Raipur Central Jail news -रायपुर केंद्रीय जेल में विचाराधीन कैदी की मौत: परिजनों ने लगाए गंभीर आरोप, कहा- इलाज की अनदेखी से गई जान

राजेन्द्र देवांगन
6 Min Read

रायपुर की केंद्रीय जेल से एक गंभीर और हैरान कर देने वाला मामला सामने आया है। हत्या के मामले में जेल में बंद विचाराधीन कैदी मोहम्मद सदाफ़ की मौत हो गई है। परिवारवालों का आरोप है कि वह पिछले तीन महीने से बीमार था, लेकिन जेल प्रशासन ने उसकी गंभीर हालत के बावजूद इलाज कराने में लापरवाही बरती।

रायपुर केंद्रीय जेल में विचाराधीन कैदी की मौत:

मृतक के भाई राजा का कहना है कि सदाफ को लगातार सीने में दर्द रहता था और उसने कई बार जेल प्रशासन से इलाज की गुहार लगाई थी। लेकिन हर बार उसे केवल “गैस की दवा” देकर टाल दिया गया। परिजन कई बार जेलर से मिलकर उसे अस्पताल में भर्ती कराने की मांग करते रहे, लेकिन उनकी बातें अनसुनी कर दी गईं।

प्रशासन ने नहीं दिखाई गंभीरता

परिजनों ने बताया कि मोहम्मद सदाफ़ की हालत ऐसी थी कि उसे मेकाहारा जैसे बड़े सरकारी अस्पताल में तुरंत इलाज की जरूरत थी, लेकिन जेल प्रशासन ने इसे गंभीरता से नहीं लिया। अगर समय पर उचित चिकित्सा सुविधा दी जाती, तो शायद उसकी जान बचाई जा सकती थी।

परिजनों ने लगाए गंभीर आरोप, कहा- इलाज की अनदेखी से गई जान

इस लापरवाही के चलते अब सवाल उठ रहे हैं कि क्या रायपुर केंद्रीय जेल में कैदियों की सेहत को लेकर प्रशासन गंभीर है या नहीं। क्या कैदियों को सिर्फ सजा काटने के लिए छोड़ा गया है, या उनके अधिकारों का भी ध्यान रखा जा रहा है?

परिजनों ने की उच्चस्तरीय जांच की मांग

मौत के बाद मोहम्मद सदाफ़ के शव को परिजनों को सौंप दिया गया है। लेकिन अब परिवार न्याय की मांग कर रहा है। भाई राजा का कहना है कि जेल प्रशासन की लापरवाही ने एक जिंदगी छीन ली और अब इसकी उच्चस्तरीय जांच होनी चाहिए, ताकि आगे किसी और कैदी की जान ऐसे ही न जाए।

Aa

> छत्तीसगढ़ > रायपुर सेंट्रल जेल में फिर मौत! संदिग्ध हालात में बंदी की फांसी से मचा हड़कंप, जेल प्रशासन और गृह मंत्री की नाकामी उजागर
छत्तीसगढ़
रायपुर सेंट्रल जेल में फिर मौत! संदिग्ध हालात में बंदी की फांसी से मचा हड़कंप, जेल प्रशासन और गृह मंत्री की नाकामी उजागर
राजेंद्र देवांगन
Last updated: 2025/04/28 at 4:06 PM
राजेंद्र देवांगन
Share
6 Min Read

रायपुर। छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर स्थित सेंट्रल जेल एक बार फिर शर्मनाक सुर्खियों में है। गैंगवार, वसूली, चाकूबाजी और हत्या के बाद अब बंदियों की रहस्यमयी मौतों ने जेल की बदहाल व्यवस्था और सरकार की लापरवाही को बेनकाब कर दिया है। ताजा मामला बैरक नंबर 21 का है, जहां हत्या और पॉक्सो एक्ट के आरोपी बंदी ओम प्रकाश निषाद को संदिग्ध परिस्थितियों में फंदे से झूलता पाया गया।

Contents
सुबह मिली लाश, प्रशासन बेखबर
जेल में खुलेआम वसूली और गैंगराज
पुरानी घटनाओं से सबक नहीं
सुरक्षा व्यवस्था भगवान भरोसे
कड़ा सवाल: गृह मंत्री कब जागेंगे?
छत्तीसगढ़ की जेलों में मौतें: 2023 के बाद की स्थिति और विश्लेषण
1. प्रमुख घटनाएं (2023-2025)
2. मौतों के सामान्य कारण (जेलों में)
3. रायपुर सेंट्रल जेल विशेष विश्लेषण
4. सरकार और जेल प्रशासन की भूमिका पर सवाल
छत्तीसगढ़ में जेलों की स्थिति बेहद चिंताजनक है। सरकार के बदलने के बाद भी सुधार के वादे सिर्फ कागजों तक सीमित हैं। वास्तविकता में जेलों में कैदियों की जान पर खतरा बना हुआ है, जो सीधे-सीधे जेल प्रशासन की लापरवाही और राजनीतिक नेतृत्व की उदासीनता को उजागर करता है।

सुबह मिली लाश, प्रशासन बेखबर
सूत्रों के मुताबिक, ओम प्रकाश निषाद सुबह करीब 10 बजे नायलॉन की रस्सी से लटकता मिला। आनन-फानन में उसे नीचे उतारा गया, लेकिन तब तक उसकी मौत हो चुकी थी। वर्ष 2016 से जेल में बंद ओम प्रकाश महासमुंद जिले का निवासी था। सूचना मिलते ही गंज थाना पुलिस मौके पर पहुंची और शव को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया गया। जेल प्रशासन इसे आत्महत्या बताकर पल्ला झाड़ने की कोशिश कर रहा है, जबकि असली कारणों का खुलासा पोस्टमार्टम रिपोर्ट के बाद ही होगा।

कड़ा सवाल: गृह मंत्री कब जागेंगे?

लगातार हो रही घटनाएं यह साबित करती हैं कि न सिर्फ जेल प्रशासन बल्कि राज्य के गृह मंत्री तक अपनी जिम्मेदारियों से मुंह मोड़ रहे हैं। सवाल उठ रहा है कि आखिर कब तक बंदियों की लाशें उठती रहेंगी? क्या सरकार रायपुर सेंट्रल जेल को अपराधियों की गिरफ्त से मुक्त कराने के लिए ठोस कदम उठाएगी या अपनी नाकामी का बोझ आम जनता और बंदियों की जान पर डालती रहेगी?

अगर अब भी राज्य सरकार ने आंखें नहीं खोलीं तो रायपुर सेंट्रल जेल जैसे संस्थान ‘सुधारगृह’ की बजाय ‘मौतगृह’ बन जाएंगे। जवाबदेही तय करने और दोषियों पर कड़ी कार्रवाई करने का वक्त अब आ चुका है।

Share This Article