एक अच्छी शिक्षा को न केवल मन, बल्कि हृदय और आत्मा के विकास पर केंद्रित होना चाहिए। विज्ञान और प्रौद्योगिकी इस बात से संबंधित हैं कि हम प्राकृतिक दुनिया के साथ कैसे संवाद करते हैं। शिक्षा हमें अपनी क्षमता का एहसास कराती है, जिसके माध्यम से एक व्यक्ति को एक सरल जीवनशैली और उच्च आदर्शों के साथ खुद को प्रेरित करने में सक्षम होना चाहिए।
शिक्षा एक आत्म-विजय की प्रक्रिया है, जिसके लिए आत्मनियंत्रण, जागरूकता, अंतर्दृष्टि और बुद्धि की आवश्यकता होती है। एक अच्छी शिक्षा को न केवल मन, बल्कि हृदय और आत्मा के विकास पर केंद्रित होना चाहिए। यदि हृदय और आत्मा की उपेक्षा की जाती है, तो कोई भी शिक्षा पूर्ण नहीं कही जा सकती। एक व्यक्ति, जो अपने शरीर, हृदय, मन और आत्मा में सामंजस्यपूर्ण तालमेल बिठा लेता है, तो उसे संपूर्ण कहा जाता है।
शिक्षा के मानक को कम करने का अर्थ है इसकी गुणवत्ता को नष्ट करना
शिक्षा ही जीवनधारा को सही दिशा देने में सक्षम है। शिक्षक अंधकारमय जीवन में उजाले की एक किरण है। शिक्षक को बच्चों को अपना सर्वश्रेष्ठ देना चाहिए। शिक्षा की गुणवत्ता पर हमेशा जोर दिया जाना चाहिए। इसके लिए अन्य सभी कारकों को दूसरे स्थान पर रखा जाना चाहिए। यदि इसमें किसी प्रकार का समझौता किया जाता है, तो परिणाम भयानक हो सकता है। शिक्षा के मानक को कम करने का अर्थ है इसकी गुणवत्ता को नष्ट करना। शिक्षा में गुणवत्ता और गहराई, दोनों होनी चाहिए।
यदि हम विद्यार्थियों के सक्रिय मस्तिष्क को शिक्षा से जोड़ने में असमर्थ हैं, तो शैक्षिक प्रक्रिया सुस्त और नीरस हो जाती है। अनिच्छा से सीखना अंततः मृत ज्ञान में बदल जाता है, जो अज्ञानता से भी बदतर है। सीखना एक मानसिक गतिविधि है। शिक्षा बस रटकर जानकारी याद करना भर नहीं है। हम जो कुछ भी सीखते हैं, उसका उपयोग करने, उसका परीक्षण करने और उसे नए तरीकों से संयोजित करने में सक्षम होना चाहिए। विज्ञान का उपयोग उपयोगी कार्यों के लिए किया जाना चाहिए। शोध और अध्ययन की खोज में, हमें जिज्ञासा और प्रतिबद्धता की भावना विकसित करनी चाहिए।
शिक्षा हमें अपनी क्षमता का एहसास कराती है, जिसके माध्यम से एक व्यक्ति को एक सरल जीवनशैली और उच्च आदर्शों के साथ खुद को प्रेरित करने में सक्षम होना चाहिए। शुद्ध तर्क का पूर्ण उपयोग हमें भौतिक से आध्यात्मिक ज्ञान की ओर ले जाता है। प्राकृतिक, सामाजिक और आध्यात्मिक तीन अलग-अलग प्रकार के अस्तित्व हैं। ये एक-दूसरे से जुड़े हुए हैं। विज्ञान और प्रौद्योगिकी इस बात से संबंधित हैं कि हम प्राकृतिक दुनिया के साथ कैसे संवाद करते हैं। सामाजिक विज्ञान अध्ययन करता है कि हम समाज और उसके दर्शन में कैसे फिट होते हैं। साहित्य और कला इस बात पर केंद्रित हैं कि हम नैतिकता या आध्यात्मिक क्षेत्र से कैसे जुड़े हैं। यह कला हमें एक आदर्श शिक्षक ही सिखा सकता है।