छत्तीसगढ़ में गौरा – गौरी तिहार कैसे मनाया जाता है?

राजेन्द्र देवांगन
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Chhattisgarh Goura Gouri Festival :- दोस्तों आज हम आपको छत्तीसगढ़ में मनाये जाने वाले गौरा गौरी तिहार के बारे में बताएँगे. छत्तीसगढ़ में गौरा – गौरी तिहार कब और कैसे मनाया जाता है?

साथ हम आपको यह भी बताएँगे की गौरा – गौरी तिहार मनाने के लिए पूजन सामग्री लिस्ट बताएँगे. छत्तीसगढ़ में गौरा – गौरी बहुत ही धूम – धाम से मनाया जाता है. गौरा – गौरी तिहार हर साल छत्तीसगढ़ में दिवाली के रात मनाया जाता है. अगर आप भी गौरा – गौरी तिहार कैसे मनाया जाता है जनाना क चाहते है तो आपको मेरे इस Chhattisgarh Goura Gouri Festival आर्टिकल को अंत तक पढ़ना पड़ेगा.

गौरा – गौरी तिहार क्या है?

गौरा – गौरी तिहार हर साल छत्तीसगढ़ में दिवाली की रात बहुत ही धूम – धाम से मनाया जाता है. गौरा गौरी तिहार हर साल कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की अमवस्या तिथि की रात मनाया जाता है.

मिटटी से बनी शिव और पार्वती जी के मूर्ति को कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष अमवस्या को स्थापित किया जाता है. इसी दिन शिव गौरी जी का पूजन विधि विधान से किया जाता है.

रात भर शिव और गौरी का विवाह का कीर्तन चलता है गाना बजाना होता है. गोवर्धन पूजा के बाद शिव और गौरी जी की मूर्ति जी का विसर्जन कर दिया जाता है.

गाना गाते हुई महिला एवं पुरुष और बच्चे सभी मिल जुल कर गौरी शिव भवगवान की विसर्जन कर देते है.

छत्तीसगढ़ में गौरा – गौरी तिहार कब मनाया जाता है?

छत्तीसगढ़ में गौरा – गौरी तिहार को बहुत ही धूम – धाम से मनाया जाता है. जिस तिथि को दिवाली मनाया जाता है उसी तिथि की गौरा – गौरी तिहार मनाया जाता है. हर साल गौरा – गौरी तिहार कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की अमवस्या तिथि की रात मनाया जाता है. इसी रात को शिव गौरी की मूर्ति की स्थापना की जाती है और पूजन विधि विधान से किया जाता है और अगले दिन या गोवर्धन पूजा के बाद विसर्जन कर दिया जाता है. सभी लोग आपने अपने घरो में शिव गौरी की मूर्ति की स्थापना कर पूजन करते है और गीत भी गाते है.

छत्तीसगढ़ एक येसा राज्य है जहाँ पर्व एवं त्यौहार बहुत ही धूम – धाम से मनाया जाता है. छत्तीसगढ़ राज्य में अनेको तरह के पर्व एवं त्यौहार मनाया जाता है जिससे लोक कला और संस्कृति के लिए दुनिया भर में प्रसिद्ध है. छत्तीसगढ़ में अनेको त्यौहार मानेने से छत्तीसगढ़ के सभी लोगो को एक जुटता रखता है. जहाँ दुसरे दिवाली के रात राज्य में घर – घर लक्ष्मी और गणेश जी मूर्ति स्थापित कर पूजन की जाता है वही छत्तीसगढ़ में बहुत जगह गौरी और शिव जी मूर्ति स्थापित कर पूजा करते है. गौरा गौरी तिहार 2024 में 1 नवम्बर दिन शुक्रवार के रात मनाया जायेगा. दिवाली के दिन रात को गौरा – गौरी तिहार मनाया जाता है.

छत्तीसगढ़ में गौरा – गौरी तिहार कैसे मनाया जाता है?

छत्तीसगढ़ में गौरा – गौरी तिहार मनाया जाता है. गौरा – गौरी तिहार हर साल कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष अमावस्या के रात मनाया जाता है.गौरा – गौरी तिहार दिवाली की रात बहुत ही धूम – धाम से मनाया जाता है. छत्तीसगढ़ राज्य में गौरा – गौरी तिहारमनाने के लिए तालाब से मिट्टी लेकर आते है उसी मिटटी से शिव और गौरी माता की प्रतिमा यानि की उनकी मूर्ति बनाते है. जो शहर में रहता है वह शिव और गौरी माता की बनाई मूर्ति खरीद कर लाते है. दिवाली के रात शिव पार्वती जी की मूर्ति की स्थापना करते है और विधि अनुशार पूजन करते है. रात भर गाना बजाना होता है शिव और पार्वती जी की विवाह होता है. अगले दिन या गोवर्धन पूजा के बाद शिव और पार्वती जी की मूर्ति लेकर गीत गाते हुवे तालाब में विसर्जन कर दिया जाता है.

गौरा – गौरी तिहार को मानाने के महत्व क्या है?
छत्तीसगढ़ में गौरा गौरी तिहार बहुत ही लगन उत्सव के साथ मनाया जाता है.

गौरा – गौरी तिहार हर साल दीपावली के रात मनाया जाता है.
दीपावली की रात शिव और पार्वती की मूर्ति लाते है और विधि अनुसार पूजा करते है जिससे सभी मनोकमना पूर्ण होती है.
गौरा – गौरी तिहार के दिन महादेव शिव पर्वती जी की पूजा करने से घर की सुख समृधि बनी रहती है
पति पत्नी का रिश्ता मजबूत रहता है शिव पार्वती सौभाग्यवती होने का आशीर्वाद देते है.

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