छत्तीसगढ़ के बस्तर जिले के बोदली गांव में नक्सली गतिविधियों का खात्मा हो गया है। यह गांव जो कभी नक्सली गतिविधियों के लिए अति संवेदनशील माना जाता था, अब नक्सलियों से पूरी तरह मुक्त हो चुका है। गांव में न अब नक्सली पोस्टर-बैनर दिखते हैं और न ही नक्सली गतिविधियां होती हैं। पिछले कई महीनों से गांव में न नक्सली हमले हुए हैं और न ही किसी ने सरेंडर किया है। यह सब ‘नियद नेल्ला नार’ (आपका अच्छा गांव) अभियान के कारण संभव हो पाया है।
करीब पांच महीने पहले शुरू हुए इस अभियान के तहत सबसे पहले गांव की बंद पड़ी राशन दुकान को खोला गया और उसमें अनाज और दूसरी जरूरी चीजों का भंडारण किया गया। इसके बाद नया पंचायत भवन बनाया गया, अस्पताल और प्राइमरी स्कूल खोले गए। नल-जल योजना के तहत घर-घर पानी पहुंचाया गया। अधूरी पड़ी पुलिया का निर्माण कराया गया, जिससे गांव शहर से जुड़ गया। इन मूलभूत सुविधाओं के पहुंचने से नक्सली गतिविधियों पर लगाम लगी है।
गांव के निवासी सोमारू ने बताया कि पहले पुलिस कैंप से ही सारी सुविधाएं मिलती थीं और नक्सली गांव के पिछड़ेपन की कहानी बताकर युवाओं, महिलाओं और बच्चों को बरगलाते थे। लेकिन अब गांव में मूलभूत सुविधाओं के आने से नक्सलियों का गांव में आना-जाना भी लगभग बंद हो गया है।
नियद नेल्ला नार अभियान के तहत बस्तर संभाग के 50 गांवों में विकास के जरिए नक्सली गतिविधियों को खत्म करने की कोशिश की जा रही है। इन गांवों में लोगों को बुनियादी सुविधाओं के साथ मुफ्त बिजली और अन्य सुविधाएं उपलब्ध करवाई जा रही हैं। गांवों को सड़कों के जरिए शहरों से जोड़ा जा रहा है। बीजापुर, दंतेवाड़ा और सुकमा जैसे क्षेत्रों में यह अभियान तेजी से चल रहा है और लोगों का सरकार के प्रति नजरिया बदल रहा है।
बोदली अकेला ऐसा गांव नहीं है जहां विकास के जरिए नक्सलवाद की जड़ें कमजोर हुई हैं। नियद नेल्ला नार अभियान के तहत अन्य गांवों में भी नक्सली गतिविधियों पर लगाम लगाई जा रही है और यह साबित हो रहा है कि विकास के जरिए नक्सलवाद को खत्म किया जा सकता है।
यह अभियान न केवल गांवों की तस्वीर बदल रहा है बल्कि बस्तर जिले को भी एक नई दिशा में ले जा रहा है। ‘आपका अच्छा गांव’ मुहिम ने साबित कर दिया है कि जब गांवों में विकास होता है तो नक्सलवाद जैसी समस्याओं का समाधान संभव है।