छत्तीसगढ़ में टमाटर की फसल को मौसम और बीमारी ने किया तहस-नहस, किसानों की मुश्किलें बढ़ीं

राजेंद्र देवांगन
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छत्तीसगढ़ में इस साल टमाटर की फसल को मौसम की अनियमितता और बैक्टीरियल ब्लाइट, वायरस तथा फफूंद के संक्रमण ने भारी नुकसान पहुंचाया है। खासकर दुर्ग जिले के धमधा क्षेत्र में टमाटर की खेती प्रभावित हुई है, जहां लगभग 7,300 हेक्टेयर में से लगभग 287 हेक्टेयर की फसल खराब हो चुकी है और प्रभावित किसानों की संख्या बढ़ती जा रही है। किसानों ने बताया कि फसल की देखभाल के लिए दवाओं पर पहले से कहीं ज्यादा खर्चा हो रहा है, बावजूद इसके बीमारी रुक नहीं रही और कई ने मजबूरी में अपनी फसल उखाड़कर चना बोना शुरू कर दिया है।

अक्टूबर की लगातार बरसात, तापमान का उतार-चढ़ाव और वातावरण में नमी ने फंगल संक्रमण और वायरस को तेजी से फैलने में मदद की है। इससे पौधों का विकास रुक गया है, फूल और फल झड़ रहे हैं, जिससे उपज में भारी कमी आई है।

इससे बाजार में टमाटर की आपूर्ति कम होने के कारण दाम 40-50 रुपए प्रति किलो तक पहुंच गए हैं, जबकि किसानों की फसल बर्बाद होने की वजह से उन्हें इसका लाभ नहीं मिल रहा। किसान अपनी लागत तक निकालने में असमर्थ हैं और कई बड़े उत्पादन करने वाले किसान भी नुकसान में हैं।

कृषि वैज्ञानिकों ने कहा है कि प्रभावित फसलों को अब बेहतर होगा तोड़कर किसी अन्य फसल की तैयारी करें। बीमा कराए हुए किसानों को राहत मिलेगी, जबकि सर्वे जारी है और अधिक नुकसान की संभावना बनी हुई है। किसानों का आर्थिक संकट गंभीर है और वे राहत की उम्मीद कर रहे हैं।

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राजेंद्र देवांगन (प्रधान संपादक)