बिलासपुर। सड़कों पर बेसहारा मवेशियों के जमावड़ा और हो रही सड़क दुर्घटनाओं को लेकर हाई कोर्ट की सख्ती के बाद राज्य शासन ने जिम्मेदारी तय कर दी है। पीड़ितों को क्षतिपूर्ति के लिए उपभोक्ता फोरम में मामला दायर करने की छूट भी दी है। पीड़ित पक्ष निकाय, राज्य, केन्द्र सरकार व टोल टैक्स वसूलने वालों को पक्षकार बना सकेंगे। इसके अलावा अन्य प्रकार की क्षतिपूर्ति के लिए उसे मोटर दुर्घटना दावा अधिकरण के समक्ष मामला दायर करना होगा।
छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट की सख्ती के बाद राज्य शासन ने प्रदेशभर के निकायों के अलावा कलेक्टरों ने आदेश जारी कर दिया है। सड़कों पर मवेशियों के कारण होने वाले हादसों को रोकने के लिए अब जिम्मेदारी तय कर दी है। जिला प्रशासन, नगर पालिका तथा नगर पंचायतों को राज्य शासन ने पत्र लिखकर हिदायत दी है।
सड़कों पर मवेशियों को हटाने में लापरवाही बरतने वाले अफसरों, कर्मचारियों या जिम्मेदारों के खिलाफ एकपक्षीय विभागीय कार्रवाई की चेतावनी दी है। महाधिवक्ता कायालय के पत्र के बाद नगरीय प्रशासन सचिव ने प्रदेशभर के कलेक्टर, नगर निगम, नगर पालिका और नगर पंचायतों के सीएमओ को निर्देशों का कड़ाई से पालन करने कहा है। पूरी कवायद हाई कोर्ट की नाराजगी और शासन को जारी नोटिस के बाद किया गया है।
9 सितंबर 2015: हाई कोर्ट ने कहा- अफसर बाहर निकलकर देखें कि क्या हो रहा है।
10 अक्टूबर 2016: हाई कोर्ट ने राज्य सरकार से कहा कि सड़कों पर नजर रखें।
• 11 जुलाई 2017: कलेक्टर की अध्यक्षता में कमेटी का गठन करने का निर्देश।
• 10 अगस्त 2018: पूर्व सैनिकों की याचिका पर कोर्ट में हुई सुनवाई।
• साल 2019: जनहित याचिकाएं लगाई गई, हाई कोर्ट ने सड़कों पर से मवेशियों को हटाने और सुरक्षित जगह पर शिफ्ट करने शासन को दिया था निर्देश।
फैक्ट फाइल
– जनवरी से अब तक 73 हादसे, इसमें 55 लोगों की मौत हो गई।
– प्रदेश के राष्ट्रीय राजमागों पर 52 ऐसे स्थान हैं, जहां पर मवेशियों के कारण सबसे ज्यादा हादसे होते हैं। रायपुर-बिलासपुर मार्ग सबसे ज्यादा खतरनाक है।
– वर्तमान में जनवरी से अभी तक मवेशियों के कारण 73 सड़क हादसे हुए हैं। इनमें 55 लोगों की मौत हुई है और 23 लोग घायल हुए हैं।