अन्ना विश्वविद्यालय यौन उत्पीड़न एफआईआर लीक मामले में पत्रकारों को राहत, एसआईटी को सख्त निर्देश
मद्रास हाईकोर्ट ने अन्ना विश्वविद्यालय यौन उत्पीड़न एफआईआर लीक मामले पर सुनवाई के दौरान पत्रकारिता को लोकतंत्र का चौथा स्तंभ बताते हुए प्रेस की स्वतंत्रता और गोपनीयता की महत्ता पर अहम टिप्पणी की है। न्यायमूर्ति जी के इलानथिरायन ने कहा कि प्रेस पर निगरानी और अत्याचार लोकतांत्रिक मूल्यों पर हमला है।
प्रेस की स्वतंत्रता में हस्तक्षेप अनुचित: हाईकोर्ट
हाईकोर्ट ने चेन्नई प्रेस क्लब और तीन पत्रकारों द्वारा दायर याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए कहा कि जांच के बहाने पत्रकारों के मोबाइल फोन जब्त करना और निजी डेटा तक पहुंच मांगना प्रेस पर हमले के समान है। अदालत ने यह भी स्पष्ट किया कि प्रेस परिषद अधिनियम की धारा 15(2) के तहत पत्रकारों को उनके सूत्रों की गोपनीयता बनाए रखने का अधिकार है।
एसआईटी को पत्रकारों के प्रति संवेदनशील रहने का निर्देश
अदालत ने विशेष जांच टीम (एसआईटी) को याचिकाकर्ताओं को परेशान न करने और उनके उपकरणों को तुरंत लौटाने का आदेश दिया। साथ ही एसआईटी को निर्देशित किया गया कि पूछताछ के दौरान पत्रकारों के व्यक्तिगत संपर्कों और गोपनीय स्रोतों के बारे में कोई जानकारी न मांगी जाए।
एफआईआर अपलोड करने वाले पर हो जांच का फोकस
हाईकोर्ट ने कहा कि एफआईआर लीक मामले में जांच का फोकस उस व्यक्ति पर होना चाहिए जिसने इसे पुलिस पोर्टल पर अपलोड किया था। अदालत ने सुप्रीम कोर्ट के आदेशों का हवाला देते हुए कहा कि यौन अपराधों से संबंधित एफआईआर को सार्वजनिक पोर्टल पर अपलोड करना सर्वोच्च न्यायालय के आदेश का उल्लंघन है।
तकनीकी खामी या लापरवाही?
अटॉर्नी जनरल पी.एस. रमण ने अदालत को बताया कि प्राथमिकी लीक तकनीकी खामी के कारण हो सकती है, जो राष्ट्रीय सूचना विज्ञान केंद्र (एनआईसी) के अपराध और आपराधिक ट्रैकिंग नेटवर्क और प्रणाली (सीसीटीएनएस) के तहत काम करते समय हुई थी। हालांकि, हाईकोर्ट ने पुलिस की जांच प्रक्रिया पर सवाल उठाए और एफआईआर अपलोड करने वाले की जिम्मेदारी तय करने के निर्देश दिए।
अदालत के निर्देश:
- एसआईटी पत्रकारों को परेशान न करे और उनके जब्त मोबाइल फोन वापस करे।
- यौन अपराधों से संबंधित एफआईआर अपलोड करने के मुद्दे की गहन जांच की जाए।
- पत्रकारों से पूछताछ के दौरान किसी भी अप्रासंगिक सवाल से परहेज किया जाए।
- एफआईआर लीक के लिए जिम्मेदार अधिकारियों की जवाबदेही सुनिश्चित की जाए।
अन्ना यूनिवर्सिटी केस की पृष्ठभूमि
अन्ना विश्वविद्यालय में एक छात्रा के यौन उत्पीड़न के मामले ने तमिलनाडु की राजनीति में हलचल मचा दी थी। इस मामले में पुलिस की प्रारंभिक लापरवाही के बाद सोशल मीडिया पर विरोध तेज हुआ, जिसके बाद पुलिस ने कार्रवाई शुरू की। आरोपी को गिरफ्तार कर लिया गया है, लेकिन एफआईआर लीक का मामला अब प्रेस स्वतंत्रता बनाम जांच एजेंसियों की भूमिका के केंद्र में आ गया है।
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