छत्तीसगढ़ में बादल-बारिश से अचानक ठंड बढ़ गई है।
इससे निमोनिया जैसे संक्रमण बढ़ रहे हैं। इस बीच, वायरल निमोनिया इस बार ज्यादा खतरनाक रूप में नजर आ रहा है। इसे लेकर एक चौंकाने वाले आंकड़े सामने आए हैं।
प्रदेश के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल डॉ. अंबेडकर में पिछले तीन माह में निमोनिया से 37 से ज्यादा मौत हो गई है।
इनमें बुजुर्गो के अलावा कम उम्र के बच्चे और जवान भी हैं। यही नहीं, अंबेडकर अस्पताल के रेस्पीरेटरी आईसीयू में गंभीर स्थिति में 200 से ज्यादा मरीजों को भर्ती किया जा चुका है। एक्सपर्ट की मानें तो निमोनिया के ज्यादातर मरीजों में वायरस की वजह से होने वाले निमोनिया यानी एटिपिकल निमोनिया देखा जा रहा है।
दरअसल, निमोनिया दो तरह से होता है। पहला-बैक्टीरिया की वजह से होता है, जबकि दूसरा वायरस से। इस बार निमोनिया में वायरस के इंफ्केशन के अलावा बैक्टीरिया की वजह से होने वाले निमोनिया का मिश्रित रूप भी देखा जा रहा है। भास्कर एक्सपर्ट – सीवियर मामलों में ऑक्सीजन लेवल और बीपी भी कम हो रहा
आरके पंडा, एचओडी, चेस्ट एंड टीबी विभाग, अंबेडकर अस्पताल
इस बार का निमोनिया जल्दी ठीक नहीं हो रहा है। मरीजों में कई हफ्तों तक इसके लक्षण देखे जा रहे हैं। जाहिर है वायरस का बिहेवियर कुछ अलग ढंग से देखा जा रहा है। इसलिए दवाएं जल्दी असर नहीं कर रही हंै। ऐसे मरीज जो बीच में ही इलाज छोड़ रहे हैं या इलाज में देरी कर रहे हैं, वो बहुत ज्यादा सीवियर स्थिति में पहुंच रहे हैं। निमोनिया से बचाव के लिए जरूरी है कि लोग कोविड के प्रोटोकॉल का पालन करें। निमोनिया के केस इसलिए भी बिगड़ रहे हैं, क्योंकि ज्यादातर लोग इलाज में लापरवाही कर रहे हैं। सर्दी-खांसी-बुखार होने पर घरेलू इलाज कर रहे हैं या फिर बगैर डॉक्टर की सलाह के दवाएं ले रहे हैं।
डॉ. रोशन राठौर, एसोसिएट प्रोफेसर, नेहरू मेडिकल कॉलेज ऐसे मरीज जो सीवियर निमोनिया की स्थिति में पहुंच रहे हैं। उनका ऑक्सीजन लेवल और ब्लड प्रेशर भी तेजी से घटता हुआ देखा जा रहा है। कोविड की दूसरी लहर के बाद जिस तेजी से निमोनिया के मामले में बढ़ोतरी आई थी। उसी तरह की स्थिति अभी भी देखी जा रही है।
कई मरीजों का बीपी और ऑक्सीजन लेवल भी घटने लगता है। सर्दियों में ज्यादातर लोगों का इम्युन सिस्टम मौसम की वजह से कमजोर होने लगता है। इसलिए इस दौरान बैक्टीरिया, वायरस का इंफेक्शन होने पर मरीज तेजी से बीमारी की जद में आता है। कई मरीजों में निमोनिया के साथ स्वाइन फ्लू कुछ एक में कोविड भी मिल रहा है। टीबी के मामले भी बढ़ रहे हैं।
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