अंबेडकर अस्पताल का मामला: कोलकाता दुष्कर्म के बाद अंबेडकर में सीसीटीवी कैमरे खरीदे पर लगाए नहीं, वायर खरीदी की अब दी मंजूरी

राजेन्द्र देवांगन
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कोलकाता के सरकारी अस्पताल में महिला डाक्टर के साथ सामूहिक दुष्कर्म और उसकी निर्मम हत्या के बाद देश के सभी बड़े सरकारी अस्पतालों में सीसीटीवी कैमरे लगाने के आदेश जारी किए गए। अंबेडकर अस्पताल में भी इसके लिए बजट दिया गया। आनन-फानन में कैमरे तो खरीद लिए.अब ऑपरेशन थियेटर में अग्निकांड के बाद जब फायर फाइटिंग सिस्टम की फाइल को मंजूरी दी गई तभी सीसीटीवी कैमरे लगाने वायर खरीदी को भी मंजूरी दी गई है।

पड़ताल के दौरान पता चला है कि अंबेडकर अस्पताल के छोटे छोटे काम की लगभग एक दर्जन फाइलें चिकित्सा शिक्षा संचालनालय में महीनों से अटकी हैं। उन्हें चिकित्सा शिक्षा संचालक डीएमई के सामने प्रस्तुत ही नहीं किया गया है।अब अग्निकांड के बाद जब फायर फाइटिंग की फाइल रोकने का खुलासा हुआ तब खुद अफसरों ने छानबीन शुरू की।

इस दौरान पता चला कि ऐसी कई फाइलें अटकी हुईं हैं। इसी दौरान सीसीटीवी कैमरे लगाने के लिए वायर खरीदी की फाइल भी सामने आई। उस फाइल को भी मंजूरी देते हुए अंबेडकर अस्पताल भिजवा दिया गया।अब अस्पताल की सभी संवेदनशील और महत्वपूर्ण जगहों पर सीसीटीवी कैमरे लगाए जाएंगे। आईसीसीयू और एमआईसीसीयू में लगाए गए फायर फाइटिंग सिस्टम अंबेडकर अस्पताल के उन सभी वार्डों और आईसीसीयू में फायर फाइटिंग सिस्टम लगाया जा रहा है जहां अब तक नहीं था।

गुरुवार को अस्पताल अधीक्षक और अन्य जिम्मेदार अधिकारियों ने खुद खड़े होकर सिस्टम कहां कहां लगाया जा रहा है ये देखा। अफसरों के अनुसार अभी हाथ से ऑपरेट होने वाला सिस्टम लगाया जा रहा है ताकि इमरजेंसी में खतरे को टाला जा सके। बाद में जहां भी पाइप लाइन बिछाना संभव होगा वहां स्थाई सिस्टम लगाया जाएगा।मशीनों की फाइल महीनों से अटकी डीएमई ऑफिस में फाइलों के मूवमेंट के बारे में पड़ताल करने से खुलासा हुआ कि यहां ऑफिस में ऐसा हमेशा से होता आ रहा है।

उपकरणों और मशीनों की खरीदी से संबंधित फाइल तो दूर बेहद जरूरी मशीनों के मेंटेनेंस और खराबी दूर करने की मंजूरी की फाइल को भी रोक दिया जाता है। ज्यादातर फाइलें डीएमई की जानकारी के बिना रोकी जाती है। कई बार अस्पताल वापस भेजकर खरीदी के औचित्य पर ही सवाल पूछे जाते हैं। यही वजह है कि फायर फाइटिंग जैसी बेहद जरूरी फाइल को डीएमई की जानकारी के बिना रोक दिया गया था।

चिकित्सा शिक्षा विभाग के आला अफसर अब जांच कर रहे हैं कि फाइल को इतने महीनों क्यों और किसने रोका था। अफसरों ने संकेत दिए हैं कि जांच के बाद जिम्मेदारों पर कार्रवाई भी की जाएगी।

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