डॉ. खुबचंद बघेल स्वास्थ्य योजना का नाम बदलने पर विवाद: समाज के लोगों ने धरना देकर सरकार से फैसला वापस लेने की मांग की

राजेन्द्र देवांगन
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योजना का नाम बदलने पर छत्तीसगढ़ में विरोध प्रदर्शन: समाज के लोगों ने सरकार से फैसला वापस लेने की मांग की

छत्तीसगढ़ शासन द्वारा डॉक्टर खूबचंद बघेल स्वास्थ्य सहायता योजना का नाम बदलकर शहीद वीरनारायण सिंह आयुष्मान स्वास्थ्य योजना किए जाने के खिलाफ प्रदेशभर में विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं। नवा रायपुर के तुंता धरना स्थल पर कुर्मी समाज, सतनामी समाज, धोबी समाज, सेन समाज, साहू समाज, चंद्राकर समाज सहित सर्व छत्तीसगढ़िया समाज के हजारों लोगों ने धरना देकर अपना आक्रोश व्यक्त किया। प्रदर्शनकारियों ने सरकार से योजना का नाम पूर्ववत रखने की मांग करते हुए मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन सौंपा।

डॉ. खूबचंद बघेल के सम्मान की मांग

मनवा कुर्मी क्षत्रिय समाज के केंद्रीय अध्यक्ष खोडस राम कश्यप ने कहा कि डॉक्टर खूबचंद बघेल छत्तीसगढ़ के प्रथम स्वप्नदृष्टा, स्वतंत्रता संग्राम सेनानी और समाज सुधारक थे। उनका नाम हटाया जाना न केवल उनका बल्कि पूरे छत्तीसगढ़िया समाज का अपमान है। उन्होंने सरकार से योजना का नाम फिर से डॉ. खूबचंद बघेल के नाम पर रखने की मांग की।

महिलाओं की बड़ी भागीदारी

प्रदर्शन में बड़ी संख्या में महिलाएं काली साड़ी पहनकर शामिल हुईं। उन्होंने डॉ. बघेल के सम्मान के लिए एकजुट होकर अपनी आवाज बुलंद की। महिलाओं के साथ-साथ बुजुर्ग और युवा भी धरने में बड़ी संख्या में मौजूद रहे।

सड़क पर उतरने की चेतावनी

यशवंत सिंह वर्मा ने कहा कि यह छत्तीसगढ़िया समाज के स्वाभिमान और सम्मान की लड़ाई है। उन्होंने चेतावनी दी कि यदि सरकार जल्द से जल्द योजना का नाम बदलने का फैसला वापस नहीं लेती, तो सर्व छत्तीसगढ़िया समाज सड़कों पर उतरकर आंदोलन करेगा।

ज्ञापन सौंपा गया

प्रदर्शन के अंत में समाज के पदाधिकारियों ने मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन एसडीएम को सौंपा। ज्ञापन में योजना का नाम बदलने के फैसले को तत्काल रद्द करने की मांग की गई।

प्रदेशभर में गूंज रहा विरोध

इस प्रदर्शन में प्रदेशभर से हजारों प्रतिनिधियों ने भाग लिया। सभी ने एक स्वर में कहा कि डॉ. खूबचंद बघेल का नाम छत्तीसगढ़ की अस्मिता और पहचान से जुड़ा हुआ है। इसे बदलना छत्तीसगढ़ के सभी समाजों के सम्मान को ठेस पहुंचाना है।

सरकार पर दबाव बढ़ा

इस विरोध प्रदर्शन ने सरकार पर योजना का नाम बदलने के फैसले को वापस लेने का दबाव बढ़ा दिया है। प्रदर्शनकारियों का कहना है कि यदि उनकी मांगें नहीं मानी गईं, तो आंदोलन और तेज होगा।

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