कोरबा । कोल इंडिया लिमिटेड (सीआइएल) ने बीमा योजना में बदलाव किया है। 17 सितंबर विश्वकर्मा जयंती से नियमित कर्मचारियों का एक करोड़ व ठेका श्रमिकों को 40 लाख रुपये तक बीमा कवर मिलेगा। खदान में होने वाली दुर्घटना के साथ ही अब खदान से बाहर हुई दुर्घटना पर भी आश्रितों को क्लेम मिलेगा। वर्ष 2004-05 में कोल इंडिया ने नेशनल इंश्योरेंस कंपनी के साथ समझौता किया था।
प्रत्येक कर्मियों के लिए 464 रुपये शुल्क निर्धारित किया गया था। समझौता के मुताबिक दुर्घटना में मौत होने पांच लाख रूपये का भुगतान किया जाना था। भारतीय कोयला खदान मजदूर संघ बिलासपुर के महामंत्री अशोक सूर्यवंशी ने बताया कि इंश्योरेंस कंपनी ने दुर्घटना से हुए मौत के कुछ मामले में ही क्लेम का भुगतान किया। इसके बाद इंश्योरेंस कंपनी ने नाता तोड़ लिया। तब से अभी तक किसी भी इंश्योरेंस कंपनी से कोल प्रबंधन ने दुर्घटना बीमा को लेकर समझौता नहीं किया था।
वर्ष 2015-16 में श्रमिक संगठन ने जेबीसीसीआइ की बैठक में खदानों में हो रही दुर्घटना के बाद मृतक के आश्रितों को बीमा योजना का लाभ नहीं मिलने की मसला उठाया, तब खदान के अंदर होने वाली दुर्घटना के मामलों में स्वजनों को कंपनी की तरफ से 15 लाख रूपये देने प्रदान किए जाने पर सहमति बनी थी। यही पालिसी अभी तक चल रही थी, अब प्रत्येक नियमित कोल कर्मियों का एक करोड़ रूपये का बीमा कराया जाएगा। कोल इंडिया अध्यक्ष पीएम प्रसाद की अध्यक्षता में कोयला कंपनियों के सीएमडी की बैठक हुई थी। इसमें भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआइ) के अधिकारी भी शामिल हुए और एक करोड़ रूपये के बीमा योजना को अंतिम रूप दिया गया था।
2.50 स्थाई व 1.05 लाख ठेका कर्मियों को मिलेगा लाभ
कोल इंडिया के 2.5 लाख स्थाई कर्मियों को इसका लाभ मिलेगा। इसमें साऊथ ईस्टर्न कोलफिल्ड्स लिमिटेड (एसईसीएल) के 39 हजार कर्मी भी शामिल है। साथ ही कोयला खदानों में कार्यरत एक लाख पांच हजार ठेका श्रमिकों को भी नई बीमा योजना का लाभ मिलेगा। बीमा का लाभ लेने के लिए कर्मियों को कितनी राशि जमा करना होगा, इस पर अभी अंतिम निर्णय नहीं लिया गया है। सीआइएल व एसबीआइ के मध्य एमओयू होने के बाद राशि स्पष्ट हो पाएगी।
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