महिला थाना रायपुर: 95 दिनों से लंबित मामला, पीड़िता न्याय की प्रतीक्षा में
रायपुर। महिला थाना रायपुर में दहेज प्रताड़ना और घरेलू हिंसा से जुड़े एक गंभीर मामले में 95 दिनों का समय बीत चुका है, लेकिन अब तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई है। पीड़िता ने अपने पति और ससुराल पक्ष पर दहेज के लिए शारीरिक व मानसिक प्रताड़ना, मारपीट और कमरे में बंद करने जैसे गंभीर आरोप लगाए हैं।
मामले का विवरण
मामला भिलाई-3, उमदा निवासी मोरारी राधारमन देवांगन से जुड़ा है। पीड़िता का आरोप है कि शादी से पहले मोरारी की नपुंसकता को छिपाया गया और विवाह के बाद दहेज के लिए हिंसा की गई। इस मामले में एफआईआर दर्ज होने के बावजूद 95 दिनों से आरोपी और उनके परिवार के खिलाफ कोई कानूनी कदम नहीं उठाया गया है।
लंबित कार्रवाई पर सवाल
एफआईआर दर्ज होने के बाद भी:
1. आरोपियों की गिरफ्तारी नहीं हुई।
2. चालान दाखिल करने में देरी हो रही है।
3. पीड़िता और गवाहों के बयान के बावजूद कोई ठोस कदम नहीं उठाए गए।
वरिष्ठ अधिकारियों और महिला आयोग से न्याय की अपील
पीड़िता और उसके परिवार ने पहले एडिशनल एसपी और एसपी व महिला आयोग से न्याय की गुहार लगाई।
पीड़िता ने महिला आयोग से निवेदन कर आरोपियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करवाएं की मांग की।
महिला थाना की कार्यशैली पर उठ रहा है सवाल
महिला थाना रायपुर पहले भी विवादों में रह चुका है। पूर्व में एक थाना प्रभारी को रिश्वत लेते हुए पकड़ा गया था, लेकिन उसके बाद भी थाना की कार्यप्रणाली में कोई सुधार देखने को नहीं मिला है।
महिलाओं के सशक्तिकरण अभियानों पर सवाल
सरकार द्वारा बेटियों और महिलाओं के सशक्तिकरण के लिए “बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ” जैसे अभियान चलाए जा रहे हैं। लेकिन ऐसे मामलों में पुलिस की निष्क्रियता इन अभियानों की सफलता पर गंभीर सवाल खड़े करती है।
पीड़िता की मांग
पीड़िता और उसके परिवार ने वरिष्ठ अधिकारियों और महिला आयोग से मांग की है:
1. मामले की निष्पक्ष जांच की जाए।
2. आरोपियों को तुरंत गिरफ्तार किया जाए।
3. लापरवाही बरतने वाले पुलिसकर्मियों पर सख्त कार्रवाई हो।
4. महिला थाना की कार्यशैली में सुधार किया जाए।
5. महिला आयोग मामले की नियमित निगरानी करे।
निष्कर्ष
यह मामला केवल एक पीड़िता की लड़ाई नहीं है, बल्कि यह पुलिस, प्रशासन और महिला आयोग की जिम्मेदारी पर भी सवाल खड़ा करता है। अब देखना यह होगा कि क्या संबंधित अधिकारी और आयोग समयबद्ध और निष्पक्ष कार्रवाई कर पीड़िता को न्याय दिला पाएंगे या नहीं !
Editor In Chief