नाराज परिजनों ने अस्पताल में मचाया जमकर हंगामा।बिलासपुर में सड़क हादसे में घायल युवती ने इलाज के अभाव में दम तोड़ दिया। परिजनों ने बेहतर इलाज की उम्मीद से उसे प्राइवेट अस्पताल में भर्ती किया था। लेकिन, यहां दस दिनों तक कोई डॉक्टर देखने नहीं आया।
उसकी मौत के बाद परिजनों ने इलाज में लापरवाही बरतने का.दरअसल, कोटा क्षेत्र के करगीरोड की रहने वाली साक्षी तिवारी (21) पिता मनोहर तिवारी बीते 23 सितंबर को कोटा के पास सड़क दुर्घटना में घायल हो गई थी, जिस पर परिजन उसे सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र ले गए, जहां से उसे निजी अस्पताल रेफर किया गया। परिजनों ने उसे श्री सांई अस्पताल में भर्ती कराया था।
बुधवार को इलाज के दौरान युवती की इलाज के दौरान मौत हो गई।श्री सांई अस्पताल में भर्ती युवती की मौत के बाद परिजनों ने अस्पताल प्रबंधन पर लगाए गंभीर आरोप।इलाज में लापरवाही का आरोप, जमकर हुआ हंगामाअस्पताल स्टॉफ ने जब युवती की मौत की जानकारी परिजन को दी, तब वो भड़क गए। उनका कहना था कि वह मरने की हालत में नहीं थी।
एक दिन पहले तक बात कर रही थी। फिर ऐसा क्या हुआ कि उसकी जान चली गई। परिजनों ने इलाज में लापरवाही का आरोप लगाते हुए अस्पताल में जमकर हंगामा मचाया। इसकी जानकारी मिलते ही पुलिस मौके पर पहुंच गई। इस दौरान परिजनों को समझाइश देते रहे। वहीं, परिजन मामले में अस्पताल प्रबंधन पर कार्रवाई करने की मांग करते रहे।
सड़क हादसे में घायल हो गई थी युवती।परिजन बोले- 9 दिनों तक देखने नहीं आए डॉक्टरपरिजनों ने बताया कि बीते 24 सितंबर को मरीज को अस्पताल में भर्ती किया था। इस दौरान उन्हें बेहतर उपचार कर दो चार दिन में छुट्टी देने की बात कही गई थी। लेकिन, अस्पताल में भर्ती करने के बाद नर्स और दूसरे स्टॉफ ही इलाज कर रहे थे।
इस दौरान कोई भी डॉक्टर देखने नहीं पहुंचे, जिसके चलते मरीज को सही इलाज नहीं मिल सका और लापरवाही के चलते उनकी बेटी की जान चली गई।युवती के परिजनों को समझाइश देती रही पुलिस।आयुष्मान कार्ड से इलाज, अवैध वसूली का भी आरोपपरिजन ने कहा कि जब घायल युवती को अस्पताल लेकर पहुंचे, तब उन्हें आयुष्मान कार्ड से मुफ्त इलाज की जानकारी दी गई थी।
लेकिन, उन्हें रजिस्ट्रेशन व दवाइयों के नाम पर पहले पैसा जमा करा लिया गया, जिसके बाद 9 दिन तक में इलाज के नाम पर परिजनों से कई किस्तों में लिए 50 हज़ार रुपए जमा कराए। लेकिन, परिजन अपनी बेटी की बेहतर इलाज के नाम पर पैसे जमा करते रहे। इस दौरान अस्पताल प्रबंधन ने जमा की गई राशि का बिल भी नहीं दिया। इस पूरे मामले में अस्पताल प्रबंधन का पक्ष जानने की कोशिश की गई। लेकिन, अस्पताल से डॉक्टर और प्रबंधन गायब मिले।
इलाज के नाम पर अवैध पैसे वसूली करने का भी आरोप।शहर के अस्पतालों में आयुष्मान कार्ड के नाम पर भर्रासाहीदरअसल, शासन ने इलाज सुविधा उपलब्ध कराने के लिए आयुष्मान योजना शुरू की है, जिसके लिए हितग्राहियों को कार्ड उपलब्ध कराया गया है। जिससे मरीजों को किसी भी अस्पताल में मुफ्त में इलाज कराने की सुविधा है। लेकिन, शहर के अस्पतालों में मरीजों को भर्ती कर लिया जाता है। फिर उनसे अलग अलग बहानों से पैसे की वसूली की जाती है। इस तरह से मरीज से नगद पैसे लेने के साथ ही आयुष्मान कार्ड के जरिए शासन से भी पैसे की वसूली कर ली जाती है।
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