अमित जोश को विरासत में मिली थी गुंडागर्दी…: 14 साल की उम्र में पहली बार अपराध किया, 21 में हत्या कर दी

राजेन्द्र देवांगन
8 Min Read

दुर्ग जिले के इतिहास में अब तक चार बार पुलिस एनकाउंटर में बदमाश पुलिस की गोली का शिकार हुए।

पहला एनकाउंटर 2001 में हुआ जिसमें अंजोरा में कुख्यात सुखविंदर सिंह को पुलिस ने मार गिराया था।

2005 में बहुचर्चित महादेव महार हत्याकांड के आरोपियों में शामिल

इसके 5 साल बाद जामुल थाना अंतर्गत बोगदा पुलिया के पास नक्सली नागेश व उसकी पत्नी ताराबाई की भी एनकाउंटर में मौत हुई।

इस बार टाउनशिप से लेकर शहर भर में दहशत का पर्याय बन चुका हिस्ट्रीशीटर अमित जोश पुलिस की जवाबी फायरिंग में मारा गया।

हिस्ट्रीशीटर अमित जोश (32 वर्ष) को बदमाशी और गुंडागर्दी विरासत में मिली थी।

पुलिस के मुताबिक उसका पिता आरजी बोल्ड मोरिस भी थाने का लिस्टेड गुंडा बदमाश रहा। इसके अलावा उसकी मां के खिलाफ भी भिलाई नगर थाने में अपराध दर्ज है।

इसके चलते उसने कम उम्र में ही अपराध जगत में प्रवेश कर लिया था। लोगों के बीच अपनी दहशत कायम करने के लिए उसने मारपीट शुरू कर दी। इसके चलते 2005 में 14 साल की उम्र में उसके खिलाफ भिलाई नगर थाने में अपराध दर्ज हुआ।

दूसरा अपराध 4 साल बाद वर्ष 2009 में दर्ज हुआ, लेकिन इसके बाद अमित उर्फ जोश मोरिस अपराध की दुनिया में आगे बढ़ा।

2013 में वह 21 साल का था तब उसके खिलाफ हत्या का प्रकरण दर्ज हुआ था।पिता गुंडा बदमाश तो बेटा उससे भी आगे निकलकर हिस्ट्रीशीटर बन गया पैसों के लिए डरा धमकाकर हफ्ता वसूली करने लगा था अपराध जगत में खुद को बड़ा साबित करने के लिए अमित जोश ने मारपीट छोड़कर लोगों को जान से मारने की नीयत से हमले शुरू कर दिए।

इस बीच एक प्रकरण में पीड़ित की मौत होने पर उस पर हत्या का अपराध दर्ज हुआ। इसके अलावा पैसा कमाने के लिए लोगों को डरा धमकाकर हफ्ता वसूली करता था। लोगों को धमकाना और मारपीट करना उसकी आदत बन गई।

36 अपराधों में सबसे ज्यादा भिलाई नगर में 26 दर्ज हुए अमित जोश के खिलाफ भिलाई, नगर, सुपेला, दुर्ग कोतवाली, पद्मनाभपुर, नेवई व खुर्सीपार थाने में कुल 36 अपराध दर्ज हैं। सबसे ज्यादा 26 प्रकरण भिलाई नगर थाने में दर्ज हैं। सुपेला थाना क्षेत्र में 4, पद्मनाभपुर थाना में 2, नेवई और खुर्सीपार थाने में एक-एक प्रकरण दर्ज है।

कई मामले में अमित को सजा भी हुई, लेकिन उसकी वारदातों का सिलसिला नहीं रुका।36 अपराधों में सबसे ज्यादा भिलाई नगर में 26 दर्ज हुए अमित जोश के खिलाफ भिलाई, नगर, सुपेला, दुर्ग कोतवाली, पद्मनाभपुर, नेवई व खुर्सीपार थाने में कुल 36 अपराध दर्ज हैं। सबसे ज्यादा 26 प्रकरण भिलाई नगर थाने में दर्ज हैं।

सुपेला थाना क्षेत्र में 4, पद्मनाभपुर थाना में 2, नेवई और खुर्सीपार थाने में एक-एक प्रकरण दर्ज है। कई मामले में अमित को सजा भी हुई, लेकिन उसकी वारदातों का सिलसिला नहीं रुका।

महादेव हत्याकांड के आरोपी की तलाश के दौरान हुई मुठभेड़ में गोविंद को गोली लगी थी कारतूस खरीदने दुर्ग आए नक्सल दंपती नागेश और ताराबाई को पुलिस ने मार गिराया था2005 में बहुचर्चित महादेव महार हत्याकांड मामले में गैंगस्टर तपन सरकार (अभी जेल में) समेत अन्य आरोपियों में गोविंद विश्वकर्मा भी शामिल था।

