एक्सप्रेस-वे में डामर गायब: पचपेढ़ीनाका पर बजरी फैली, शहर में ऐसी 410 किमी गड्‌ढे वाली सड़कें

राजेन्द्र देवांगन
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राजधानी और आउटर की जिन सड़कों के डामरीकरण में करीब चार माह पहले ही 64 करोड़ खर्च किए गए थे, उनमें कई सड़कें बारिश के बाद उधड़ गईं हैं। कहीं गड्‌ढे हो गए तो कहीं की बजरी निकल गई है। हाई स्पीड वाली एक्सप्रेस-वे के कई हिस्से में डामर की पूरी परत गायब है। पच.पार्षदों और आम लोगों की शिकायत के अलावा पीडब्ल्यूडी व निगम के अफसरों ने खराब सड़कों का सर्वे कर लिया है।

उसी के हिसाब से मरम्मत और पैचवर्क का बजट तैयार किया गया है। कुछ सड़कों का डामरीकरण और मरम्मत का काम शुरू भी कर दिया गया है। अफसरों को दीवाली के पहले सभी प्रमुख सड़कों की मरम्मत के निर्देश दिए गए हैं। हालांकि केवल चार महीने में सड़कों की इतनी बुरी हालत होने से इंजीनियर और शहर के आर्किटेक्ट भी हैरान हैं।अब अफसरों का दावा: दिवाली तक सभी सड़कें हो जाएंगी ठीक अवंतीबाई चौक के पास चलना मुश्किल राजधानी के शंकर नगर से अवंति बाई चौक जाने वाली सड़क की हालत काफी खराब गई है। बारिश के कारण जगह-जगह पर सड़क में बड़े-बड़े गड्ढे हो गए हैं। राहगीरों का चलना मुश्किल को गया है।

पीडब्ल्यूडी ने बारिश के पहले पैच वर्क के नाम पर खानापूर्ति किया था।एक्सप्रेस-वे की बजरी उखड़ीएक्सप्रेस-वे राजधानी वासियों की लाइफ लाइन बन चुका है। बारिश में देवेन्द्र ओवरब्रिज पर रोड के एक हिस्से की परत की बजरी उखड़ गई है। एक पैच में तो सड़क इतनी खराब है कि बाइक और मोपेड वाले वहां से गुजरते भी नहीं है, जबकि मई महीने में ही इस हिस्से का डामरीकरण किया गया था।इन इलाकों की सड़कों पर हुए गड्‌ढे भाटागांव से फिल्टर प्लांट, शंकर नगर से खम्हारडीह के बीच, आमापारा से गुढ़ियारी, महादेव घाट से गुढ़ियारी, गोंदवारा , गुढियारी रामनगर होकर कोटा जाने वाली सड़कों में बारिश के चलते गड्ढे हो गए हैं।

बीरगांव से चंदनडीह जाने वाली रोड क्षतिग्रस्त हो गई है। सड़क के बीचोबीच बड़े-बड़े गड्‌ढे हैं। हीरापुर से सोनडोंगरी जाने वाली सड़क का भी यही हाल है। केनाल रोड की डामर वाली सड़क उखड़ गई है। कालीबाड़ी सड़क पर भी कई जगह गड्‌ढे हो गए हैं।

बारिश के बाद जिन सड़कों में गड्ढे हुए हैं उसके लिए टेंडर जारी कर दिया गया है। विभाग जल्द ही पैच वर्क का काम शुरू करेगा।डीके नेताम, एसी पीडब्ल्यूडीएक्सपर्ट व्यू- मनीष पिल्लीवार आर्किटेक्टडामरीकरण में लापरवाहीसड़कों के निर्माण के लिए हमें दो स्तर पर सोचना होगा। पहला सड़कों का ड्राइंग-डिजाइन और दूसरे निर्माण की गुणवत्ता। डामर का सबसे बड़ा दुश्मन पानी है।

शहर में बनाई जाने वाली ज्यादातर सड़कों में ढाल का ध्यान ही नहीं रखा जाता है। डामर के नीचे का लेयर अच्छी तरह से ठोस होना चाहिए। अभी ऐसा नहीं हो रहा है। इस वजह से बारिश का पानी जमा होकर डामर को नुकसान पहुंचाता है।

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