CG में महिलाओं के सम्मान पर हमला: बर्खास्त B.Ed टीचर्स को पुलिस ने सड़क से घसीटकर उठाया, महिला शिक्षकों ने कहा – पुलिस ने कपड़े फाड़े, दुर्व्यवहार किया, बर्बरता से पीटा

राजेन्द्र देवांगन
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रायपुर। छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में अपनी सेवा सुरक्षा और समायोजन की मांग को लेकर तेलीबांधा मरीन ड्राइव पर शांतिपूर्ण अनुनय रैली कर रहे B.Ed सहायक शिक्षकों और उनके अभिभावकों पर पुलिस प्रशासन ने बर्बरता की सारी हदें पार कर दी। राज्य की विष्णु देव सरकार ने लोकतांत्रिक अधिकारों का हनन करते हुए महिला शिक्षिकाओं और प्रदर्शनकारियों पर क्रूरता का अमानवीय उदाहरण पेश किया।

बीएड सहायक शिक्षक धरने पर क्यों बैठे हैं?

दोपहर से शुरू हुए इस शांतिपूर्ण प्रदर्शन को रोकने के लिए प्रशासन ने भारी पुलिस बल तैनात किया और प्रदर्शनकारियों को अवैध रूप से बैरिकेड्स लगाकर रोका। इसके बाद प्रदर्शनकारी सड़क पर बैठकर अपनी मांगों के समर्थन में नारे लगाने लगे। स्थिति तब और गंभीर हो गई, जब देर रात पुलिस ने प्रदर्शनकारियों को जबरदस्ती हटाने लगे और हमला करने लगे।

महिला शिक्षिकाओं पर बर्बरता और दुर्व्यवहार

पुरुष पुलिसकर्मियों ने महिला शिक्षिकाओं और प्रदर्शनकारी महिलाओं के साथ दुर्व्यवहार किया। महिलाओं को अनुचित तरीके से छुआ गया, उनके कपड़े फाड़े गए और उनके ऊपर कूदकर उन्हें जानवरों की तरह बसों में ठूंसा गया। इस दौरान कई महिलाएं चोटिल हुईं और झटके से बेहोश हो गईं। उन्हें एंबुलेंस में बिना किसी मेडिकल स्टाफ के ले जाया गया, जो घोर अमानवीय कृत्य है। पुरुष शिक्षकों को भी बर्बरता से पीटा गया और उन्हें अर्धनग्न कर जानवरों की तरह बसों में ठूंस दिया गया।

बीएड सहायक शिक्षकों का भविष्य खतरे में

बर्खास्त शिक्षकों ने कहा – लोकतंत्र का घोंटा गला
बर्खास्त शिक्षकों ने कहा, विष्णु देव सरकार के इस व्यवहार ने छत्तीसगढ़ की महिलाओं की सुरक्षा और सम्मान को तार-तार कर दिया है। यह न केवल लोकतांत्रिक मूल्यों का हनन है, बल्कि महिलाओं के खिलाफ अत्याचार का एक जघन्य उदाहरण भी है। हम छत्तीसगढ़ की जनता, महिला संगठनों, और मानवाधिकार संस्थानों से अपील करते हैं कि इस अमानवीय कृत्य के खिलाफ आवाज उठाएं और महिलाओं के सम्मान और अधिकारों की रक्षा के लिए आगे आएं।

बर्खास्त शिक्षकों ने कहा –

लोकतंत्र का घोंटा गलाबर्खास्त शिक्षकों ने कहा, विष्णु देव सरकार के इस व्यवहार ने छत्तीसगढ़ की महिलाओं की सुरक्षा और सम्मान को तार-तार कर दिया है। यह न केवल लोकतांत्रिक मूल्यों का हनन है, बल्कि महिलाओं के खिलाफ अत्याचार का एक जघन्य उदाहरण भी है। हम छत्तीसगढ़ की जनता, महिला संगठनों, और मानवाधिकार संस्थानों से अपील करते हैं कि इस अमानवीय कृत्य के खिलाफ आवाज उठाएं और महिलाओं के सम्मान और अधिकारों की रक्षा के लिए आगे आएं।

शिक्षकों और उनके परिवारों पर क्या प्रभाव पड़ सकता है?

शिक्षकों की मांगें
1.महिला शिक्षिकाओं पर हुए दुर्व्यवहार के दोषियों को तत्काल बर्खास्त किया जाए।
2. B.Ed सहायक शिक्षकों की सेवा, सुरक्षा और समायोजन की मांगों को प्राथमिकता देते हुए समाधान निकाला जाए।

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