Marhi Mata Mandir In Pendra: इस मंदिर के सामने ट्रेनों की रफ्तार हो जाती है धीमी, बलि देने की है अनोखी प्रथा…!
छत्तीसगढ़ में सतपुड़ा के घोर जंगल के बीच बसा छोटा सा गांव भनवारटंक बेलगहना (भनवारटंक) मरही माता मंदिर की महिमा की वजह से प्रसिद्ध है। यहां भक्तों की हर मनोकामना पूरी होती है। यहां शनिवार एवं रविवार को हजारों की भीड़ में लोग दूर -दूर से से अपनी मन्नत एवं परिवार की खुशहाली के लिए माता रानी के दर्शन के लिए आते हैं।
भनवारटंक रेलवे स्टेशन से करीब चार सौ मीटर की दूरी पर रेलवे लाईन के किनारे स्थित मरही माता के मंदिर है। केवल पैसेंजर ट्रेनों का ठहराव होने के कारण यहां पैसेंजर ट्रेनो के समय खासी भीड़ उतरती है, जोकि जान जोखिम में डालकर रेलवे ट्रेक से ही होकर आना जाना करते हैं। यह मरही माता का आशीर्वाद ही कहा जाए तो कोई गलत नहीं होगा कि अब तक कोई हादसा यहां नहीं होने पाया है।
मरही माता मंदिर में नवरात्र में बड़ी संख्या में भक्तों की भीड़ पहुंचे है. भक्त यहां मन्नत मांगते हैं और मंदिर में नारियल बांधते हैं. मन्नत पूरी हो जाने पर नारियल में बांधी गई गांठ खोल दी जाती है.ये है मान्यता: मरही माता मंदिर के निर्माण की कहानी भी दिलचस्प है. रेलवे और वन विभाग के कर्मचारियों ने यह मंदिर बनवाया है. साल1984 में इंदौर बिलासपुर नर्मदा एक्सप्रेस रेल हादसे के बाद यह मंदिर बनाया गया. मान्यता है कि मरही माता रेल यात्रियों की रक्षा करती हैं. उनके आशीर्वाद से ही बिलासपुर कटनी रेल रुट में रेल हादसे नहीं होते.
ऐसी मान्यता है कि श्रद्धालु अपनी मन्नतें पूरी होने पर बकरे की बलि आज भी दे रहे हैं, मंदिर जिसके सामने भव्य तालाब है, जिस पर लोग भोजन प्रसाद भण्डारे की व्यवस्था है। भनवारटंक में सभी लोकल ट्रेन रूकती हैं, यहां पर कोई भी प्रकार से मोबाइल का नेटर्वक काम नहीं करता जिससे लोगों को बहुत परेशानिओं का सामना करना पड़ता है. नवरात्रि के समय में मातारानी के मंदिर के सामने से गुजरने वाली ट्रेनों के पहिए अपने आप रुक जाते हैं
इस मंदिर में मंनत पूरी होने के बाद बलि देने की भी परंपरा है. लेकिन नवरात्र में 9 दिनों तक बलि प्रथा पर रोक लगा दी जाती है.मंदिर में कराया जाता है भंडारा:मरही माता के भक्त नवरात्र में भंडारा का आयोजन करते हैं. नवरात्र में ज्योति कलश भी प्रज्ज्वलित किया जाता है. खास बात यह भी है कि मरही माता मंदिर में कोई पंडित नहीं बल्कि गांव के बैगा का परिवार ही माता की पूजा करते हैं. छत्तीसगढ़, मध्यप्रदेश के अलग अलग जिलों से काफी संख्या में श्रद्धालु मरही माता के दर्शन के लिए यहां पहुंचते हैं.
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