छत्तीसगढ़ के राजनांदगांव जिले में कांग्रेस ने शिक्षा विभाग में युक्तियुक्तकरण नीति के खिलाफ जोरदार आंदोलन की तैयारी कर ली है। जिला कांग्रेस कमेटी ने ‘शिक्षा न्याय यात्रा’ के तहत जिले के सभी ब्लॉकों में प्रदर्शन की रणनीति बनाई है। इसके लिए विभिन्न ब्लॉकों में प्रभारी नियुक्त किए गए हैं, जो आंदोलन को नेतृत्व प्रदान करेंगे।
सतनाम भवन में हुई रणनीति पर चर्चा
प्रदेश कांग्रेस कमेटी के निर्देश पर सतनाम भवन में आयोजित जिला कांग्रेस कमेटी की बैठक में यह रूपरेखा तैयार की गई। बैठक में डोंगरगांव ब्लॉक के लिए रमेश खंडेलवाल, डोंगरगढ़ के लिए विपिन यादव, छुरिया के लिए मदन साहू और राजनांदगांव विकासखंड मुख्यालय के लिए पंकज बांधव को प्रभारी नियुक्त किया गया।
10 जून को ब्लॉक शिक्षा अधिकारी कार्यालय का घेराव
जिला कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष भागवत साहू ने बताया कि शिक्षा न्याय आंदोलन के तहत 10 जून 2025 को सुबह 11 बजे से दोपहर 2 बजे तक जिले के सभी ब्लॉक मुख्यालयों में ब्लॉक शिक्षा अधिकारी (बीईओ) कार्यालय का घेराव किया जाएगा। साहू ने आरोप लगाया कि राज्य की भाजपा सरकार युक्तियुक्तकरण के नाम पर हजारों स्कूल बंद करने और शिक्षकों के मर्जर के जरिए नई भर्ती प्रक्रिया को रोकने की तैयारी कर रही है, जिसका कांग्रेस पुरजोर विरोध करेगी।
आंदोलन में सभी संगठनों की भागीदारी
आंदोलन को व्यापक बनाने के लिए जिला कांग्रेस कमेटी के सभी अनुषांगिक संगठन, जिसमें युवा कांग्रेस, महिला कांग्रेस, सेवादल, एनएसयूआई, किसान कांग्रेस, अनुसूचित जाति, जनजाति, पिछड़ा वर्ग और अल्पसंख्यक प्रकोष्ठ के अध्यक्ष व पदाधिकारी शामिल होंगे। स्थानीय विधायक, पूर्व विधायक, छाया विधायक और प्रदेश व जिला संगठन के प्रमुखों के नेतृत्व में यह प्रदर्शन आयोजित किया जाएगा।
कांग्रेस का आरोप: शिक्षा व्यवस्था पर खतरा
भागवत साहू ने कहा कि युक्तियुक्तकरण से 10,463 स्कूल बंद होने का खतरा है, जिससे 45,000 से अधिक शिक्षकों के पद प्रभावित होंगे। इससे न केवल शिक्षकों का रोजगार छिनेगा, बल्कि स्कूलों में कार्यरत रसोइयों, भृत्यों और महिला समूहों की आजीविका पर भी संकट आएगा। कांग्रेस का दावा है कि यह नीति शिक्षा व्यवस्था को चौपट कर देगी और ग्रामीण क्षेत्रों में बच्चों की पढ़ाई पर नकारात्मक असर पड़ेगा।
आंदोलन को सफल बनाने की अपील
जिला कांग्रेस कमेटी ने सभी कार्यकर्ताओं और नेताओं से आंदोलन को सफल बनाने की अपील की है। साहू ने कहा कि यह प्रदर्शन सरकार पर दबाव बनाने और शिक्षा के अधिकार की रक्षा के लिए जरूरी है। पार्टी ने स्पष्ट किया कि यदि सरकार इस नीति को वापस नहीं लेती, तो आंदोलन को और तेज किया जाएगा।