बिलासपुर। 33 साल के विनय साहू (बदला हुआ नाम) कहते हैं कि तंबाकू उत्पादों का सेवन स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है। इसकी जानकारी मुझे तब हुई जब मुझे शारीरिक पीड़ा झेलनी पड़ी, जिसकी वजह से मुझे अस्पताल का लंबा बिल का भुगतान करना पड़ा, दूसरों से उधार लेकर मुझे इलाज करवाना पड़ा। इसी बीच किसी ने मुझे जिला अस्पताल स्थित तंबाकू नशा मुक्ति केन्द्र के बारे में जानकारी दी। वहां कुछ माह काउंसिलिंग के बाद ही यह एहसास हुआ की सारी बीमारी की जड़ तंबाकू है। तब से मैंने तंबाकू और नशा का सेवन छोड़ने और लोगों को इसे छोड़ने के लिए प्रेरित करने का प्रण लिया।
संतोष जो 28 साल के हैं। छोटी उम्र में ही उन्हें तंबाकू, गुटखा सेवन की आदत लग गई परिवार वालों की मदद से उन्हें नशा मुक्ति केन्द्र लाया गया। संतोष ने तंबाकू और गुटखा का सेवन छोड़ दिया है और अपने दोस्तों, रिश्तेदारों को भी इसे छोड़ने के लिए प्रेरित कर रहे हैं। इसी तरह तंबाकू नशा मुक्ति केन्द्र से कई लोगों को नशा, तबाकू, गुटखा आदि का सेवन छोड़ने और स्वस्थ्य जीवन जीने की प्रेरणा मिल रही है।
चार माह में 21 हुए तंबाकू मुक्त
मौजूदा स्थिति में मई से जुलाई माह तक महज चार माह के काउंसीलिंग में 21 लोगों ने तंबाकू छोड़ दिया है और 82 ऐसे है जो यह नशा छोड़ने के कगार पर आ चुके है, जिनकी काउंसीलिंग अंतिम चरण में चल रहा है। उल्लेखनीय है कि वैश्विक युवा तंबाकू सर्वेक्षण 2019 के आंकड़ों के अनुसार छत्तीसगढ़ में 13 से 15 आयु के बच्चों द्वारा तंबाकू उपयोग का प्रतिशत 8 है। राष्ट्रीय औसत से भले ही यह आंकड़ा कम है, परंतु यह बहुत चिंताजनक विषय है।
1378 पहुंचे केंद्र जिन्हें मिली काउंसिलिंग
तंबाकू नियंत्रण कार्यक्रम के अंतर्गत जिला अस्पताल में तंबाकू नशा मुक्ति केन्द्र संचालन हो रहा है। जहां पर तंबाकू और अन्य तरह के तंबाकू उत्पादों का सेवन करने वालों की काउंसिलिंग और चिकित्सकीय परामर्श प्रदान किया जाता है। जनवरी 2024 से जुलाई तक 1378 लोगों की काउंसिलिंग की गई, जिनमें 83 प्रतिशत पुरुष और 17 प्रतिशत महिला है। इसमे मुख्य रूप से बीड़ी-सिगरेट का सेवन करने वाले, खैनी का सेवन करने वाले, गुड़ाखू का सेवन करने वालों के साथ गुटखा का सेवन करने वाले प्रमुख है। चार महिने में 21 ने तंबाकूयुक्त नशा पूरी तरह से छोड़ दिया है।
-जिला अस्पताल के सिविल सर्जन डा़ अनिल गुप्ता
निकोटिन पेच और च्युंगम से करते है इलाज
केंद्र के सलाहकार डा़ अनुपम नाहर और सोशलवर्कर सुनील श्रीवास ने जानकारी दी कि विभिन्न प्रकार के तंबाकू के नशा छोड़ने के लिए निकोटिन पेच और निकोटिन च्युंगम का उपयोग किया जाता है। पेंच को शरीर में चिपकाया जाता है जो शरीर में निकोटिन की मात्रा बनाकर रखता है, इससे सिगरेट, गुटखा खाने की तलब खुद बखुद कम होने लगती है। इसी तरह निकोटिन च्युंगम का कोर्स चलाया जाता है, यह कोर्स तीन महिने तक चलता है, तीन महिने तक कोर्स पूरा करने पर कोई भी इन नशों को छोड़ सकता है।