बिलासपुर। महादेव सट्टा एप के प्रमोटर और संचालक सौरभ चंद्राकर व रवि उप्पल की याचिका पर सुनवाई के बाद हाई कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया है। सोमवार और मंगलवार को सुनवाई के बाद ईडी और राज्य शासन ने अपना पक्ष रखा, जिसमें उन्होंने कार्रवाई को वैधानिक और न्याय संगत बताया है। सभी पक्षो को सुनने के बाद कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया है। इससे पहले आरोपितों की तरफ से वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल और जबलपुर के सीनियर एडवोकेट किशोर श्रीवास्तव ने पैरवी की थी। इस दौरान उन्होंने ईडी कोर्ट के गैर जमानती वारंट को गलत बताया था। जस्टिस रविंद्र अग्रवाल की कोर्ट में सुनवाई के दौरान कपिल सिब्बल ने कहा था कि ईडी कोर्ट यह निर्देशित नहीं कर सकती कि सौरभ चंद्राकर और रवि उप्पल को गिरफ्तार करें। रायपुर की विशेष अदालत की ओर से जारी गैर जमानती वारंट के खिलाफ एप प्रमोटर सौरभ चंद्राकर और रवि उप्पल ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की है।
हाई कोर्ट ने राज्य शासन से पूछा- स्कूलों में शिक्षकों की कमी कब तक दूर होगी
हाई कोर्ट ने राज्य शासन को यह बताने के निर्देश दिए हैं कि प्रदेश के स्कूलों में शिक्षकों की कमी दूर करने के लिए भर्ती कब तक होगी। इसके लिए चल रही प्रकिया की जानकारी भी मंगाई है। अगली सुनवाई अक्टूबर में रखी गई है। इस मामले में स्कूल शिक्षा सचिव, संचालक स्कूल शिक्षा, कलेक्टर राजनांदगांव एवं डीईओ राजनांदगांव को जवाब देने को प्रमुख पक्षकार बनाया गया है।
राजनादगांव के डीईओ द्वारा छात्राओं से दुर्व्यवहार और जेल भेजने की धमकी मामले में मंगलवार को चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा व जस्टिस बीडी गुरु की डिवीजन बेंच में सुनवाई हुई। चीफ जस्टिस ने पूर्व में शिक्षकों की कमी वाले स्कूलों में नियुक्ति की जानकारी मांगी थी। राज्य शासन की ओर से वर्तमान में की गई व्यवस्था की जानकारी दी गई। सुनवाई के दौरान शासन की ओर से बताया गया कि, प्रदेश में तकरीबन 267 स्कूल ऐसे हैं, जहां शिक्षकों की कमी है। इनमें से 60 स्कूलों में स्थानीय स्तर पर शिक्षक नियुक्त किए गए हैं। दूरस्थ अंचल के 55 स्कूलों में अन्य स्कूलों से शिक्षकों का समायोजन किया गया है। शेष स्कूलों में नियुक्ति प्रक्रिया की जा रही है।
क्या थी घटना
कुछ समय पहले राजनांदगांव जिले की छात्राएं स्कूल में शिक्षक नहीं होने पर नियुक्ति की मांग को लेकर जिला शिक्षाधिकारी से मुलाकात करने गई थीं। छात्राओं का कहना था कि बिना शिक्षक के उन्होंने 11वीं पास कर ली है, लेकिन 12वीं की परीक्षा कैसे पास कर पाएंगी। छात्राओं की इस जायज मांग पर जिला शिक्षाधिकारी ने छात्राओं से दुर्व्यवहार करते हुए कहा कि, जिंदगी भर जेल में रहोगे तो समझ में आएगा। चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा ने घटना की गंभीरता को देखते हुए स्वतः संज्ञान लेकर जनहित याचिका के रूप में सुनवाई प्रारंभ की है।