प्रदेश सरकार ने 8वीं तक छात्रों को पास करने के नियम में बड़ा बदलाव कर दिया है। अब 5वीं-8वीं केंद्रीयकृत परीक्षा होगी, जिसका पैटर्न लगभग बोर्ड परीक्षा जैसा ही है। खास बात यह है कि यह बदलाव इसी शिक्षण सत्र 2024-25 से लागू होगा। मार्च में होने वाली वार्.मंगलवार को लोक शिक्षण संचालनालय ने सभी जिला कलेक्टर और जिला शिक्षा अधिकारियों को इसका पूरा प्रारूप भेज दिया। इस निर्देश के साथ कि वे अभी से तैयारी में जुट जाएं। भास्कर ने अगस्त में खुलासा किया था कि 8वीं तक फेल न करने के प्रावधान से शिक्षा की गुणवत्ता प्रभावित हो रही है।1000 छात्रों के बीच जाकर उनसे इमला लिखवाया। मगर, वे इसे नहीं लिख पाए।
अब सरकार ने भी इस बात को स्वीकार किया है। गौरतलब है कि पहली से आठवीं तक की पढ़ाई शिक्षा का अधिकार अधिनियम 2010 के दायरे में है। इस वजह से 2010-11 से 5वीं और 8वीं बोर्ड को समाप्त किया गया। मगर, 2019 में इसमें संशोधन हुआ, लेकिन तत्कालीन राज्य सरकार ने इस लागू नहीं किया। अब 5 साल बाद इसे लागू किया जा रहा है।इसमें उल्लेख है कि राज्य सरकार स्कूल को 5वीं और 8वीं या दोनों कक्षाओं में रोकने या अनुतीर्ण करने की अनुमति दे सकेगी। गौरतलब है कि इन दोनों कक्षाओं में 10 लाख से अधिक छात्र बैठते हैं।
शिक्षा में सुधार के लिए ये बड़े बदलाव भी लागू होंगेकक्षा चौथी और 7वीं की वार्षिक परीक्षा की कॉपी का मूल्यांकन अन्य स्कूलों में करवाया जाएगा। ताकि छात्रों की शैक्षणिक स्थिति के आधार पर आगामी सत्र में केंद्रीयकृत परीक्षा की तैयारी सत्र शुरू होने के साथ शुरू हो।5वीं, 8वीं में किसी भी विषय में फेल होने वाले छात्र की पूरक परीक्षा ली जाएगी।
उसे अगली कक्षा में जाने से रोका नहीं जाएगा।10वीं-12वीं बोर्ड परीक्षा के लिए जिस तरह से नजदीक के थाने में पेपर रखा जाता है। इसमें भी उतनी ही गोपनीयता बरती जाएगी।परीक्षा की समय-सारिणी लोक शिक्षण संचालनालय जारी करेगा। विशेषज्ञों से प्रश्न पत्र तैयार करवाए जाएंगे।निजी स्कूलों में लागू होगा आदेश केंद्रीयकृत परीक्षा का आदेश शासकीय स्कूलों के साथ-साथ सभी निजी स्कूलों में भी लागू होगा।
सिर्फ सीबीएसई और आईसीएसई को छोड़कर। निजी स्कूलों के सामने संकट यह है कि वे निजी प्रकाशकों की किताबें पढ़ा रहे हैं। ऐसे में केंद्रीयकृत परीक्षा होने से वे चिंतिंत हैं।इसलिए लिखा गया केंद्रीयकृत शिक्षा का अधिकार अधिनियम 2010, संशोधित अधिनियम 2019 में बोर्ड शब्द का इस्तेमाल नहीं किया जाना है। अगर बोर्ड शब्द का इस्तेमाल करेंगे तो यह कोर्ट में चैलेंज हो जाएगा। इसलिए केंद्रीयकृत शब्द इस्तेमाल किया गया है।