सिर पटकने से ब्रेन हेमरेज से मौत का दावा।छत्तीसगढ़ के मरवाही के जंगल से रेस्क्यू कर बिलासपुर के कानन जुलाजिकल पार्क लाए गए भालू की मंगलवार को इलाज के दौरान मौत हो गई। बता दें कि भालू के हमले से दो लोगों की मौत हो गई थी और पांच लोग घायल हो गए थे।.दरअसल, कुछ दिन पहले मरवाही क्षेत्र के जंगल में यह भालू आक्रामक हो गया था, जिसे देखते हुए वन विभाग के अफसरों ने भालू को रेस्क्यू कर पकड़ने के निर्देश दिए। बीते रविवार को कानन जू के रेस्क्यू दल ने कुछ घंटे की मशक्कत के बाद भालू को ट्रैंक्यूलाइजर गन से बेहोश किया और उसे लेकर कानन पेंडारी जू पहुंचे।दो दिन पहले ही भालू को किया गया था रेस्क्यू।रेस्क्यू के दौरान हुआ घायलबताया जा रहा है कि रेस्क्यू के दौरान भालू घायल हो गया था। वहीं उसके शरीर पर कुल्हाड़ी के हमले के जख्म भी थे। लिहाजा, कानन जू उसका उपचार चल रहा था। सोमवार की रात अचानक भालू पिंजरे से बाहर निकलने झटपटाने लगा। इस दौरान अपने सिर को लोहे के पिंजरे में इतनी जोर-जोर से मारने लगा कि थोड़ी देर में उसका सिर फट गया और वह खून से लथपथ हो गया। इससे गंभीर रूप से घायल होने के कारण उसकी मौत हो गई। मंगलवार को मृत भालू का पोस्टमार्टम कर जू में ही अंतिम संस्कार किया गया।पिंजरे में कैद भालू को नहीं बजा सका कानन प्रबंधन।पिंजरे से निकाल लेते तो नहीं जाती जानजानकारों का कहना है कि भालू को ट्रैंक्यूलाइजर गन से बेहोश कर रेस्क्यू किया गया था, जिसके बाद कानन जू में लापरवाही बरती गई। यहां लाने के बाद उसे पिंजरे से बाहर निकाल कर उपचार करना था। कहा जा रहा है कि पिंजरे में बंद भालू को बाहर निकालते तो उसकी जान नहीं जाती।पीएम रिपोर्ट में बताया ब्रेन हेमरेजभालू की मौत के बाद वन्य प्राणी चिकित्सक डा. पीके चंदन व जिला पशु चिकित्सालय के दो अन्य चिकित्सकों की मौजूदगी में पोस्टमार्टम हुआ। पोस्टमार्टम में ब्रेन हेमरेज की पुष्टि हुई। अब कहा जा रहा है कि लगातार पिंजरे में सिर पटकने से उसके ब्रेन पर असर हुआ होगा, जिससे उसकी मौत हुई होगी।
Editor In Chief