अब महिलाएं हर क्षेत्र में अपनी योग्यता और क्षमताओं का लोहा मनवा रही हैं। चाहे वह विज्ञान, तकनीक, राजनीति, खेल, कला या किसी और क्षेत्र में हो, महिलाएं नई ऊंचाइयों को छू रही हैं और समाज में महत्वपूर्ण बदलाव ला रही हैं। जंगल की रखवाली और पर्यावरण संरक्षण में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही हैं। इन्हीं में एक वनरक्षक ममता बंजारा भी हैं, जो दिन हो या रात।
बिलासपुर। वनरक्षक ममता बंजारा वर्तमान बिलासपुर वन परिक्षेत्र के सोंठी सर्किल अंतर्गत आने वाले निरतू बीट में पदस्थ हैं। सबसे ताज्जुब की बात यह है कि जंगल की नौकरी उन्होंने विवाह के बाद ज्वाइन की। वर्ष 2013 में जब पोस्टिंग हुई तब वह सामान्य महिला थीं।
कहीं न कहीं मन में इस बात की चिंता थी कि वह वन विभाग की नौकरी कर पाएंगी या नहीं। लेकिन, स्वजन से मिले सहयोग ने उन्हें हिम्मत दी। जैसे- जैसे नौकरी में समय गुजरता गया हिम्मत बढ़ती गई। इसके अलावा जंगल व वन्य प्राणियों के प्रति स्नेह बढ़ता गया।
पुरुष वनकर्मियों की तरह बाइक सिखने की ठानी
नौकरी के शुरुआत में जब कटघोरा में पदस्थ थीं, उस समय पुरुष वनकर्मियों को देखती थी कि वह अपनी बाइक से फील्ड की बेहतर मानिटरिंग करते हैं। उस समय ममता को बाइक चलानी नहीं आती थी। इस वजह से फील्ड में जाने में दिक्कत भी होती थी।
लगातार परेशानी आने के कारण उन्होंने यह ठान लिया कि वह भी पुरुषों की तरह बाइक पर सवार होकर जंगल की सुरक्षा करेगी। उन्होंने एक बाइक भी खरीदी। इस बीच बाइक चलाने में पारंगत करने स्वजन ने मदद की। वह बाइक चलाना सीख गईं। इसके बाद से वह जंगल की सर्चिंग अपनी ही बाइक से करती है।
बाइक पर जंगल के चप्पे-चप्पे की गश्त करती है। इनकी मौजूदगी का ही प्रभाव है कि जिस बीट में वह पदस्थ हैं, वहां वन अपराधी तस्करी तो दूर जंगल के भीतर घुसने तक ताकत नहीं जुटा पाते हैं।
निडर होकर करती है बाइक से जंगल में गस्त
इस बीच वर्ष 2020 में उनका तबादला कटघोरा वनमंडल से बिलासपुर वनमंडल में हुआ। उन्हें निरतू में पदस्थ किया गया। सोंठी सर्किल बिलासपुर वन परिक्षेत्र का संवेदनशील क्षेत्र है। इसके बावजूद वह जरा भी नहीं घबराती और दिन हो दोपहर या फिर रात जब लगता है कि जंगल गश्त करनी चाहिए बिना किसी के सहारे बाइक से गश्त पर निकल पड़ती है। उनकी इस साहस से वन अफसर भी बेहद प्रभावित है। सबसे अच्छी व खास बात यह है कि निरतू में उनकी पोस्टिंग के बाद से एक भी वन अपराध नहीं हुआ है।
डर जाएंगे तो कैसे करेंगे ड्यूटी
ममता का कहना है कि महिलाएं हवाई जहाज, ट्रेन, कार बेझिझक चला रही हैं। इसी से प्रेरित होकर बाइक सीखने की प्रेरणा मिली। लगन थी इसलिए बाइक सीखने में ज्यादा वक्त नहीं लगा। अब तो वह घनघोर जंगल के भीतर भी बाइक से बेधड़क पहुंच जाती हैं।
जब उनसे पूछा गया कि डर नहीं लगता, तब उनका कहना था कि डर जाएंगे तो कैसे ड्यूटी करेंगे। यहां सर्किल प्रभारी से लेकर अन्य अधिकारियों से इतना सहयोग मिलता है कि भय आसपास भी नहीं मंडराता। उनकी एक बच्ची भी है। वह नौकरी के साथ घर का भी विशेष ध्यान रखती हैं।
तीन कक्ष क्रमांक की जिम्मेदारी
वन विभाग में वनरक्षक सबसे महत्वपूर्ण स्टाफ होता है। इन्हीं के भरोसे पूरे जंगल के सुरक्षा की जिम्मेदारी होती है। निरतू बीट के अंतर्गत तीन कक्ष क्रमांक आरएफ 51, 52 व 53 आते हैं। इनमें आरएफ 53 सबसे ज्यादा जंगल व संवेदनशील क्षेत्र है। इन तीनों रिजर्व फारेस्ट की जिम्मेदारी ममला अकेले संभालती हैं।
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