खुटाघाट जलाशय का इतिहास जान हैरान हो जाएंगे |History of Ghutaghat Dam And Folklore…!
छत्तीसगढ़ को धान का कटोरा कहलवाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है I उसका कारण है विशालकाय खूंटाघाट बांध; यह जलाशय एक बहुउद्देशीय सिंचाई परियोजना है। इस बांध का निर्माण बिलासपुर जिला में रतनपुर नगर के किनारे पलमा पहाड़ी से निकली खारुन नदी पर किया गया है। इस बांध को अंग्रेज़ सरकार द्वारा सन् 1920-24 में बनाया गया, इसका क्षेत्रफल लगभग 43 हजार एकड़ भूमि पर फैला हुआ है, इस जलाशय की भराव क्षमता 196.32 मिलियन घन मीटर है, वर्तमान में इसमें 85 प्रतिशत जल भरा हुआ है। इस जलाशय के डूबान क्षेत्र में लगभग 20 से 25 गाँव प्रभावित हुए हैं तथा इस जलाशय से 20 हज़ार किसानों को सीधे नहर द्वारा सिंचाई का लाभ प्राप्त कराया जा रहा है l खूंटाघाट जलाशय का निर्माण बहुत कम खर्चों पर एवं कम समय में अंग्रेज़ सरकार के द्वारा बनाया गया है। इस क्षेत्र में बहुत से छोटे-छोटे पहाड़ हैं जिसके कारण इस स्थान को चयनित करके बांध बनाना उचित समझा गया। इस बांध को बनाने का मुख्य उद्देश्य गाँव-गाँव तक नहर के माध्यम से सिंचाई को बढ़ावा देकर, धान की उत्पादन क्षमता को बढ़ाना था।
बरसात के दिनों में अगर आप पिकनिक, पर्यटन स्थल ढूंढ रहे हैं, जिससे आपके मन में फ्रेश और शांति महसूस हो, तो आपको खुटाघाट जलाशय एक बार जरूर घूमकर आ जाना चाहिए। भरपूर देखने को मिलेगा। प्रत्येक वर्ष हजारों की संख्या में पर्यटक यहाँ घूमने को पहुंचते हैं।दोस्तों आप इसी से अनुमान लगा सकते है की यह बांध कितना बड़ा होगा।
इस बांध को बनाते समय यहां जंगल हुआ करता था, जिसमे बहुत सारे पेड़-पौधे हुआ करते थे। बाँध के निर्माण के समय पेड़ो को काटा नहीं गया, जिससे वह पेड़ पानी के अंदर ही रह गया। पानी के अंदर रहने की वजह से वह पेड़ ठूठ में परिवर्तन हो गया, जो इतना मजबूत हो गया की कुल्हाड़ी से काटने पर उल्टा चोट पहुंचाते थे।
जिसे छत्तीसगढ़ की स्थानीय भाषा में “खूंटा” कहते हैं, इसी से संजय गांधी जलाशय का नाम खूंटाघाट बांध पड़ा।
आसपास के लोग आज भी इस बाँध के अंदर पायी जानी वाली लकड़ी को काटकर लाठी बनाकर, यादकार के तौर पर रखा हुआ है।
खूटाघाट बांध कब जाये, कैसे जाये
आप खुटाघाट बांध कभी भी जा सकते हैं, लेकिन आपको पसंद हैं तो आप बरसात के समय में जाना चाहिए। बांध का देखने का आनंद ही कुछ और हैं। बांध में नहाना सख्त मना हैं, कहा जाता हैं, इस बांध में बहुत सारे मगरमच्छ हैं। लेकिन जब हम लोग गए थे तो देखने को नहीं मिला।
खुटाघाट जलाशय बिलासपुर जिला में स्थित हैं। जो बिलासपुर से 32Km तथा रतनपुर से मात्र 7Km की दुरी में स्थित हैं। जो बिलासपुर-अंबिकापुर हाइवे से होते हुए आप पहुंच सकते हैं।
खुटाघाट डेम को जब आप सबसे पहला बार सीढ़ियों से जड़कर ऊपर जाते हुए, बांध को देखोगे तो मैं गारंटी लेता हूँ, आपके दिलों-दिमाग में शांति, आनंद के सिवा और कुछ दिखाई नहीं देगा।
आप वहां को देखकर मंत्र मुग्ध हो जायेंगे। बरसात के समय बांध से ऊपर जाते हुए आपको झरने सा प्रतीत होगा। जिसमे आपका मन तैरने को ललायित होगा।
अगर आप शौक़ीन है तो तो वहां के छोटे से पहाड़ में खड़ी चढाई करके ऊपर जा सकते है। जहाँ से आपको बिल्कुल इक नया अनुभव होगा।
इस बांध के बीच में एक भगवन शिव का मंदिर हैं, जो गर्मी के समय में ही पहुंच सकते हैं, बाकी समय यह मंदिर पानी में डूबा रहता हैं। सुबह 9बजे से शाम के 4बजे तक वहां बोटिंग भी कराई जाती हैं। जिसमे जाकर आप आनंद का अनुभव ले सकते हैं।दोस्तों खुटाघाट बांध को भी विजिट करके देख लीजिये। यहां आपको बहुत सुन्दर-सुन्दर नज़ारे देखने को मिल सकता हैं।वहां हम बिना बात किये घंटो बिता कर आये हैं। पता नहीं हमारा समय कैसे गुजरता हैं, पता ही नहीं चलता। आप भी वहां जाकर मस्ती-मनोरंजन कीजियेगा। बहुत अच्छा लगता हैं।
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