किशोरों पर अदृश्य षडयंत्रकारी नजरें”
यदि आप किशोर वय बच्चों के माता पिता हैं तो हो जाइए सावधान…!

राजेन्द्र देवांगन
8 Min Read
रिपोर्टर सीता टंडन

किशोरों को अपराध के दलदल में धकेलने की अदृश्य फैक्ट्री…!

जिला जांजगीर के अभिभावकों को जागरूक रहने की आवश्यकता है । उनके युवा होते बेटे किसी की नजर में है । 90 के दशक में एंग्री यंग मैन वाली फिल्मों में अक्सर इस तरह की कहानी हुआ करती थी और वह कहानी आज जांजगीर में दोहराई जा रही है । जिला जांजगीर में रहने वाले अमित ( बदला हुआ नाम ) पहले एक अच्छे परिवार का युवा था । अच्छे परिवार से ताल्लुक रखने वाला अमित थोड़ा लापरवाह और कुछ बेपरवाह था अपनी लापरवाही और बेपरवाही में उसकी दोस्ती कुछ ऐसे लोग ऐसे लोगों से हुई जो कानून तोड़ने और कानून का मजाक बनाने में विश्वास करते थे और निश्चित रूप से ऐसे लोग गलत काम भी किया करते थे उनकी संगत में आकर अमित को भी कानून के खिलाफ जाकर काम करना हिम्मत और बहादूरी का काम लगता था । जब अमित नो एंट्री में घुस कर नियम तोड़ते हुए पुलिस अधिकारियों को धता बताकर निकल जाता उसके गिरोह के दोस्त दांतों तले उंगली दबा लेते थे और अमित की बहादुरी और हिम्मत को सराहते थे । ऐसे में अमित को खुद में खुद को एक विद्रोही हीरो की तरह महसूस करता था जो किसी नियम कानून को नहीं मानता । ऐसे लोगों की संगत में रहकर और उनके द्वारा ही ऐसे कामों में प्रोत्साहन और लोगों का अमित के काम को देखकर आश्चर्य से भर जाना अमित को उकसाता था कुछ दिनों बाद अमित ने ऐसे काम करना शुरू कर दिया जो कानून की नजर में अपराध था लेकिन अमित उसे कर रहा था अपनी हिम्मत और ताकत दिखाने के लिए और जैसा कि होना था वह एक दिन पुलिस से पकड़ा जाता है लेकिन अब उसके वहीं दोस्त जिन्होंने उसे इन कामों को करने पर हिम्मत बढ़ाई थी वह उससे मुंह नहीं फेरते बल्कि उसे पुलिस से छुड़ा लेते हैं । अब अमित की दोस्ती उन लोगों से और बढ़ जाती हैं और अमित अपने उन दोस्तों पर विश्वास करना शुरू कर देता है कि ये दोस्त सच्चे हैं और घरवाले मतलबी जिन्होंने उसे छुड़ाने की कोशिश नहीं की केवल उसे ही फटकारते रहे । कुछ दिन शांत रहने के बाद अमित फिर ऐसे ही कानून विरोधी काम करता है और पकड़ा जाता है यहां फिर उसके वहीं दोस्त काम आते हैं । यह क्रम चार से पांच बार चलता है और अब अमित पूरी तरह उनका अहसान मंद हो चुका है और वो अपने दोस्तो पर पूरी तरह विश्वास करने लगा है साथ ही गलत काम करने के एवज में कम उम्र में ही हाथ में रुपए आना अमित को इस गिरोह से पूरी तरह बांध देता है । यहां अमित के घरवालों का कहना था कि जब वे अमित के लिए मदद मांगने लोगों से मिले अप्रत्याशित रूप से उनकी मदद के लिए हां बोलकर लोग पलट गये और घरवाले अमित की मदद नहीं कर पाये और अमित की मदद उसके दोस्तों ने की और अमित परिवार वालों से दूर से बहुत दू्र होता गया । अब इधर अमित को उसके दोस्तों के गिरोह ने कुछ ऐसे काम करने कहा जिससे वो सीधे-सीधे कानून और समाज की नजर में अपराधी सिद्ध हो जाता लेकिन अमित न चाहते हुए भी अपने दोस्तों की बात माननी थी क्योंकि दोस्तों के अहसान से दबा था और साथ ही अमित को यह भी आश्वासन मिला कि उसे पुलिस से बचाया जायेगा और सच में पुलिस से बचाया गया लेकिन उसके एवज में परिवार पूरी तरह छूट गया ,

समाज की नजरों में अपराधी हो गया और उस गिरोह के मुखिया या बास जो अब अमित के सामने खुलकर आ चुका था और वहीं उसे सीधे बात करता था , उसकी बात मानने के सिवाय कोई चारा नहीं था कुल मिलाकर अमित उनकी हाथों का खिलौना बन गया था और उससे हर वह आपराधिक कार्य कराये जा रहे थे जो कानून समाज की नजर में ग़लत था । एक दिन ऐसा भी आता है कि अमित से ऐसा काम कराया जाता है जिसकी कानून की नजर में कोई माफी नहीं थी और अब अमित की आजादी उसके दोस्तों के लिए बहुत महंगी हो गई थी इसलिए आज अमित जेल में हैं और उस गिरोह को उसके जैसे कई अमित मिल चुके हैं जो रुपयों की जरूरत , या अमित जैसे विद्रोही हीरो जैसी भावना , या् तंत्र की चक्की में बेमतलब पिसे और तंत्र से धोखा खाये युवक उसके लिए काम कर रहे हैं लेकिन इनमें सामान्य बात यह है कि इन सभी युवाओं को चाहे वह मध्यम वर्गीय परिवार से हो या निम्न वर्ग से सभी को एक ही तरीके से इस गिरोह में योजना के तहत शामिल किया गया है । इन सभी युवाओं को पहले गलत काम के लिए उकसाया गया , उन्हें पुलिस से कई बार बचाया गया और की बार मदद के एहसान तले दबे इन युवाओं को कानून विरोधी काम करने दबाव बनाया गया और अंत में या तो वे मार दिए गए या उन्हें जेल जाना पड़ा इसलिए जांजगीर के अभिभावकों को अपने युवा होते पुत्रो पर बहुत ज्यादा ध्यान देने की जरूरत है खासकर उन युवाओं पर जिनमें थोड़ी भी प्रतिभा के साथ तंत्र से भिड़ जाने की क्षमता या बागी प्रवृत्ति है ऐसे युवाओं को पहले तो छोटे-मोटे अपराधों में राजनैतिक संरक्षण देकर विश्वास हासिल किया जाता है फिर अपराधी का ठप्पा लगने के बाद इन्हें कभी भू-माफिया के गुर्गे के तौर पर लोगों को धमकाने , मार-पीट करने भेजा जाता है और कभी अपने राजनीतिक फायदे के लिए जिस तरह चाहे इस्तेमाल किया जाता है इसलिए जांजगीर के साथ आसपास के अभिभावकों को अपने युवा पुत्रो की गतिविधियां पर नजर रखने की बहुत जरूरत है और साथ ही इस विषय में सच्चाई पता कर कुछ इस तरह की व्यवस्था अभिभावक और पुलिस प्रशासन मिलकर बनाये कि इनके घटिया इरादे किसी युवा का सुनहरा भविष्य बर्बाद न कर सके और उनके कुत्सित इरादे पर पानी फिर जाये ।


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