Bilaspur News: हाई कोर्ट ने कहा- रक्षा मंत्रालय एयरपोर्ट क्षेत्र की जमीन को लेकर पेश करे अपना पक्ष..!
बिलासपुर। हवाई सुविधा विस्तार की मांग को लेकर दायर जनहित याचिका पर शुक्रवार को जस्टिस गौतम भादुड़ी व जस्टिस पी सैम कोशी के विशेष डिवीजन बेंच में सुनवाई हुई। विशेष खंडपीठ ने बिलासपुर एयरपोर्ट के फोर सी आइएफआर स्तर तक विकास के लिये लगी जनहित याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए रक्षा मंत्रालय को उसके कब्जे वाली जमीन एयरपोर्ट विकास के लिए वापस किये जाने की मांग पर अपना पक्ष रखने कहा।
चार मार्च 2021 के बाद शुक्रवार को पहली बार छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट में जनहित याचिकाओं की सुनवाई हुई। गौरतलब है कि पूर्व में लगातार मानिटरिंग होने पर एक मार्च 2021 से बिलासा बाई केंवट एयरपोर्ट पर नियमित विमान सेवा प्रारंभ हो पाई थी। सुनवाई के दौरान पत्रकार कमल दुबे की तरफ से उपस्थित वरिष्ठ अधिवक्ता आशीष श्रीवास्तव ने खंडपीठ को अब तक की स्थिति के बारे में जानकारी दी। हाई कोर्ट प्रैक्टिसिंग बार एसोसिएशन के तत्कालीन अध्यक्ष संदीप दुबे की ओर से दायर जनहित याचिका पर पैरवी करते हुए अधिवक्ता सुदीप श्रीवास्तव ने वर्तमान में आवश्यक कार्यो और जमीन की आवश्यकता पर तकनीकी बिंदुओं के साथ विशेष खंडपीड़ के समक्ष जानकारी पेश की। विशेष खंडपीठ को बताया कि नाइट लैंडिंग कार्य के लिये सिविल और इलेक्ट्रिकल दोनों तरह के कार्य होने है। जिस पर एयरपोर्ट आथारिटी आफ इंडिया को तकनीकी मार्गदर्शन के साथ ही देखरेख भी करना है। इसके लिए एयरपोर्ट अथारिटी आफ इंडिया(एएआइ) को निर्देश दिया जाना आवश्यक है। वहीं नाइट लैंडिंग उपकरणों की स्थापना वर्तमान रनवे 1500 मीटर के अलावा 300 मीटर बाहर तक होनी है और यह जमीन सेना के कब्जे में है। राज्य के एडवोकेट जनरल सतीशचंद्र वर्मा ने इस बात पर सहमति देते हुए कहा कि 28 एकड जमीन की तुरंत आवश्यकता है। खंडपीठ को यह भी बताया गया कि सेना के कब्जे में कुल 1012 एकड जमीन है जो 2011 के भूअधिग्रहण के बाद से खाली पडी है। सेना ने अपना ट्रेनिंग सेंटर और छावनी का प्रोजेक्ट को स्थगित कर दिया है। इस जमीन में से 270 एकड जमीन 2885 मीटर रनवे और फोर सी आइएफआर एयरपोर्ट के लिए आवश्यक है।
रक्षा मंत्रालय और एएआइ के अधिवक्ताओं ने मदद का दिलाया भरोसा
केंद्र सरकार और रक्षा मंत्रालय की ओर से उपस्थित उप सालिसिटर जनरल रमाकांत मिश्रा ने इस मसले पर रक्षा मंत्रालय से निर्देश लेकर पक्ष रखने की बात कही। एएआइ की ओर से अधिवक्ता अनुमेह श्रीवास्तव ने नाइट लैंडिंग कार्य में आवश्यक तकनीकी मदद का भरोसा दिया। सुनवाई के अंत में खंडपीठ में आदेश पारित करते हुए रक्षा मंत्रालय को तुरंत 28 एकड भूमि उपलब्ध कराने और शेष अन्य भूमि जिसकी आवश्यकता बिलासपुर एयरपोर्ट विकास के लिये है,स्पष्ट रूप से अपना पक्ष रखने का निर्देश दिया है। जनहित याचिका की अगली सुनवाई 24 मार्च को रखी गई है।
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