छत्तीसगढ़ मेडिकल सर्विसेज कॉर्पोरेशन में बड़ा घोटाला, कई अधिकारियों की भूमिका संदिग्ध
छत्तीसगढ़ मेडिकल सर्विसेज कॉर्पोरेशन (CGMSC) में 400 करोड़ रुपये से अधिक के घोटाले की परतें खुलती जा रही हैं। अब इस मामले में तीन आईएएस अधिकारियों के नाम भी सामने आए हैं। एसीबी-ईओडब्ल्यू (ACB-EOW) ने आईएएस अधिकारी भीम सिंह, चंद्रकांत वर्मा और सीजीएमएससी की एमडी पद्मिनी भोई को पूछताछ के लिए तलब किया है।
स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों की संलिप्तता के भी सबूत
जांच एजेंसी ने इस घोटाले में स्वास्थ्य विभाग के कुछ अधिकारियों की संलिप्तता के भी प्रमाण जुटाए हैं। बताया जा रहा है कि सीजीएमएससी ने शासन की अनुमति के बिना 411 करोड़ रुपये की अवैध खरीदी की थी। इसमें बिना जरूरत के रिएजेंट्स और अन्य दवाओं की खरीद शामिल है।
गिरफ्तारी और पूछताछ का सिलसिला जारी
मोक्षित कॉर्पोरेशन के डायरेक्टर शशांक चोपड़ा की रिमांड बढ़ी
इस घोटाले में प्रमुख भूमिका निभाने वाले मोक्षित कॉर्पोरेशन के डायरेक्टर शशांक चोपड़ा को एसीबी-ईओडब्ल्यू ने पहले ही गिरफ्तार कर लिया है। पुलिस रिमांड खत्म होने के बाद आज उसे विशेष अदालत में पेश किया गया, जहां अदालत ने उसकी छह दिन की और पुलिस रिमांड बढ़ा दी है। अब उसे 10 फरवरी को दोबारा कोर्ट में पेश किया जाएगा।
हैरान करने वाले खुलासे: जरूरत से ज्यादा कीमत पर खरीदी गईं मेडिकल सामग्री
EDTA ट्यूब 8.50 रुपये की जगह 2352 रुपये में खरीदी
जांच के दौरान यह चौंकाने वाला तथ्य सामने आया कि सीजीएमएससी ने मोक्षित कॉर्पोरेशन से EDTA ट्यूब 2352 रुपये प्रति यूनिट की दर से खरीदी, जबकि अन्य संस्थाएं वही ट्यूब मात्र 8.50 रुपये प्रति यूनिट में खरीद रही थीं।
5 लाख की मशीन 17 लाख में खरीदी
इसके अलावा, एक CBC मशीन, जिसकी बाजार कीमत 5 लाख रुपये थी, उसे मोक्षित कॉर्पोरेशन से 17 लाख रुपये में खरीदा गया। एफआईआर में उल्लेख है कि मेडिकल उपकरणों और रिएजेंट्स की खरीद में भारी अनियमितताएं पाई गईं, जिससे सरकार को करोड़ों रुपये का नुकसान हुआ।
बिना जरूरत के दवा और उपकरणों की खरीदी
घोटाले की जांच में यह भी पता चला कि सीजीएमएससी ने बिना किसी मांग के 300 करोड़ रुपये के रिएजेंट्स प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों में भेज दिए, जहां वे उपयोग में नहीं आ सकते थे। इसके अलावा, इन रिएजेंट्स की एक्सपायरी डेट बेहद कम थी, और इन्हें स्टोर करने के लिए 600 नए फ्रिज खरीदने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई थी।
750 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी का शक, जांच जारी
एफआईआर के अनुसार, मोक्षित कॉर्पोरेशन ने मेडिकल सामग्री की खरीद में अधिकतम खुदरा मूल्य (MRP) से भी अधिक कीमत वसूली। प्राथमिक जांच में पता चला है कि कंपनी ने शासन के साथ करीब 750 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी की है।
जांच एजेंसियां अब इस घोटाले में शामिल अन्य अधिकारियों और कंपनियों की भूमिका की जांच कर रही हैं। संभावना है कि इस मामले में और गिरफ्तारियां हो सकती हैं।
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