महिला थाना रायपुर में भ्रष्टाचार का बोलबाला: पीड़िताओं को दबाया जा रहा, कानून व्यवस्था पर उठे सवाल

राजेन्द्र देवांगन
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रायपुर -छत्तीसगढ़ के रायपुर स्थित महिला थाना एक बार फिर विवादों में है। थाने पर गंभीर आरोप लगे हैं कि वहां लेन-देन कर प्रशासनिक मामलों में हस्तक्षेप किया जा रहा है। कुछ समय पहले ही थाना प्रभारी को हटाया गया था, लेकिन सुधार के नाम पर कुछ भी नहीं बदला।

महिलाओं के हक और सुरक्षा के लिए बनाए गए इस थाने में अब पीड़िताओं को ही डराया-धमकाया जा रहा है। कई मामलों में काउंसलिंग के दौरान भी महिला पीड़िताओं पर केस वापस लेने का दबाव बनाया गया है।

महिला थाना में भ्रष्टाचार का बोलबाला:

एक मामले में तो हद तब हो गई जब आरोपी की अग्रिम जमानत कोर्ट द्वारा खारिज कर दी गई थी, बावजूद इसके थाने द्वारा आरोपी से लेनदेन कर उसकी गिरफ्तारी नहीं की गई। यह घटना कानून व्यवस्था की खुलेआम अनदेखी और मानव अधिकारों की हनन को दर्शाती है।

पीड़िताओं को दबाया जा रहा, कानून व्यवस्था पर उठे सवाल

छत्तीसगढ़ सरकार और राज्य महिला आयोग की चुप्पी बेहद चिंताजनक और शर्मनाक है। जब आयोग भी पीड़िता की सुनवाई न करे, तो फिर इस सिस्टम पर भरोसा कैसे कायम रहे? कौन सुनेगा उस स्त्री की चीख, जिसकी फरियाद को फाइलों में गुम कर दिया गया?

सवाल यह उठता है कि—

क्या छत्तीसगढ़ की महिलाएं अब न्याय के लिए पुलिस से भी डरें?

सरकार सिर्फ दिखावे के लिए महिला सुरक्षा की बातें करते हैं?

जब कोर्ट का आदेश भी नहीं माना जा रहा, तो पीड़ित महिलाओं को इंसाफ कहां मिलेगा?

बेटी पढ़ाओ बेटी बचाओ, क्या यह एक शब्द बन कर रह गया है ? क्या बेटियां अपने ही ससुराल और घरों में सुरक्षित है ?

सरकार इस मामले में सख्त कदम उठाए और ऐसे थानों को जवाबदेह बनाए। वरना पीड़िताओं को न्याय के लिए कहीं और भटकना पड़ेगा।

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