अद्भुत है प्रयागराज का नवग्रह मंदिर  में पूरी होती है भक्तों की मुराद-जानें क्या है मान्यता

राजेन्द्र देवांगन
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इलाहाबाद : प्रयाग की पावन धरती पर गंगा, जमुना व अदृश्य सरस्वती की पावन सलिला के करीब नवग्रह मंदिर बनकर तैयार है। 14 वर्षो का लम्बा समय और करोंड़ो की लागत से बना यह देश का एकलौता ऐसा नवग्रह मंदिर है जो शास्त्रोक्त विधि से बना है। जो हर रूप में भक्तों का कल्याण करेगा। श्री पथरचट्टी रामलीला कमेटी परिसर रामबाग में निर्मित विशाल भूकंपरोधी मंदिर पूर्णतया सफेद, मकराना के संगमरमर-पत्थरों से निर्मित है।

दरवाजे और खिड़कियों पर लगे शीशों पर रामचरित मानस की पंक्तियां उकेरी गई हैं, उनके नीचे संगमरमर की पट्टिकाओं पर विषय परिचय देते हुए मानस की चौपाइयां लिखी हैं। गुम्बद पर मंगल सूचक कलश पर अद्भुत कला का दर्शन होता है।

शास्त्रों में नवग्रह सूर्य, चंद्रमा, मंगल, बुध, वृहस्पति, शुक्र, शनि, राहु व केतु के अलग-अलग रंग वर्णित हैं। इसीलिए हर ग्रह के रंग के अनुसार संगमरमर के पत्थरों का प्रयोग किया गया है। इसके अतिरिक्त भगवान शंकर और वीर हनुमान की विशाल प्रतिमाएं सबको मोहित करती हैं। मंदिर के पश्चिमी भाग में क्षीर सागर में लेटे भगवान विष्णु उनका चरण दाबती लक्ष्मी और विष्णु पर छाया करते शेषनाग की प्रतिमा काफी आकर्षक है।


धरोहर को बचाने का प्रयास : कपिल
पथरचट्टी रामलीला कमेटी के अध्यक्ष का कहना है कि नवग्रह मंदिर को प्रयाग की धरोहर के रूप में निर्मित करने का प्रयास किया गया है। प्रयाग प्राचीन व धार्मिक शहर है। मंदिर में शहर की प्राचीनता को बचाने के साथ आधुनिकता का रंग देने का प्रयास किया गया है।

प्रयाग बनेगा ज्योतिष का केंद्र
पुजारी  के अनुसार प्रतिष्ठानपुर झूंसी कभी सूर्य और चंद्रवंश के अभ्युदय का केंद्र रहा है। इसी कारण प्रयाग सूर्य और चंद्र ग्रह का केंद्र बिंदु है। इसके अलावा शनि का जन्म स्थान व सूर्यपुत्री यमुना और सूर्यरश्मि गंगा का मिलन व ब्रह्मा की यज्ञभूमि भी यही है।

नवग्रह मंदिर बनने से शहर दुनिया में ज्योतिष के केंद्र में रूप में स्थापित होगा। इससे ज्योतिषियों को नए शोध करने में सहायता मिलेगी।

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