दहेज़ प्रताड़ना व घरेलू हिंसा जैसे गंभीर मामले में एफ आई आर लिखने और कार्यवाही पर रायपुर महिला थाना की लापरवाही पर लग रहा प्रश्न वाचक चिन्ह

राजेन्द्र देवांगन
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रायपुर छत्तीसगढ़ में महिला की सुरक्षा और सम्मान की गारंटी माना जाता है, उसी पर गंभीर आरोप लगे हैं कि वहां लेन-देन कर प्रशासनिक मामलों में हस्तक्षेप किया जा रहा है। महिलाओं के स्वाभिमान, सम्मान और हक का हनन किया जा रहा हैं।

महिला थाना में काउंसिलिंग ऑफिस पर किसी भी प्रकार का सुरक्षा और कैमरा नहीं जिसका फायदा उठा कर पीड़िता आर पीड़ित परिवारों को दबाव बनाने का आरोप है ।हालात इतने बिगड़ चुके हैं कि थाने का भरोसा, अब भय में बदल चुका है। यह घटना कानून व्यवस्था की खुलेआम अनदेखी और मानव अधिकारों की हनन को दर्शाती है।

महिलाओं की सुरक्षा के लिए बनाए गए इस थाने में जब खुद महिलाएं असुरक्षित महसूस करें, तो सिस्टम की सच्चाई सामने आ जाती है।

शादी के दूसरे दिन से ही पति और ससुराल वाले दहेज के लिए प्रताड़ित करने लगे, दहेज में दिए गए लाखों के सोने चांदी के आभूषण, घरेलू समान, चेक, गाड़ी और सिंदूर दान फिर भी सास ससुर देवरानी जेठानी ननद द्वारा दहेज के लिए शारीरिक और मानसिक रूप से प्रताड़ित किया गया वहीं शादी के बाद पति के मानसिक और शारीरिक कमजोरियों की पता चलने पर ससुर ने चिकित्सा सेवाओं के लिए मना करते हुए कहा जड़ी बूटियों से उनका इलाज करेंगे तथा पीड़िता के साथ अभद्र व्यवहार किया गया मार पीट कर उसे रूम में बंद करके रखा गया। पीड़िता के स्त्री धन उसकी सास व जेठानी द्वारा छीन लिए गए, पीड़िता और उसके परिवार वालों को जान से मारने की धमकी दी गई साथ ही उसके जेठ व देवर ने मिल कर पति पत्नी (आवेदिका) दोनों को घर से निकाला जिस पर आरोपी मोरारी राधारमन देवांगन अपने दोस्त से बात कर पीड़िता को जबरदस्ती झारखंड ले गया वहां पीड़िता को जान से मारने की कोशिश किया, कोशिश नाकाम होने पर पीड़िता को आधी रास्ते में छोड़ आरोपी भाग कर उमदा भिलाई 3 चला गया।

एफआईआर में घोटाला :-
महिला थाना रायपुर में कईं केस सामने आए जिसमें एक केस यह भी है कि पीड़िता अपने ससुराल वालों से प्रताड़ित होकर महिला थाना रायपुर में आवेदन दिया जिसके अनुसार पुलिस विभाग द्वारा पहले काउंसिलिंग कराया गया फिर पीड़िता को केस ना करने के लिए डराया धमकाया गया जब पीड़िता ने अपने हक़ की बात कही तब FIR लिखा गया परन्तु FIR के बाद भी पीड़िता और उसके परिवार वालों पे बार बार केस वापस लेने के लिए दबाव बनाया गया,

महिला थाना में FIR हुआ जिसमें हेर फेर किया गया, पीड़िता को पुलिस विभाग द्वारा चकमा दिया गया और
कहा गया कि पति और ससुराल वाले सभी पे FIR हो गई अब तुम घर जाओ किन्तु लगभग 8 महीने तक पति और ससुराल वालों पे कोई कार्यवाही नहीं की गई अब जब 8 महीने बाद 22 मई को पति मोरारी राधारमन देवांगन पिता मोहन लाल देवांगन की गिरफ्तारी हुई लेकिन चालान पेश किया गया तब पता लगा कि थाने से लेन देन कर ससुराल वालों को आरोपी नहीं बनाया गया जबकि पीड़िता ने अपने आवेदन और FIR में बार बार कहा है कि ससुराल वालों ने दहेज़ के लिए मारा पीटा शारीरिक व मानसिक रूप से प्रताड़ित किया और धोखा धाडी करते हुए अपने नपुंसक बेटे से शादी करा कर उसकी हस्ती खेलती जिंदगी बर्बाद कर दिया उसको
गया
न्याय चाहिए, जब रक्षक ही बन जाए भक्षक तो कहा जाए पीड़िता?

सरकार की सुशासन त्यौहार में क्या घर की बहु बेटियां सुरक्षित हैं उनको न्याय मिलेगा?

