SPECIAL: छत्तीसगढ़ के जशपुर में एशिया का दूसरा सबसे बड़ा चर्च …एक साथ बैठ सकते हैं 10 हजार श्रद्धालु…हैरान कर देने वाले रोचक तथ्य…!

राजेन्द्र देवांगन
3 Min Read
ब्यूरो रिपोर्ट निलेश मसीहा

एशिया का दूसरा सबसे बड़ा चर्च, एक साथ 10 हजार लोगों की बैठने की क्षमता, 7 अंक का विशेष महत्व…हैरान कर देने वाले रोचक तथ्य…!
छत्तीसगढ़ के जशपुर में एशिया का दूसरा सबसे बड़ा चर्च है. जिसे महागिरजाघर के नाम से जाना जाता है. दिखने में काफी विशाल और भव्य जशपुर के चर्च का इतिहास भी काफी रोचक है. जिसके बारे में आज हम आपको बताएंगे.
छत्तीसगढ़ के जशपुर जिले के कुनकुरी में एशिया का दूसरा सबसे विशाल चर्च है. इस चर्च की नींव वर्ष 1962 में रखी गई थी. जब इस चर्च को बनाया गया था उस समय कुनकुरी धर्मप्रांत के बिशप स्टानिसलास लकड़ा थे. इस विशालकाय चर्च वाले भवन को एक ही बीम के सहारे खड़ा करने के लिए नींव को विशेष रूप से डिजाइन किया गया था. सिर्फ इसी काम में दो साल लग गए थे.

नींव तैयार होने के बाद भवन का निर्माण 13 सालों में पूरा हुआ. कहा जाता है कि उस वक्त ये चर्च जंगल और पहाड़ियों से घिरा हुआ था, लेकिन समय के साथ सब बदलता गया. अब जिस जगह पर चर्च है वह क्षेत्र शहर के रूप में विकसित हो चुका है.

कुनकुरी के चर्च को एशिया का दूसरा सबसे बड़ा चर्च होने का गौरव तो प्राप्त है ही इसके अलावा इस चर्च की एक और विशेषता है, जो अपने आप में अलग है. इस महागिरजाघर में 7 अंक का विशेष महत्व है.

इस चर्च में 7 छत और 7 दरवाजे हैं. कैथोलिक वर्ग में 7 नंबर को खास माना गया है. हफ्ते में भी 7 दिन होते हैं. 7वां दिन भगवान का होता है. चर्च की 7 छतें एक ही बीम पर टिकी हुई है. ये चर्च इतना विशाल है कि इसके अंदर एक साथ 10 हजार लोगों के बैठने की क्षमता है.



एशिया का बसे बड़ा चर्च नागालैंड में है. उसके बाद दूसरा सबसे बड़ा चर्च छत्तीसगढ़ के कुनकुरी में है. बता दें कि कुनकुरी से 11 किलोमीटर दूर गिनाबाहर में सन 1917 में इलाके का सबसे पहला चर्च था. उस समय कुनकुरी एक छोटा सा गांव था. इसके बाद यहां लोयोला स्कूल और होलीक्रॉस अस्पताल की स्थापना हुई थी. चर्च बनने के बाद ही कुनकुरी एक शहर के तौर पर विकसित हुआ. यहां अस्पताल और शैक्षणिक संस्थाएं खुले और बाजार भी शुरू हुआ. अब यहां 10 हजार से अधिक परिवार रहते हैं. 

Share This Article