सबरीन दाई मंदिर
शबरी दाई मंदिर छत्तीसगढ़ के जांजगीर-चांपा जिले के स्थित है! खरौद नगर के दक्षिण प्रवेश द्वार पर स्थित शौरि मंडप शबरी का ही मंदिर है। ईंट से बना पूर्वाभिमुख इस मंदिर को सौराइन दाई अथवा शबरी का मंदिर भी कहा जाता है। मंदिर के गर्भगृह में श्रीराम और लक्ष्मण धनुष बाण लिये विराजमान हैं। श्रीराम और लक्ष्मण जी शबरी के जूठे बेर यहीं खाये थे। तत्कालीन साहित्य में उल्लेख मिलता है कि नगर के दक्षिण दिशा में शबरी देवी (सौराइन दाई) का मंदिर स्थित है।
ईंट से बना यह मंदिर पूर्वाभिमुख है। लक्ष्मणेश्वर महादेव मंदिर के शिलालेख में इसके निर्माण के काल का उल्लेख करते हुए कहा गया है कि गंगाधर नामक अमात्य ने एक शौरि मंडप का निर्माण कराकर पुण्य का कार्य किया है।[क] शौरि वास्तव में विष्णु का एक नाम है और यह क्षेत्र भी विष्णु प्रतिमाओं के कारण श्री नारायण क्षेत्र या श्री पुरूषोत्तम क्षेत्र कहलाता है,
जिसका उल्लेख स्कन्द पुराण में मिलता है। इस मंदिर के गर्भगृह के प्रवेश द्वार पर गरूड़ जी की मूर्ति है। अत: इसके विष्णु मंदिर होने की कल्पना की जा सकती है। सम्प्रति यहाँ देवी की मूर्ति है। इस मंदिर में देवी की मूर्ति कब और किसने स्थापित की, यह पता नहीं चलता। संभवत: विष्णु और शक्ति में सामंजस्य स्थापित करने के लिए इस मंदिर में देवी की स्थापना की गई है। प्राचीन काल में यह क्षेत्र दंडकारण्य कहलाता था।
दंडकारण्य में श्रीराम लक्ष्मण और जानकी ने कई वर्ष व्यतीत किये। इसी क्षेत्र से सीता का हरण हुआ था। श्रीराम और लक्ष्मण ने सीता की खोज के दौरान शबरी के आश्रम में आकर उसके जूठे बेर खाये थे, इसी प्रसंग को लेकर इस स्थान को शबरी-नारायण कहा गया। कालान्तर में यह बिगड़कर शिवरीनारायण कहलाने लगा। प्राचीन काल में इस क्षेत्र में खर-दूषण का राज था, जो श्रीराम के हाथों वीरगति को प्राप्त हुआ था। कदाचित् उन्हीं के नाम पर यह नगर खरौद कहलाया।[1]
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