क्या है नर्मदा नदी की उत्पत्ति की कहानी? जानें इससे जुड़े इन रोचक तथ्यों के बारे में.…!

राजेन्द्र देवांगन
6 Min Read

आइए जानें भारत की सबसे लंबी नदियों में से एक नर्मदा की कहानी और इससे जुड़े कुछ रोचक तथ्यों के बारे में..!


भारत में जब भी नदियों की बात आती है गंगा और यमुना के बाद नर्मदा का नाम सबसे ऊपर होता है। न जानें कितनी धार्मिक प्रथाओं को खुद में समेटे हुए ये खूबसूरत नदी सदियों से बहती जा रही है और अपना पवित्र जल दूसरों तक पहुंचा रही है। चाहे अमरकंटक का घाट हो या ओंकारेश्वर का किनारा ये नदी अपने आप में ही पवित्रता का प्रतीक है और हिन्दुओं के बीच न जाने कितने समय से पूजी जाती रही है। यह नदी भारत के पश्चिम में बहने वाली सबसे बड़ी नदी है।

यह नदी मध्य प्रदेश में स्थित अमरकंटक की पहाड़ियों से निकलती है। भ्रंश के कारण यह नदी भ्रंश घाटी में पश्चिम से पूर्व की ओर बहती है और यह नदी एक गहरे कण्ठ से होकर बहती है, जो इसके आस-पास के स्थान को एक सुरम्य स्थान बनाती है। अपनी जल धारा से दूसरों को सुसज्जित करने के साथ ये नदी न जाने कितनी कही अनकही कथाओं को अपने आप में समेटे हुए निरंतर बहती जा रही है। आइए जानें इस नदी से जुड़े कुछ ऐसे रोचक तथ्यों के बारे में जो आपने शायद पहले नहीं सुने होंगे।

कहां से होती है नर्मदा की उत्पत्ति

नर्मदा नदी को रेवा के नाम से भी जाना जाता है। यह मध्य भारत की एक नदी और भारतीय उपमहाद्वीप की पांचवीं सबसे लंबी नदी है। यह गोदावरी नदी और कृष्णा नदी के बाद भारत के अंदर बहने वाली तीसरी सबसे लंबी नदी है। मध्य प्रदेश राज्य में इसके विशाल योगदान के कारण इसे “मध्य प्रदेश की जीवन रेखा” भी कहा जाता है। यह उत्तर और दक्षिण भारत के बीच एक पारंपरिक सीमा की तरह कार्य करती है। यह अपने उद्गम से पश्चिम की ओर 1,312 किमी चल कर खंभात की खाड़ी, अरब सागर में जा गिरती है। नर्मदा, मध्य भारत के मध्य प्रदेश और गुजरात राज्य में बहने वाली एक प्रमुख नदी है। मैकल पर्वत के अमरकंटक शिखर से नर्मदा नदी की उत्पत्ति हुई है। इसकी लंबाई लगभग 1312 किलोमीटर है जो इसे भारत की सबसे लंबी नदी के रूप में प्रस्तुत करती है।

नर्मदा की हैं कई सहायक नदियां

नर्मदा की अधिकांश सहायक नदियां छोटी हैं और समकोण पर मिलती हैं। नर्मदा बेसिन देश के कुल भौगोलिक क्षेत्र का लगभग 3% यानी 98,796 वर्ग किलोमीटर में फैली हुई है। नर्मदा नदी की 41 सहायक नदियां हैं। बर्नर नदी इसकी पहली बड़ी सहायक नदी है जो बाईं ओर से नर्मदा में मिलती है। यह बंजार को बाईं ओर से और नीचे की ओर से प्राप्त करती है।

यह मध्य भारत में है और पांचवीं सबसे लंबी नदी है। नर्मदा का स्रोत नर्मदा कुंड है जो मध्य प्रदेश के अनूपपुर जिले के अमरकंटक में स्थित है। 

उल्टी दिशा में बहती है नर्मदा नदी

नदियों की दिशा के विपरीत यह नदी उल्टी दिशा में बहती है और इसकी ये खूबी इसे सभी नदियों से अलग बनाती है। गोदावरी और कृष्णा के बाद नर्मदा तीसरी सबसे लंबी नदी है जो पूरी तरह से भारत के भीतर बहती है। मध्य प्रदेश के लोग पूरी तरह से नर्मदा नदी पर निर्भर हैं। लोग नर्मदा नदी को मध्य प्रदेश की जीवन रेखा मानते हैं। यह भारत की प्रमुख नदियों में से एक है जो ताप्ती और माही के साथ पूर्व से पश्चिम की ओर बहती है। यह मध्य प्रदेश (1,077 किमी), महाराष्ट्र (74 किमी) और गुजरात (161 किमी) राज्यों से होकर बहती है।

नर्मदा से जुड़ी है एक पौराणिक कथा

नर्मदा नदी से जुड़ी एक पौराणिक कथा के अनुसार यह नदी एक कुंवारी नदी के रूप में प्रचलित है। इसकी पौराणिक कथा के अनुसार सोनभद्र और नर्मदा दोनों के घर पास थे और अमरकंटक की पहाड़ियों में दोनों का बचपन बीता। दोनों किशोर हुए तो लगाव और बढ़ा हुए एक दूसरे के प्रेम में पड़ गए । दोनों ने साथ जीने की कसमें खाई, लेकिन अचानक दोनों के बीच में नर्मदा की सहेली जुहिला आ गई। सोनभद्र जुहिला के प्रेम में पड़ गया। नर्मदा को यह पता चला तो उन्होंने सोनभद्र को समझाने की कोशिश की, लेकिन सोनभद्र नहीं माना। इससे नाराज होकर नर्मदा दूसरी दिशा में चल पड़ी और हमेशा कुंवारी रहने की कसम खाई। कहा जाता है कि इसलिए सभी प्रमुख नदियां बंगाल की खाड़ी में मिलती हैं,लेकिन नर्मदा अरब सागर में मिलती है। आज भी यह नदी अन्य नदियों से विपरीत दिशा में बहती है जो किसी आश्चर्य से कम नहीं है। 

वास्तव में ये नदी अन्य नदियों की तुलना में कुछ अलग है और अपनी पवित्रता को बनाए हुए है। मान्यता है कि गंगा नदी के जल से स्नान करने से जहां भक्तों के कष्ट दूर होते हैं वहीं नर्मदा मात्र से पुण्य फल की प्राप्ति होती है।

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