सीएम विष्णुदेव साय ने कहा: जनजातीय समाज सांस्कृतिक रूप से काफी समृद्ध, कुप्रथाओं के मुखर विरोधी हैं

राजेन्द्र देवांगन
3 Min Read

जनजातीय समाज का इतिहास धरती पर मनुष्य के पहले पदचाप के साथ जुड़ा हुआ है। जनजातीय संस्कृति ने भगवान श्रीराम को अपने हृदय में बसा रखा है।

भगवान राम ने छत्तीसगढ़ में ही वनवास बिताया, यहीं पर उन्होंने माता शबरी के जूठे बेर खाए। जनजातीय अस्मिता का प्रश्न भा.मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने गुरुवार को पं. दीनदयाल उपाध्याय ऑडिटोरियम में जनजातीय अस्मिता, अस्तित्व और विकास विषय पर संगोष्ठी में ये बातें कहीं।

मुख्यमंत्री ने जनजातीय समाज की परंपराओं, संस्कृति रीति-रिवाज, तीज-त्यौहार और शासन द्वारा जनजातीय उत्थान के लिए शासन द्वारा चलाई जा रही योजनाओं से जुड़ी महत्वपूर्ण जानकारियां साझा की।उन्होंने कहा कि यह हमारे लिए गर्व की बात है कि आज हमें जनजातीय समुदायों की अस्मिता और विरासत के प्रति संवेदनशील प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का नेतृत्व मिला है।

साय ने कहा कि जनजाति समाज सांस्कृतिक रूप से समृद्ध समाज है। यह समाज कुप्रथाओं का मुखर विरोध करता है।साय ने कहा कि जनजातीय समुदायों के समग्र विकास के लिए मोदी पीएम जनमन योजना और धरती आबा जनजातीय ग्राम उत्कर्ष अभियान चला रहे हैं। ये योजनाएं जनजातीय समुदायों के जीवन में परिवर्तन लाने के लिए क्रांतिकारी साबित हो रही है।

पीएम आवास,प्रधानमंत्री सूर्यघर मुफ्त बिजली योजना योजनाओं से जनजातीय समुदायों को बड़ा संबल मिला है। 11 महीने में सरकार ने बस्तर में शांति स्थापित करने के लिए तेजी से अपने कदम बढ़ाए हैं। नियद नेल्लानार योजना से शासन की योजनाओं को दूरस्थ अंचलों तक पहुंचाने की पहल की गई है।

बस्तर में सुरक्षाबलों के 34 नए कैंप खोले गए हैं। लगभग 96 गांवों में शासकीय योजनाओं का लाभ मिल रहा है।पद्मश्री विभूतियों काे अब 10 हजार रुपए महीना साहित्य परिषद से अलग हुआ राजभाषा आयोग मुख्यमंत्री ने पद्मश्री सम्मान से विभूषित छत्तीसगढ़ की विभूतियों को दी जाने वाली सम्मान राशि प्रतिमाह 5 हजार रूपए से बढ़ाकर 10 हजार रूपए करने की घोषणा की। मुख्यमंत्री ने साहित्य परिषद में छत्तीसगढ़ राजभाषा आयोग के विलय की समाप्ति की घोषणा करते हुए कहा कि छत्तीसगढ़ राजभाषा आयोग राजभाषा छत्तीसगढ़ी को बढ़ावा देने का कार्य करता रहेगा।उल्लेखनीय है कि पूर्व में छत्तीसगढ़ राजभाषा आयोग का साहित्य परिषद में विलय कर दिया गया था। मुख्यमंत्री ने कार्यक्रम में छत्तीसगढ़ी भाषा को समृद्ध करने वाले छह साहित्यकारों को शॉल-श्रीफल और स्मृति चिन्ह प्रदान कर सम्मानित किया। उन्होंने छत्तीसगढ़ राजभाषा आयोग द्वारा प्रकाशित छत्तीसगढ़ी भाषा में लिखित 12 पुस्तकों का विमोचन भी किया।

Share this Article

You cannot copy content of this page