छत्तीसगढ़ के नान घोटाला (नागरिक आपूर्ति निगम) मामले में EOW द्वारा दर्ज FIR अब CBI द्वारा जांच की जाएगी। राज्य सरकार ने इस मामले को CBI को सौंपते हुए अधिसूचना जारी की है। कांग्रेस सरकार में महाधिवक्ता रहे सतीश चंद्र वर्मा इस मामले में जांच के दायरे में हैं। उन पर और उनके साथ अनिल टुटेजा और आलोक शुक्ला पर आरोप है कि उन्होंने गवाहों पर दबाव डाला और उनके बयान बदलवाए। 4 नवंबर को EOW ने नान घोटाले में एक नई FIR दर्ज की थी, जिसमें रिटायर्ड IAS अधिकारी अनिल टुटेजा, रिटायर्ड IAS आलोक शुक्ला और छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट के पूर्व महाधिवक्ता सतीश चंद्र वर्मा के खिलाफ मामला दर्ज किया गया।
इन तीन लोंगों पर लगे आरोप
इन तीनों पर आरोप है कि उन्होंने अपने प्रभाव का दुरुपयोग कर गवाहों को प्रभावित किया। वॉट्सऐप चैट के सबूत मिलने के बाद इनके खिलाफ FIR दर्ज की गई थी।EOW ने अपनी FIR में बताया कि रिटायर्ड IAS अधिकारी डॉ. आलोक शुक्ला और अनिल टुटेजा ने अपनी शक्ति का इस्तेमाल करते हुए तत्कालीन महाधिवक्ता सतीश चंद्र वर्मा से अनुचित लाभ लिया। इनका उद्देश्य था कि सतीश चंद्र वर्मा को लोक कर्तव्यों का उल्लंघन करने के लिए प्रेरित किया जाए, ताकि वह अपनी शक्तियों का दुरुपयोग कर सरकारी कार्यों में गड़बड़ी कर सकें।
हाईकोर्ट में खारिज हुई थी याचिका
इसके बाद, तीनों मिलकर एक आपराधिक षड्यंत्र में शामिल हुए और राज्य आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो के उच्च अधिकारियों से प्रक्रियात्मक दस्तावेज और विभागीय जानकारी में बदलाव करवाया। इन बदलावों का मुख्य उद्देश्य नागरिक आपूर्ति निगम के खिलाफ दर्ज एक मामले (अप.क. 09/2015) में अपने पक्ष को मजबूत करना था, ताकि हाईकोर्ट में वे अपना पक्ष मजबूती से प्रस्तुत कर सकें और अग्रिम जमानत प्राप्त कर सकें।
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