केलो नदी किनारे 4000 ग्रामीणों ने किया कोयला खनन: रायगढ़ के पेलमा में 15 वां कोयला सत्याग्रह,ग्रामीण बोले हमारी जमीन के कोयले पर हमारा हो अधिकार

राजेन्द्र देवांगन
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पिछले 15 सालों से तमनार क्षेत्र में कोयला सत्याग्रह चलाया जा रहा हैछत्तीसगढ़ के रायगढ़ में बुधवार को 15 वां कोयला सत्याग्रह हुआ। इसमें तमनार ब्लाॅक के अलावा अन्य तहसील के कई गांव के महिला पुरूष शामिल हुए और अपने हक का कोयला मांगने के लिए केलो नदी के तट किनारे कोयला खनन कर गांव लौटे। सुबह 11 बजे से ग्राम पेलमा में कोयल.सामाजिक कार्यकर्ताओं व ग्रामीणों ने इस दौरान सूचना के अधिकार, पेशा कानून, वन विधियक कानून, ग्राम सभा को लेकर अपना उद्बोधन दिया।

सम्मेलन शाम करीब साढ़े चार बजे तक चला। इसके बाद यहां से सभी लोग कतार में पेलमा गांव के करीब केलो नदी तट के किनारे पहुंचे और कोयला खनन किए। इस दौरान राजेश त्रिपाठी, सविता रथ, हरिहर पटेल, श्याम राठिया, अमृत लाल भगत, कनहाई पटेल, बंधी पटेल, अक्षय नायक सहित हजारों ग्रामीण मौजूद थे।

ग्रामीणों ने कोयला सिर पर रखकर पेलमा गांव पहुंचे और एक जगह इक्ट्ठा किएपहला फावड़ा 80 साल की बुर्जूग महिला ने चलायी केलो नदी के तट के पास पहुंचने के बाद पहला फावड़ा करीब 80 साल की बुर्जूग महिला ने चलायी। इसके बाद सभी ग्रामीण फावड़ा व गैंती से एक-एक टुकड़ा कोयला को निकाला।

कोई हाथ में तो कोई बांस की टोकरी और कोई पत्ता के उपर कोयला का टुकड़ा ले लिया। उसे सभी लेकर वापस सभी पेलमा गांव में पहुंचे। जहां एक जगह सभी कोयला को इक्ट्ठा किया गया।केलो नदी के तट किनारे पहुंचकर ग्रामीणों ने कोयला खनन कियाअक्षय नायक ने लिया सभी कोयला गांव के ग्रामीणों ने बताया कि गांव के करीब केलो नदी से ग्रामीण आधे घंटे में कोयला लेकर लौट आए।

लगभग डेढ़ क्विंटल कोयला इक्ट्ठा हुआ। जिसकी बोली लगी और ग्राम पंचायत को उसका राॅयल्टी देने के बाद उसे एक हजार रूपए में अक्षय नायक ने लिया। जिसके बाद कोयला सत्याग्रह का यहां समापन किया गया।पेलमा गांव के अलावा अन्य गांव के करीब 4000 लोग इस आंदोलन में हुए शामिलइन गांव के ग्रामीण आंदोलन में हुए शामिल कोयला सत्याग्रह को करने के लिए गांधी जयंती यानि 02 अक्टूबर को चूना गया है

और हर साल एक दिन के लिए यह सत्याग्रह किया जाता है। बताया जा रहा है कि आज के इस आंदोलन में पेलमा, उरबा, लालपुर, जरहीडीह, मुड़ागांव, सराईटोला, सरसमाल, गारे, कोड़केल, बांझीखोल, मिलूपारा, झरना, बजरमुड़ा, बरौद, जामपाली, चितवाही, रोढ़ोपाली, भालूमुड़ा, सराईडीपा, ढोलनारा, करवाही सहित 40 से अधिक गांव के लोग इसमें शामिल हुए।

अंहिसात्मक ढंग से कर रहे आंदोलन सामाजिक कार्यकर्ता राजेश त्रिपाठी ने बताया कि महात्मा गांधी ने जिस तरह से नमक पर टैक्स लगने के बाद नमक सत्याग्रह किए थे। उसी के तर्ज पर यहां ग्रामीण पिछले 15 सालों से यहां कोयला सत्याग्रह कर रहे हैं। इस सत्याग्रह के उद्देश्य को लेकर उन्होंने बताया कि क्षेत्र के ग्रामीणों का मानना है कि प्राकृतिक चीजों पर समुदाय का हक होना चाहिए और उसका निर्णय भी क्षेत्र के लोगों तय करना चाहिए।

जिस तरह धान की मंडी में किसान अपना धान बेचते हैं और सरकार उसे लेती है उसी तरह कोयला का भी मंडी हो और जिसकी जमीन पर कोयला है वह अपने क्षेत्र के मंडी में लाए और किसानों को उनका हक मिल सके।जिसकी जमीन पर कोयला, अधिकार भी उसका गांव के किसान अक्षय नायक ने कहा कि हमारी जमीन के अंदर जो खनिज संपदा है उसमें उसी का अधिकार होना चाहिए, जिसकी वह जमीन है।

हम कोयला खनन करेंगे और सरकार हमसे कोयला ले। उन्होंने यह भी कहा कि पिछले 15 साल से कोयला सत्याग्रह किया जा रहा है और जब तक ग्रामीणों की मांग पूरी नहीं होगी, अंहिसात्मक ढंग से आंदोलन करते रहेंगे।सुरक्षा के लिए पुलिस की टीम मौजूद इस संबंध में तमनार थाना प्रभारी आर्शीवाद राहटगांवकर ने बताया कि ग्रामीणों ने कोयला को लेकर आंदोलन किया। इस दौरान पुलिस सुरक्षा के लिहाज से मौजूद थी। पिछले कई सालों से इनका आंदोलन चल रहा है। किसी प्रकार की अप्रिय स्थिति निर्मित नहीं हुई।

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