भारतमाला प्रोजेक्ट में 48 करोड़ का मुआवजा घोटाला: चार गिरफ्तार, फरार हैं कई बड़े अफसर

राजेंद्र देवांगन
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रायपुर। भारतमाला प्रोजेक्ट के तहत जमीन अधिग्रहण में हुए 48 करोड़ रुपए के मुआवजा घोटाले में आर्थिक अपराध अन्वेषण शाखा (EOW) ने कार्रवाई तेज कर दी है। शनिवार को शाखा की टीम ने भू-स्वामी, जमीन दलाल और फर्जी दस्तावेज बनाने वाले समेत चार आरोपियों को गिरफ्तार किया। पकड़े गए आरोपियों में महादेव घाट निवासी केदार तिवारी और उनकी पत्नी उमा देवी तिवारी भी शामिल हैं, जिनके खाते में 2.13 करोड़ रुपए मुआवजे के रूप में ट्रांसफर हुए थे।

जांच में सामने आया कि इस रकम में से 1.7 करोड़ रुपए महासमुंद के ठेकेदार व प्रॉपर्टी डीलर हरमीत सिंह खनूजा और गोलबाजार के व्यापारी विजय जैन को बांटे गए। विशेष अदालत ने चारों आरोपियों को 1 मई तक EOW रिमांड पर भेज दिया है। इस घोटाले में तत्कालीन डिप्टी कलेक्टर निर्भय साहू, तहसीलदार, राजस्व निरीक्षक रोशन लाल वर्मा और पटवारी समेत कई आरोपी फरार हैं।

फर्जी वारिस बनाकर महिला मठ की जमीन पर डाका

प्रारंभिक जांच में चौंकाने वाले खुलासे हुए हैं। मुआवजा हड़पने के लिए भारतमाला प्रोजेक्ट के आगमन से पहले ही अधिकारियों ने गहरी साजिश रची थी। मठ की जमीन को हथियाने के लिए फर्जी वारिस बनाया गया। जैतू साव मठ की 1 एकड़ से अधिक जमीन पर कब्जा दिखाकर उमा देवी तिवारी के नाम फर्जी दस्तावेज तैयार कराए गए। राजस्व विभाग के अधिकारियों की मिलीभगत से भूमि रिकॉर्ड में नाम भी दर्ज करवा दिया गया।

इसके बाद उमा देवी के नाम से 2.13 करोड़ रुपए का मुआवजा पास हुआ। तिवारी दंपति ने केवल 43 लाख रुपए अपने पास रखे और बाकी रकम हरमीत खनूजा और विजय जैन के माध्यम से अन्य अधिकारियों में बंट गई।

सिंडीकेट बनाकर रची गई साजिश

EOW जांच में सामने आया कि इस घोटाले में पटवारी, राजस्व निरीक्षक, तहसीलदार, डिप्टी कलेक्टर से लेकर वरिष्ठ अधिकारियों का संगठित सिंडीकेट काम कर रहा था। हरमीत सिंह खनूजा और विजय जैन ने केदार तिवारी से संपर्क कर फर्जी दस्तावेज बनवाए। जमीन के असली मालिक विश्वनाथ पांडेय की मृत्यु के बाद उनके वारिस केवल देखरेख कर सकते थे, बेच नहीं सकते थे। इसी का फायदा उठाकर उमा तिवारी को विश्वनाथ पांडेय की गोद ली हुई बेटी बताया गया और फर्जी वारिस नामांकन कराया गया।

मठ द्वारा उमा देवी के नाम रजिस्ट्री का विरोध भी किया गया था, लेकिन प्रशासन ने शिकायतों पर कोई ध्यान नहीं दिया।

ठेकेदार की तहसीलदार पत्नी भी शक के घेरे में

जांच में यह भी खुलासा हुआ कि ठेकेदार हरमीत सिंह खनूजा की पत्नी एक तहसीलदार हैं। आरोप है कि हरमीत और विजय ने अन्य किसानों के नाम पर भी फर्जी दस्तावेज तैयार कराए और भूमि रिकॉर्ड में हेराफेरी की। अब EOW ठेकेदार की तहसीलदार पत्नी की भूमिका की भी गहनता से जांच कर रही है।

तत्कालीन कलेक्टरों की भूमिका भी जांच के दायरे में

भारतमाला प्रोजेक्ट के दौरान रायपुर कलेक्टर रहे तीन IAS अधिकारी – भारती दासन, सौरभ कुमार और डॉ. सर्वेश्वर नरेन्द्र भुरे – के फैसलों की भी जांच चल रही है। साथ ही कुछ कांग्रेस नेताओं की भूमिका पर भी सवाल उठे हैं, जिसकी पड़ताल की जा रही है।


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राजेंद्र देवांगन (प्रधान संपादक)