रायपुर महिला थाना प्रभारी का मामला :-
1) 2 साल पहले राजधानी रायपुर के महिला थाने में लगातार अलग-अलग तरह शिकायतों के बाद टीआई कविता धुर्वे को हटा दिया गया था।
2) रायपुर की महिला थाना प्रभारी वेदवती दरियो को 2024 में एंटी करप्शन ब्यूरो की टीम ने रिश्वत लेते रंगे हाथों गिरफ्तार किया है. दहेज प्रताड़ना की शिकायत दर्ज करने और उस पर कार्रवाई करने थाना प्रभारी ने महिला से रुपये मांगे थे.
3) रायपुर महिला थाना प्रभारी मंजुलता राठौर और सहकर्मी पर भी मामला सामने आया जिसमे लगातार कई केस में लापरवाही की जा रही प्रार्थी के आवेद अनुसार काउंसिलिंग के बाद FIR सिर्फ पति पर किया गया और गिरफ्तारी में लगाए 7 से 8 माह उसकी बाद भी आरोपी और उसके घर वालों को बचाने की कोशिश जारी यह अंदेशा है भ्रष्टाचार के तरफ़।

पुलिस विभाग का भ्रष्टाचार में मामले :-
महिला थाना में भ्रष्टाचार एक आम समस्या है, जिसमें FIR से लेकर केस के कार्यवाही तक, हर काम के लिए मलाई मिठाई की मांग की जाती है । कभी आरोपी को बचाने की कोशिश की जाती है तो कभी आरोपी के घर वालों को आरोप से बचाया जा रहा हैं ऐसे में पीड़ित परिवार और पीड़िता कहा जाएं?

क्या इन आरोपों के आधार पर, पुलिस को निम्न धाराओं के तहत मामला दर्ज करना चाहिए था :-
● भारतीय न्याय संहि ता (BNS) की धारा 85: पति या पति के रिश्तेदार द्वारा क्रूरता ।
● भारतीय न्याय संहि ता (BNS) की धारा 86: दहेज से संबंधि त क्रूरता ।
● भारतीय न्याय संहि ता (BNS) की धारा 120: धोखाधड़ी ।
● भारतीय न्याय संहि ता (BNS) की धारा 354: हमला या आपराधि क बल का उपयोग महि ला को
अपमानित करने के इरादे से।
● हालांकि , पुलिस ने केवल धारा 85 के तहत मामला दर्ज कि या।
यह स्पष्ट नहीं है कि पुलिस ने अन्य धाराओं के तहत मामला क्यों दर्ज नहीं कि या।

सरकार और आयोग की चुप्पी शर्मनाक :-
छत्तीसगढ़ सरकार और राज्य महिला आयोग की चुप्पी बेहद चिंताजनक और शर्मनाक है। जब आयोग भी पीड़िता की सुनवाई न करे, तो फिर इस सिस्टम पर भरोसा कैसे कायम रहे? क्या ‘बेटी बचाओ’ का नारा केवल नारों तक ही सीमित रहेगा?

सूत्र बताते हैं कि इसके संभावित कारण निम्नलिखित हो सकते हैं :-
● पुलिस ने महिला के आरोपों की गंभीरता को पूरी तरह से नहीं समझा।
● पुलिस के पास संसाधनों की कमी थी और वे मामले को सरल बनाना चाहते थे।
● पुलिस ने लापरवाही बरती या भ्रष्टाचार कि या।
● किसी भी स्थिति में, यह पुलिस की ओर से एक गंभीर चूक है।

आस में दर-दर की ठोक खाने को मजबूर है :-
यह मामला न केवल पीड़िता के साथ अन्याय को दर्शाता है, बल्कि उन जिम्मेदार विभागों की कार्यशैली पर भी गंभीर प्रश्नचिह्न लगाता है, जिनसे महिलाओं को सुरक्षा और न्याय की उम्मीद होती है। पीड़िता अब इंसाफ के लिए गुहार लगा रही है और मांग कर रही है कि संबंधित विभाग अपनी निष्क्रियता तोड़ें और उसे न्याय दिलाने के लिए तत्काल कदम उठाएं।

पीड़ित महिलाओं की मांग: –
1. भ्रष्टाचार पर रोक लगाई जाएं
2. लेन देन करने वाले अधिकारियों पर कड़ी कार्यवाही की जाए
3. महिलाओ की सुरक्षा पर उचित क़दम उठाएं
4. महिला थाना में काउंसलिंग सेंटर पर सीसी टीवी कैमरा और सुरक्षा बलों को रखा जाएं
5. पीड़ित महिलाओं को इंसाफ दिलाने हेतु कार्य गति में तीव्रता लाई जाए
एक तरफ जहां पर प्रदेश में मुख्यमंत्री विष्णु देव साय की सरकार सुशासन तिहार के माध्यम से आम जनता को न्याय और उनकी समस्याओं से निजात दिलाने के लिए एक कदम आगे बढ़ा कर कार्य कर रही तो वहीं पुलिस विभाग के कुछ कर्मी इस योजना को विफल करने की कोशिश में लगे हैं वही विष्णु देव सरकार की कार्यप्रणाली लग रहा प्रश्नचिह्

इस खबर के ज़रिए हम एक बार फिर छत्तीसगढ़ सरकार, रायपुर पुलिस और राज्य महिला आयोग से अपील करते हैं —
1. महिला थाना रायपुर में लंबित मामलों की तुरंत उच्चस्तरीय जांच कराएं।
2. जिन मामलों में अग्रिम जमानत खारिज है, वहाँ गिरफ्तारी सुनिश्चित करें।
3. महिला अधिकारों के संरक्षण के लिए स्पष्ट नीति और निगरानी तंत्र बनाएँ।

अगर अब भी कार्रवाई नहीं होती, तो यह समझा जाएगा कि “महिला न्याय भी छत्तीसगढ़ में बिकाऊ है।” हमारी टीम इस पूरे मामले पर बारीकी से नजर रखेगी और अगला अपडेट जल्द देगी।

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