सुप्रीम कोर्ट ने उच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीशों की पेंशन में असमानता पर जताई चिंता, समाधान की आवश्यकता

राजेन्द्र देवांगन
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सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को उच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीशों की पेंशन में असमानता के मुद्दे पर गंभीर चिंता व्यक्त की। न्यायमूर्ति बीआर गवई, न्यायमूर्ति ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह और न्यायमूर्ति के विनोद चंद्रन की पीठ ने कहा कि इस मामले का एक स्थायी समाधान खोजना बेहद आवश्यक है।

कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि वे कानून में बदलाव की बात नहीं कर रहे, बल्कि इस मुद्दे को सुलझाने के लिए ठोस कदम उठाने की आवश्यकता है। पीठ ने अटॉर्नी जनरल आर वेंकटरमणी से कहा कि चूंकि वे मामले में शामिल हैं, तो समाधान शीघ्र ही सामने आएगा। मामले की सुनवाई अगले 28 जनवरी को जारी रहेगी।

सुप्रीम कोर्ट ने पहले भी इस मुद्दे पर चिंता जताई थी और कहा था कि राज्यों के पास उन योजनाओं के लिए धन है, जिनसे वे नागरिकों को सीधे भुगतान करते हैं, लेकिन जब बात जिला न्यायपालिका के न्यायाधीशों की पेंशन की होती है तो वित्तीय समस्याओं का हवाला दिया जाता है। कोर्ट ने यह भी कहा कि 10 से 15 हजार रुपये की पेंशन देना बेहद दयनीय स्थिति को दर्शाता है और इसके समाधान के लिए मानवीय दृष्टिकोण अपनाने की आवश्यकता है।

साथ ही, मार्च 2024 में एक अन्य याचिका पर सुनवाई करते हुए, सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा कि उच्च न्यायालयों के सेवानिवृत्त न्यायाधीशों की पेंशन की गणना उनके अंतिम वेतन के आधार पर की जानी चाहिए, और यह भी कि पदोन्नति से संबंधित भेदभाव समाप्त किया जाना चाहिए।

इस मामले में कोर्ट का उद्देश्य एक स्थायी समाधान खोजना है, ताकि सेवानिवृत्त न्यायाधीशों की पेंशन के मामले में किसी प्रकार की असमानता न हो।

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