छत्तीसगढ़ में 131 बीएससी नर्सिंग कॉलेज हैं। इनमें से सभी कॉलेजों को छत्तीसगढ़ नर्सेस रजिस्ट्रेशन काउंसिल से अनुमति है,
लेकिन सबसे बड़ा आश्चर्य है कि सर्वोच्च संस्था इंडियन नर्सिंग काउंसिल (आईएनसी), नई दिल्ली से सिर्फ 80 कॉलेजों को मान्यता है।
शेष 51इधर उधर, कॉलेज प्रबंधन मान्यता के लिए इसलिए आवेदन नहीं करते, क्योंकि वे आईएनसी मापदंडों पर खुद को साबित नहीं कर पाएंगे।
नियमानुसार स्टेट काउंसिल से अनुमति मिलने के 6 महीने के अंदर आईएनसी से मान्यता लेनी है, जो नहीं ली जाती। इन इसे लेकर कॉलेजों से जवाब-तलब होता है।पड़ताल में यह भी सामने आया कि 33 निजी कॉलेज के पास खुद की बिल्डिंग नहीं है, वर्षों से किराए के कमरों में चल रहे हैं।
इनके पास खुद के अस्पताल नहीं है। एक अस्पताल में 4-4, 5-5 कॉलेज संबद्ध हैं। 50 प्रतिशत कॉलेजों में फैकल्टी की भारी कमी है। लैब मानकों पर नहीं है। इतनी कमियों के बावजूद दाखिले की अनुमति जारी हो जाती है। पिछले साल इन्हीं कमियों के चलते 8 कॉलेज को शासन ने दाखिले की अनुमति नहीं।
मगर, 3 माह बाद जारी कर दी।अभ्यर्थियों को छलावे से बचाने डीएमई वेबसाइट पर कॉलेजों की मान्यता, अनुमति की सूची-पिछले साल तक छात्रों को मान्यता और अनुमति में भ्रम होता रहता था। कोई इन्हें स्पष्ट बताता नहीं था या यूं कहें कि कॉलेज भी छात्रों को गुमराह करते थे।
पहली बार संचालनालय चिकित्सा शिक्षा (डीएमई) ने अपनी वेबसाइट पर आईएनसी से मान्यता प्राप्त और छत्तीसगढ़ नर्सेस रजिस्ट्रेशन काउंसिल से अनुमति प्राप्त कॉलेजों की सूची अपलोड की है। इसमें लिखा है कि सूचियों का अवलोकन करके ही छात्र प्रवेश लें।उधर, 5 राउंड काउंसिलिंग के बाद भी बी.एसी. नर्सिंग की 7631 में से 4798 सीटें खाली हैं।
नर्सिंग एसोसिएशन जीरो परसेंटाइल करने के लिए राज्य सरकार और आईएनसी पर दबाव बना रहे हैं। अब देखना यह है कि शासन और आईएनसी क्या निर्णय लेती है। 2015 का गजट नोटिफिकेशन नर्सिंग कॉलेजों की बढ़ती संख्या को देखते हुए विभाग ने एक गजट नोटिफिकेशन जारी किया। इसमें लिखा- रायपुर, दुर्ग व बिलासपुर में नए कॉलेज खोलने की अनुमति नहीं दी जाएगी। मगर, इस गजट नोटिफिकेशन पर अमल नहीं हुआ। सबसे ज्यादा कॉलेज इन्हीं संभागों में खुले।