प्रमुख रेणु जोगी ने पार्टी का कांग्रेस में विलय करने की इच्छा जाहिर की है। इसके लिए उन्होंने 18 दिसंबर को पीसीसी अध्यक्ष दीपक बैज को पत्र लिखकर विलय का प्रस्ताव भेजा। इस पत्र में रेणु जोगी के अलावा उनके बेटे अमित जोगी ने भी हस्ताक्षर किए हैं। पत्र में लिखा गया है कि जेसीसीजे कांग्रेस विचारधारा की पार्टी है और पार्टी की कोर कमेटी ने सर्वसम्मति से विलय का निर्णय लिया है।

2016 में अजीत जोगी ने बनाई थी जेसीसीजे

जेसीसीजे की स्थापना छत्तीसगढ़ के पहले मुख्यमंत्री अजीत जोगी ने 21 जून 2016 को की थी। इससे पहले 2014 के अंतागढ़ उपचुनाव में कथित सौदेबाजी का मामला सामने आया, जिसमें अजीत और अमित जोगी पर कांग्रेस प्रत्याशी को हटाने का आरोप लगा। इसके बाद 2016 में कांग्रेस ने अमित जोगी को छह साल के लिए निष्कासित कर दिया। इसके बाद अजीत जोगी ने कांग्रेस छोड़कर अपनी पार्टी बना ली।

2018 में गठबंधन के बावजूद सीमित सफलता

2018 के विधानसभा चुनाव में जेसीसीजे ने मायावती की बहुजन समाज पार्टी (बसपा) के साथ गठबंधन किया। इस चुनाव में जेसीसीजे ने पांच और बसपा ने दो सीटें जीतीं। हालांकि, चुनाव में पार्टी का प्रदर्शन अपेक्षित नहीं रहा।

अजीत जोगी के निधन के बाद कमजोर हुई पार्टी

29 मई 2020 को अजीत जोगी के निधन के बाद पार्टी कमजोर होती चली गई। वरिष्ठ नेता धर्मजीत सिंह जैसे नेताओं ने अमित जोगी पर असहयोगात्मक व्यवहार का आरोप लगाकर पार्टी छोड़ दी। 2023 के विधानसभा चुनाव में पार्टी की हालत इतनी खराब हो गई कि वह सभी 90 सीटों पर उम्मीदवार भी खड़ा नहीं कर पाई।

रेणु जोगी ने जताई कांग्रेस में वापसी की इच्छा

रेणु जोगी ने अपने पत्र में लिखा है कि जेसीसीजे के विलय से कांग्रेस को मजबूती मिलेगी। इसके अलावा, पार्टी के कई बागी नेता भी कांग्रेस में वापसी की कोशिश कर रहे हैं।

टीएस सिंहदेव ने जताई असहमति

पूर्व डिप्टी सीएम टीएस सिंहदेव ने जेसीसीजे के विलय और बागियों की वापसी पर आपत्ति जताई है। उन्होंने कहा, “मैं कभी भी इस विचार के पक्ष में नहीं रहा कि बाहर से आने वालों को सिर या कंधे पर बैठा लिया जाए। जो भी निर्णय लिया जाए, वह स्थानीय कार्यकर्ताओं और नेताओं की सहमति से होना चाहिए।”

कांग्रेस की रणनीति

कांग्रेस के प्रदेश प्रभारी सचिन पायलट ने वापसी के आवेदनों की समीक्षा के लिए एक कमेटी बनाई है। इस कमेटी की रिपोर्ट के आधार पर ही कांग्रेस में विलय और बागियों की वापसी पर अंतिम फैसला लिया जाएगा।

क्या कांग्रेस को होगा फायदा?

राजनीतिक विशेषज्ञ मानते हैं कि जेसीसीजे के कांग्रेस में विलय से वोट प्रतिशत पर प्रभाव पड़ सकता है। हालांकि, यह देखना होगा कि इस फैसले से पार्टी के भीतर खींचतान तो नहीं बढ़ती।

निष्कर्ष

जेसीसीजे के कांग्रेस में विलय और बागियों की वापसी से छत्तीसगढ़ की राजनीति में नया मोड़ आ सकता है। कांग्रेस के लिए यह एक अवसर हो सकता है, लेकिन इस पर सभी पक्षों की सहमति और रणनीतिक समझदारी आवश्यक होगी।

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