अजीत जोगी प्रतिमा विवाद: अमित जोगी ने दी आंदोलन की चेतावनी, रायपुर में प्रेस कॉन्फ्रेंस कर दिखाया CCTV फुटेज

राजेंद्र देवांगन
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गौरेला-पेंड्रा-मरवाही जिले में छत्तीसगढ़ के प्रथम मुख्यमंत्री स्व. अजीत जोगी की प्रतिमा को रातोंरात हटाए जाने के विरोध में जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ (जे) के अध्यक्ष अमित जोगी ने रायपुर स्थित अपने निवास पर प्रेस कॉन्फ्रेंस की। उन्होंने प्रतीकात्मक विरोध के तहत हाइड्रा क्रेन पर पोस्टर लगाकर मीडिया से बात की और सरकार को एक महीने का अल्टीमेटम दिया। अमित जोगी ने कहा कि यदि 30 दिनों के भीतर ज्योतिपुर चौक पर उनके पिता की प्रतिमा पुनर्स्थापित नहीं हुई, तो गौरेला-पेंड्रा-मरवाही के लोग क्रेन में प्रतिमा लेकर रायपुर में मुख्यमंत्री निवास पहुंचेंगे और मुख्यमंत्री से अनावरण का आग्रह करेंगे।

“प्रतिमा पॉलिटिक्स नहीं, एथिक्स का सवाल”
अमित जोगी ने कहा, “मैं भाजपा के सम्माननीय नेताओं से अपील करता हूं कि प्रतिमा को लेकर राजनीति न करें। कुछ मुद्दे नैतिकता से हल होते हैं।” उन्होंने मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय के उस बयान का जिक्र किया, जिसमें उन्होंने गौरेला में प्रतिमा के अनावरण का वादा किया था। अमित ने चेतावनी दी कि यदि प्रतिमा पुनर्स्थापित नहीं हुई, तो जेसीसी-जे पूरे प्रदेश में उग्र आंदोलन करेगी।

CCTV फुटेज का खुलासा, दोषियों पर कार्रवाई की मांग
प्रेस कॉन्फ्रेंस में अमित जोगी ने 25 मई 2025 की रात का CCTV फुटेज दिखाया, जिसमें हाइड्रा क्रेन से प्रतिमा हटाए जाने की घटना दर्ज है। उन्होंने कहा कि कुछ लोग “मानसिक दिवालियापन” से ग्रसित होकर रात में शराब पीकर ज्योतिपुर चौक पर लगी प्रतिमा को उखाड़कर नगरपालिका परिसर में फेंक आए। दो हफ्ते बीतने के बावजूद न तो दोषियों पर कार्रवाई हुई और न ही प्रतिमा पुनर्स्थापित की गई। अमित ने आरोप लगाया कि दोषी खुलेआम घूम रहे हैं और उन्हें सरकार का संरक्षण प्राप्त है। उन्होंने दावा किया कि एक आरोपी को पिछले हफ्ते पेंड्रा गेस्ट हाउस में स्वास्थ्य मंत्री के साथ चाय पीते देखा गया।

दोषियों को भेजी किताब, माफी का दावा
अमित जोगी ने कहा कि उन्होंने प्रतिमा हटाने वाले तीन लोगों—गौरेला नगरपालिका के चीफ म्युनिसिपल ऑफिसर नारायण साहू, विश्व हिंदू परिषद के उपाध्यक्ष प्रदीप जायसवाल और क्रेन चालक दीपक शर्मा—को व्यक्तिगत रूप से माफ कर दिया है। उन्होंने इन तीनों को स्व. अजीत जोगी की किताब भेंट करने की बात कही, ताकि वे उनके योगदान को समझें। अमित ने कहा, “जो जोगी जी को जानता है, वह उन्हें मानता है। जिनकी आत्मा को जीवनभर के संघर्ष डिगा नहीं पाए, उनकी प्रतिमा को उखाड़ने की कोशिश बेकार है।”

ज्योतिपुर चौक की जमीन पर परिवार का दावा
अमित जोगी ने स्पष्ट किया कि ज्योतिपुर चौक की जमीन उनके परिवार के स्वामित्व में है, जिसे 1932 में स्व. मॅजेस ने खरीदा था। 2020 में इस जमीन का पावर ऑफ अटॉर्नी एक अमेरिकी संस्था ने अतुल आर्थर को दिया था। 2021 में स्व. अजीत जोगी के निधन के बाद, अतुल आर्थर और संबंधित सोसाइटी ने इस जमीन पर उनकी प्रतिमा और उद्यान स्थापित करने की अनुमति दी थी। तत्कालीन विधायक डॉ. रेणु जोगी ने अपनी विधायक निधि से 83.5 लाख रुपये दिए थे। अमित ने कहा कि नगरपालिका को केवल चबूतरा और उद्यान निर्माण की जिम्मेदारी दी गई थी, न कि प्रतिमा हटाने की। उन्होंने भाजपा जिला अध्यक्ष के आवेदन को गैरकानूनी ठहराया।

“मुखर्जी की एक लाख प्रतिमाएं लगाएं, पर जोगी की एक प्रतिमा भी लगे”
अमित जोगी ने मुख्यमंत्री और दोनों उपमुख्यमंत्रियों से सवाल किया कि क्या कोई उनकी निजी जमीन पर बिना अनुमति प्रतिमा लगा सकता है? उन्होंने कहा, “हम चाहते हैं कि डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी और स्व. अजीत जोगी, दोनों की प्रतिमाएं अपनी-अपनी वैधानिक जगह पर लगें। आप मुखर्जी की एक लाख प्रतिमाएं लगाएं, लेकिन गौरेला में जोगी जी और पोर्ते की एक-एक प्रतिमा भी स्थापित करें।”

प्रशासन पर टूटा वादा तोड़ने का आरोप
अमित जोगी ने प्रशासन पर वादाखिलाफी का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि प्रतिमा बरामद होने के बाद प्रशासन ने 24 घंटे में पुनर्स्थापना का आश्वासन दिया था, लेकिन बाद में जमीन को विवादित बताकर पीछे हट गया। जेसीसी-जे कार्यकर्ताओं और समर्थकों में इस घटना को लेकर भारी आक्रोश है। गौरेला में तनावपूर्ण माहौल के बीच SDM ऋचा चंद्राकर और पुलिस प्रशासन स्थिति को नियंत्रित करने में जुटा है।

मुख्यमंत्री ने मांगी रिपोर्ट
मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने इस मामले को गंभीरता से लेते हुए जिला प्रशासन से पूरी जानकारी मांगी है। उन्होंने कहा कि जानकारी मिलने के बाद उचित निर्णय लिया जाएगा।

आंदोलन की चेतावनी
अमित जोगी ने कहा कि यदि एक महीने में प्रतिमा पुनर्स्थापित नहीं हुई, तो जेसीसी-जे कार्यकर्ता और गौरेला की जनता क्रेन में प्रतिमा लेकर मुख्यमंत्री निवास पहुंचेगी। उन्होंने प्रशासन से दोषियों के खिलाफ तत्काल कार्रवाई और प्रतिमा के लोकार्पण की मांग की है। यह विवाद अब राजनीतिक और भावनात्मक मुद्दा बन चुका है, जिसने क्षेत्र में तनाव बढ़ा दिया है।

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राजेंद्र देवांगन (प्रधान संपादक)