कार्यशाला में विषय विशेषज्ञ के रूप में मौजूद छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय अधिवक्ता नौशीना अली ने महिलाओं की सुरक्षा के लिए उपलब्ध अधिनियमों की जानकारी दी। वही अन्नपूर्णा तिवारी, अधिवक्ता छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय ने कहा कि महिला और पुरुष समान हैं, इसलिए उनके बीच परस्पर सम्मान और सहयोग का भाव होना चाहिए। डीएसपी अनिता प्रभा मिंज ने पुलिस द्वारा संचालित अभिव्यक्ति एप के विषय में जानकारी दी।
बिलासपुर। गुरु घासीदास केन्द्रीय विश्वविद्यालय में महिला अध्ययन केंद्र और आंतरिक शिकायत समिति के संयुक्त तत्वावधान में ‘सेक्शुअल हरासमेंट आफ वूमेन एट वर्कप्लेस (प्रिवेंशन, प्रोहेबिशन एंड रिड्रेसल)’ विषय पर एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया। इसमें महिलाओं की सुरक्षा, संवैधानिक अधिकारों और समाज में संस्कार संवर्धन के महत्व पर जोर दिया गया।
परिवार में संस्कार संवर्धन अनिवार्य
कुलपति चक्रवालकार्यक्रम के उद्घाटन अवसर पर कुलपति आलोक कुमार चक्रवाल ने परिवार में संस्कार संवर्धन की अनिवार्यता पर बल देते हुए कहा कि परिवार का यह दायित्व होना चाहिए कि घर के बच्चे अध्ययन के साथ-साथ सामाजिक मूल्य और महिलाओं का सम्मान अनिवार्य रूप से सीखें। उन्होंने कहा कि महिलाओं की सुरक्षा के लिए विभिन्न कानून उपलब्ध हैं, लेकिन हमें समाज का वातावरण भी ऐसा बनाना होगा जिससे महिलाएं खुद को सुरक्षित महसूस करें।
कार्यशाला में हुई सक्रिय सहभागिता
कार्यशाला की समन्वयक प्रो. नमिता शर्मा ने स्वागत उद्बोधन दिया और प्रो. पी.जे. मिश्रा ने कार्यशाला का विषय प्रवर्तन किया। अंत में डा. गुंजन पाटिल ने धन्यवाद ज्ञापन किया और डा. शालिनी मेनन ने संचालन किया। इस अवसर पर विश्वविद्यालय के विभिन्न विभागों के अधिष्ठाता, विभागाध्यक्ष, अधिकारी, शिक्षक और छात्र-छात्राएं उपस्थित रहे।
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