छत्तीसगढ़ अब मेडिकल एजुकेशन के एक बड़े हब के रूप में उभर रहा है। चिकित्सा शिक्षा विभाग सरकारी निर्माण एजेंसी सीजीएमएससी के जरिए कांकेर, महासमुंद और कोरबा में मेडिकल कॉलेजों की नई इमारतें बना रहा है। इनकी लागत करीब 966 करोड़ रुपए के आसपास है। प्रति कॉ.जब छत्तीसगढ़ बना तो एक ही मेडिकल कॉलेज था, जो रायपुर में था। एक साल बाद ही बिलासपुर में दूसरा कॉलेज बना।
वहीं बीते 24 साल में प्रदेश में 10 सरकारी मेडिकल कॉलेज खुल चुके हैं। मनेंद्रगढ़,कवर्धा, जांजगीर चांपा और दंतेवाड़ा में 4 नए कॉलेजों को और मंजूरी भी मिल चुकी है। चिकित्सकों की कमी और मेडिकल एजुकेशन के प्रति युवाओं के बढ़ते रुझान को देखते हुए सरकार आने वाले दिनों में कुछ और जिलों में सरकारी मेडिकल कॉलेज के लिए प्रस्ताव दे सकती है।
प्रदेश में अभी की स्थिति में कुल 15 मेडिकल कॉलेज हैं। जिनमें से 5 निजी कॉलेज हैं।प्रदेश में अभी सरकारी और निजी कॉलेजों में एमबीबीएस की कुल मिलाकर 21 सौ से अधिक सीटें हैं। चार नए कॉलेज खुल जाने के बाद प्रदेश में एमबीबीएस की करीब 400 से 500 सीटें और बढ़ जाएगी।
जाहिर है इसका सीधा फायदा यहां के उन छात्रों को होगा जो चिकित्सा शिक्षा में अपना करिअर बनाना चाहते हैं।966 करोड़ होंगे खर्च, 7 मंजिला होंगी, डिजाइन एक जैसामिली जानकारी के मुताबिक कांकेर, महासमुंद और कोरबा में बन रही मेडिकल कॉलेजों की नई इमारतों का डिजाइन एक ही रखा गया है। जिसमें बेसमेंट, ग्राउंड के साथ 7 फ्लोर होंगे। करीब 27 हेक्टेयर और 10 हेक्टेयर के दो क्षेत्र दो चरणों में डेवलप किए जाएंगे।
पहले फेज में लेक्चर हॉल,अकादमिक ब्लॉक, लाइब्रेरी, एडमिनिस्ट्रेशन ऑफिस, कॉमन हॉल, छात्र छात्राओं के होस्टल, इनडोर स्पोर्टस, बैंक, पोस्टऑफिस, शॉपिंग आर्केड, सेंट्रल डाइनिंग किचन, डी, ई और एफ कैटेगिरी में स्टॉफ की रेसीडेंस बिल्डिंग, गेस्ट हाउस, डायरेक्टर रेसीडेंस, मेल फीमेट इंटर्न के रहने के ब्लॉक आदि बनाए जा रहे हैं।
चिकित्सा शिक्षा मंत्री श्यामबिहारी जायसवाल ने भास्कर को बताया कि प्रदेश में मेडिकल एजुकेशन के साथ चिकित्सा शिक्षा में अनुसंधान को बढ़ावा देने के लिए राज्य सरकार नई पहल कर रही है। नए रिसर्च संस्थान के जरिए यहां युवाओं को शोध के क्षेत्र में नए अवसर मिलेंगे वहीं मरीजों के इलाज में भी ये संस्थान बड़ी भूमिका निभाएंगे।
इसी कड़ी में राजधानी रायपुर में लेप्रोसी ट्रेनिंग एंड रिसर्च सेंटर को अपग्रेड करने के साथ रीजनल सिकससेल संस्थान को उपचार एवं पुनर्वास यानी आरएसटीईरसी के तौर पर विकसित किया जाएगा। उधर, मनेंद्रगढ़ में करीब 45 करोड़ लागत से कैंसर रिसर्च संस्थान के निर्माण की कवायद भी तेज हो रही है। हाल ही में चिकित्सा शिक्षा मंत्री ने मनेंद्रगढ़, जांजगीर चांपा, दंतेवाड़ा और कवर्धा में बनने जा रहे चार नए मेडिकल कॉलेजो के लिए केंद्र सरकार से 60 फीसदी फंड की मांग भी की है।
मेट्रो की तर्ज पर… 40 करोड़ रुपए की एडवांस मशीनों से विकसित होगा कैंसर रिसर्च संस्थानराजधानी के नेहरु मेडिकल कॉलेज से संबद्ध सबसे बड़े सरकारी कैंसर रिसर्च इंस्टीट्यूट को जल्द ही 40 करोड़ की नई एडवांस मशीनें मिलने जा रही है। विभाग के द्वारा इसका प्रस्ताव बना लिया गया है। उम्मीद है कि शासन की ओर से जल्द ही इसकी मंजूरी भी मिल जाएगी।
दरअसल, इस सरकारी कैंसर अस्पताल पूरे प्रदेश के अलावा पड़ोसी राज्यों और अब मेट्रो शहरों से भी मरीज कैंसर के इलाज के लिए आते हैं। विभाग के एचओडी डॉ. विवेक चौधरी के मुताबिक रिसर्च इंस्टीट्यूट में टू बीम थैरेपी, ब्रेकी थैरेपी और रोबोटिक सर्जरी मशीनों के लिए प्रस्ताव बनाया गया है।प्रस्ताव स्वास्थ्य विभाग के जरिए शासन को भेज दिया गया है।
इसके अलावा अस्पताल में नए डॉक्टरों, नर्सिंग, पैरा मेडिकल व तकनीकी स्टॉफ की नई भर्तियां भी होगी। टू बीम थैरेपी मशीन की लागत 20 से 25 करोड़ के आसपास है। वहीं ब्रेकी थैरेपी और रोबोटिक सर्जरी मशीनें भी लगभग 20-20 करोड़ की आएंगी। जानकारों के मुताबिक कैंसर के ऐसे गंभीर मरीज जिनको सर्जरी की जरूरत पड़ती है। उनके लिए रोबोटिक सर्जरी एक वरदान साबित होगी। क्योंकि रोबोटिक के जरिए सर्जरी मरीजों को कम तकलीफ होती है। एक्सपर्ट कहते हैं कि रायपुर पूरे मध्य भारत में कैंसर के इलाज का नया हब बनता रहा है।
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