तत्कालीन पुलिस अधिकारियों ने दावा किया था कि आरोपियों की तलाश के दौरान गोविंद के तालपुरी में होने का इनपुट मिला। इसके बाद पुलिस ने घेराबंदी कर उसे पकड़ने की कोशिश की।उसने पुलिस पर फायर किया। इस दौरान वह पुलिस की गोली का शिकार हो गया।

इसी प्रकार 15 अक्टूबर 2010 को जामुल थाना क्षेत्र के अंतर्गत बोगदा पुलिया के पास पुलिस ने नार्थ बस्तर माड़ ज्वाइंट डिविजनल कमेटी के सदस्य नागेश और उसकी पत्नी रावघाट एरिया कमेटी की सदस्य ताराबाई को मार गिराया।उस दौरान पुलिस ने दावा किया था कि नागेश कारतूस की खरीदारी के लिए दुर्ग क्षेत्र में पहुंचा था।

जब पुलिस उसकी तलाश में जामुल के बोगदा पुलिया के पास पहुंची तो आरोपियों ने पुलिस पर फायर शुरू कर दिया। उस दौरान उनके साथ आया तीसरा नक्सली मौके से भागने में कामयाब रहा।आगे क्या- अब हिस्ट्रीशीटर अमित के मददगारों की धरपकड़ का अभियान अमित जोश की मौत के बाद भी केस क्लोज नहीं किया जाएगा।

ये कहना है जिला पुलिस कप्तान जितेंद्र शुक्ला का। उन्होंने कहा कि अमित के एनकाउंटर के साथ यह केस खत्म हो गया, ऐसा नहीं है। फरारी के दौरान आरोपी अमित जोश को 134 दिनों तक पनाह देने वाले और उसका संरक्षण करने वाले लोगों की पुलिस अब धरपकड़ शुरू करेगी। शनिवार को एसपी जितेंद्र शुक्ला ने कंट्रोल रूम में प्रेसवार्ता ली।

इस दौरान हिस्ट्रीशीटर के साथ हुए एनकाउंटर को लेकर पूरी जानकारी दी। उन्होंने कहा कि पिछले चार माह से अमित अलग-अलग जगह छिपकर पुलिस से बच रहा था। संभव है कि इस बीच उसकी मदद करने वाले भी रहे होंगे।हम तो उसे जिंदा पकड़ना चाहते थे अमित जोश पर पुलिस ने 40 हजार के इनाम की घोषणा भी की थी। एसपी जितेन्द्र शुक्ला ने बताया कि गोलीकांड के बाद अमित की लगातार पतासाजी की जा रही थी।

पुलिस उसे जिंदा पकड़ना चाहती थी, इसलिए टीम ने उसे चेतावनी दी, लेकिन वह नहीं माना। इसके बाद पुलिस की जवाबी फायरिंग में वह मारा गया।जीजा भी है निगरानी बदमाश, जमानत पर है अमित ने बहन की शादी एक गुंडे लकी जॉर्ज से करा दी। वह पति के साथ एक बड़े मकान में कब्जा करके रहने लगी।

जब पुलिस ने बीएसपी के साथ मिलकर कब्जे वाले मकानों पर कार्रवाई की उस दौरान बहनोई के घर से एक ‎पिस्टल और दो मैग्जीन में भरा हुआ ‎जिंदा कारतूस बरामद किया था। वह हाल ही में जमानत पर रिहा हुआ है।आठ सहयोगियों को गिरफ्तार कर चुके एएसपी सिटी सुखनंदन राठौर ने बताया कि 26 जून को टाउनशिप में हुए गोलीकांड के बाद पुलिस मामले में सहयोगी डॉगी और पिस्टल सप्लाई करने वाले मुकुल सोना को गिरफ्तार किया जा चुका है।

अंकुर शर्मा, यशवंत नायडू, अमित के जीजा बी. लक्की जार्ज, मां बिज्जी मोरिस और उसके साथी शंकर भाट को पूर्व में ही गिरफ्तार किया था।अमित ने पुलिस को दी थी चेतावनी सीएसपी सत्यप्रकाश तिवारी ने बताया कि जेल में अमित का जेलर से विवाद हो गया।

बाहर आने के बाद उसके घर में जाकर मारपीट कर दी। फरारी के दौरान पुलिस को चैलेंज किया कि पुलिस उसे पैर में ही गोली मारकर पकड़ेगी, लेकिन जब वो जेल से छूटकर बाहर आएगा तो वो उस पुलिस वाले के घर में घुसकर गोली मार देगा।

Share This Article