जर्जर स्कूल भवन बना खतरे की घंटी: छत का प्लास्टर गिरा, छात्र मंदिर में पढ़ने को मजबूर

राजेन्द्र देवांगन
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बेमेतरा (बेरला) छत्तीसगढ़ राजधानी से लगे बेमेतरा जिले के बेरला ब्लॉक अंतर्गत नवागढ़ विधानसभा क्षेत्र के ग्राम झिरिया में संचालित मिडिल स्कूल की दुर्दशा अब सामने आ गई है। बीते तीन दिन पहले रात के समय स्कूल भवन की छत का प्लास्टर भरभराकर नीचे गिर पड़ा। सौभाग्य रहा कि हादसे के वक्त स्कूल में कोई मौजूद नहीं था, वरना बड़ा अनर्थ हो सकता था।

भवन को अब असुरक्षित घोषित कर दिया गया है, और विद्यार्थियों की पढ़ाई फिलहाल गांव के शिव मंदिर परिसर में करवाई जा रही है। मंदिर शिवनाथ नदी के किनारे स्थित है, जिससे बच्चों की सुरक्षा को लेकर अभिभावकों और ग्रामीणों में चिंता का माहौल है।

135 छात्र मंदिर में कर रहे पढ़ाई

मिडिल स्कूल झिरिया में करीब 135 छात्र अध्ययनरत हैं। प्लास्टर गिरने की सूचना सफाईकर्मी द्वारा प्रधान पाठक को सुबह दी गई, जिसके बाद विद्यालय पहुंचे शिक्षक स्कूल की हालत देखकर चौंक गए। तब से स्कूल की तीन अलग-अलग कक्षाएं मंदिर में संचालित की जा रही हैं।

शिक्षकों की चेतावनी को किया गया नजरअंदाज

स्थानीय शिक्षकों का कहना है कि स्कूल भवन की जर्जर स्थिति की सूचना कई बार ब्लॉक और जिला शिक्षा अधिकारियों को दी गई थी, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई। अब जबकि हादसा होते-होते टला, तब जाकर प्रशासन की नींद टूटी है।

90 करोड़ की राशि का अता-पता नहीं, जांच अधूरी

जिला पंचायत सदस्य हरीश साहू ने प्रशासन पर गंभीर आरोप लगाते हुए बताया कि पूर्ववर्ती भूपेश बघेल सरकार ने स्कूल भवनों की मरम्मत व निर्माण के लिए बेमेतरा जिले को 90 करोड़ रुपये से अधिक की राशि आवंटित की थी। लेकिन इस फंड का उपयोग कहां और कैसे हुआ, इसका आज तक कोई स्पष्ट हिसाब नहीं मिला है।

उन्होंने कहा कि नवागढ़ क्षेत्र में यह तीसरा स्कूल है, जहां “जुगाड़ू शिक्षा व्यवस्था” से बच्चों को पढ़ाया जा रहा है। झिरिया की घटना प्रशासनिक लापरवाही का जीता-जागता उदाहरण है।

जांच आदेश जारी, लेकिन कार्रवाई ठप

जनवरी 2024 में खाद्य मंत्री दयालदास बघेल ने “स्कूल जतन योजना” में गड़बड़ी को लेकर जांच के आदेश दिए थे। इसके बाद मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने जुलाई 2024 में सभी कलेक्टरों से रिपोर्ट मांगी थी। बावजूद इसके, एक साल बीत जाने के बाद भी न जांच पूरी हुई, न ही किसी पर कार्रवाई हुई।

बेमेतरा के जिला शिक्षा अधिकारी (DEO) ने भी यह स्वीकार किया है कि उन्हें अब तक जांच रिपोर्ट प्राप्त नहीं हुई है। एसडीएम नवागढ़ द्वारा भेजी गई रिपोर्ट भी ठंडे बस्ते में है।

निष्कर्ष: शिक्षा के अधिकार पर खतरा

ग्राम झिरिया का यह मामला केवल एक स्कूल तक सीमित नहीं है, बल्कि यह पूरे सिस्टम की खामियों को उजागर करता है। जहां एक ओर सरकार करोड़ों खर्च करने के दावे करती है, वहीं दूसरी ओर बच्चे मंदिरों और असुरक्षित स्थलों में पढ़ने को मजबूर हैं।

जब तक जिम्मेदार अधिकारियों की जवाबदेही तय नहीं की जाती और जमीनी स्तर पर कार्रवाई नहीं होती, तब तक ऐसी घटनाएं बार-बार सामने आती रहेंगी।

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