घने जंगलों के बीच मरही माता वनदेवी का मंदिर

राजेन्द्र देवांगन
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घने जंगलों के बीच मरही माता वनदेवी का मंदिर

गौरेला -पेंड्रा -मरवाही जिला और बिलासपुर के बीच भनवारटंक रेलवे स्टेशन है। जंगल के बीचों-बीच होने के कारण दुर्गम स्थल में से एक है। स्टेशन के पास ही मरही माता मंदिर है। श्रद्धालुओं की आस्था गहरी होने के कारण मंदिर में सदैव भीड़ लगी रहती है। रविवार को हजारों की भीड़ में लोग दूर -दूर से से अपनी मन्नत एवं परिवार की खुशहाली के लिए माता रानी के दर्शन के लिए आते हैं।

बिलासपुर कटनी रेल रूट पर स्थित भनवारटंक रेलवे स्टेशन से करीब चार सौ मीटर की दूरी पर रेलवे लाईन के किनारे स्थित मरही माता के मंदिर है। केवल पैसेंजर ट्रेनों का ठहराव होने के कारण यहां पैसेंजर ट्रेनो के समय खासी भीड़ उतरती है,

जोकि जान जोखिम में डालकर रेलवे ट्रेक से ही होकर आना जाना करते हैं। यह मरही माता का आशीर्वाद ही कहा जाए तो कोई गलत नहीं होगा कि अब तक कोई हादसा यहां नहीं होने पाया है।

ऐसी मान्यता है कि श्रद्धालु अपनी मन्नतें पूरी होने पर बकरे की बलि आज भी दे रहे हैं, मंदिर जिसके सामने भव्य तालाब है, जिस पर लोग भोजन प्रसाद भण्डारे की व्यवस्था है। भनवारटंक में सभी लोकल ट्रेन रूकती हैं, यहां पर कोई भी प्रकार से मोबाइल का नेटर्वक काम नहीं करता जिससे लोगों को बहुत परेशानिओं का सामना करना पड़ता है. नवरात्रि के समय में मातारानी के मंदिर के सामने से गुजरने वाली ट्रेनों के पहिए अपने आप रुक जाते हैं।

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