नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में काम कर चुके निरीक्षकों को फिर से भेजा गया नक्सल क्षेत्र…चुनाव के पहले तीन साल पूरा होने पर मैदानी क्षेत्र में जाने की थी संभावना…!

राजेन्द्र देवांगन
4 Min Read

नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में काम कर चुके निरीक्षकों को फिर से भेजा गया नक्सल क्षेत्र…चुनाव के पहले तीन साल पूरा होने पर मैदानी क्षेत्र में जाने की थी संभावना…!

नक्सल इलाके में काम करने वाले निरीक्षकों को चुनाव के पहले यह आशा था कि तीन साल का समय पूरा हो गया है, तो हमें मैदानी क्षेत्र में काम करने का मौका मिलेगा। परंतु डीजीपी के हस्ताक्षर से 5 जून को ■ मैदानी क्षेत्रों के पावरपुल निरीक्षकों को जारी सूची में नक्सल इलाके में काम करने वाले निरीक्षकों को राहत नहीं मिली है। उनको मैदानी क्षेत्र के बजाए फिर से नक्सल प्रभावित नक्सल इलाके में पदस्थ कर इलाकों में नहीं दिया गया है। इस मामले में भेजा जाता प्रभावित निरीक्षक कुछ नहीं परिजनों में नाराजगी देखने को मिल रही है। एक परिवार के सदस्य ने बताया कि होम मिनिस्टर ने कहा था कि तीन साल नक्सल इलाके में पूरा करने वाले अफसरों को मैदानी इलाकों में पदस्थ किया जाएगा, परंतु उनका यह कथन आज झूठा साबित हो गया है।

जानकारी के अनुसार 5 जून को 67 निरीक्षकों का स्थांतरण आदेश जारी हुआ है, जिसमें लगभग 25 निरीक्षक जो नक्सल इलाके में तीन साल काम कर

कांकेर जिला में आने वाले निरीक्षकों में नारायणपुर से योगेंद्र कुमार वर्मा, सुकमा से अशोक कुमार कंसारी, कोंडागांव से प्रशांत मिश्रा, कोंडागांव से जितेंद्र गुप्ता, बीजापुर से सुरेश कुमार राठौर है। उनको फिर से नक्सल इलाके में पदस्थ कर दिया गया है। इस आदेश के जारी हो जाने के बाद से दिनभर यही चर्चा रही कि विगत समय प्रदेश के गृह मंत्री ताम्रध्वज साहू ने समीक्षा बैठक में ऐलान किया था कि नक्सल इलाके में तीन साल पूरा करने वाले अधिकारियों को मैदानी इलाके में स्थांतरित किया जाएगा। गृह मंत्री ताम्रध्वज साहू ने जो समीक्षा बैठक में कहा था, वो पूरा होते हुए नहीं दिख रहा है।

बीजापुर जिले में पदस्थ निरीक्षको का स्थातरण किया गया जिसमे सुरेश कुमार राठौर कांकेर कपिल देव पाण्डेय को नारायणपुर, सुनील दास को सुकमा और ललित कुमार यादव को कोडागाव स्थांतरण किया गया। कांकेर जिले से 4 निरीक्षकों का स्वांतरण किया गया जिसमें महेश कुमार प्रधान को बीजापुर, गोपेंद पटेल को कोडागांव, रविशंकर साहू को बीजापुर स्थांतरण किया गया। कोंडागांव जिले में पदस्थ तीन कांकेर, नारायणपुर जिले से एक निरीक्षकको कार्कर स्थांतरण किया गया है। इन अफसरों की आपेक्षा थी कि लंबे समय से नक्सल इलाके में | पानी फिर गया उनका कहना है कि हम लोगों को आशा था कि इस चुनाव में मैदानी इलाके में जाने का मौका मिलेगा, निरीक्षकों में दो को कांकेर और एक परंतु ऐसा नहीं हो पाया।
कई ऐसे निरीक्षक है जो आज तक नक्सल इलाके में पदस्थ नहीं किए गए है, सदैव मैदानी इलाकों में सेवाएं दी है वहीं कई ऐसे अफसर है जो कई सालों से नक्सल इलाकों में ही फंसे रहने के बाद मैदानी क्षेत्र जाने का हुए है। अफसरों की यह टीस कहीं न कहीं सरकार के मौका मिलेगा, परंतु उनके मंसूबों पर लिए नुकसानदायक साबित हो सकती

Share this Article