Chhattisgarh Bastar : बस्तर से खत्म हो रहा ‘लाल आतंक’… छत्तीसगढ़ पुलिस ने 2020 से माओवादियों के आठ आपूर्ति नेटवर्क किए ध्वस्त… 38 मददगारों की हुई गिरफ्तारी…

राजेन्द्र देवांगन
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ब्यूरो रिपोर्ट सत्येंद्र सिंह

Chhattisgarh Bastar : बस्तर से खत्म हो रहा ‘लाल आतंक’… छत्तीसगढ़ पुलिस ने 2020 से माओवादियों के आठ आपूर्ति नेटवर्क किए ध्वस्त… 38 मददगारों की हुई गिरफ्तारी...

छत्तीसगढ़ में बस्तर पुलिस ने पिछले दो साल में माओवादियों के आठ अहम आपूर्ति नेटवर्क ध्वस्त किये हैं तथा कम से कम 38 लोगों को गिरफ्तार किया है। एक वरिष्ठ अधिकारी ने यह जानकारी दी और कहा कि इस तरह पुलिस इस प्रतिबंधित संगठन को मिलने वाली चिकित्सा सहायता, विस्फोटक एवं अन्य प्रकार के सहयोग पर काफी हद तक अंकुश लगाने में कामयाब रही है।

अधिकारी ने कहा कि इस दौरान 40 से अधिक नये पुलिस शिविरों की स्थापना से भी इस काम में मदद मिली और इन शिविरों ने माओवादी कूरियर (उन्हें सामान पहुंचाने वालों) की अंतर-राज्यीय आवाजाही पर नजर रखी। उनके अनुसार इनमें से ज्यादातर शिविर माआवादियों के आपूर्ति गलियारे के इर्द-गिर्द हैं। पुलिस के अनुसार आपूर्ति नेटवर्क को ध्वस्त किया जाना वामपंथी उग्रवाद के विरुद्ध लड़ाई में अहम है क्योंकि यह तीन दशक से बस्तर में सक्रिय माओवादियों के लिए बहुत बड़ी ताकत है। बस्तर क्षेत्र में सात जिले- बस्तर, कांकेर, कोंडागांव, दंतेवाड़ा, नारायणपुर, बीजापुर और सुकमा आते हैं।

कुल 38 माओवादी हुए गिरफ्तार
पुलिस महानिरीक्षक (बस्तर रेंज) सुंदरराज पी ने बताया कि पिछले कुछ साल में पुलिस ने भाकपा (माओवादी) की दंडकारण्य स्पेशल जोनल कमिटी (डीकेएसजेडसी) के विभिन्न निकायों (शिविरों) के आपूर्ति नेटवर्क को बड़ा नुकसान पहुंचाया। बस्तर क्षेत्र में माओवादी गतिविधियों की कमान संभाल रही डीकेएसजेडसी का ही सुरक्षा बलों पर कई जानलेवा हमले करवाने में हाथ रहा है। सुंदरराज ने कहा, ‘2020 के शुरुआती समय से अबतक माओवादियों के कम से कम आठ मॉड्यूल को ध्वस्त किया गया है तथा माओवादियों को कथित रूप से दवाइयां, विस्फोटक, हथियार एवं जरूरी वस्तुओं की आपूर्ति करने में शामिल व्यापारियों, पुलिसकर्मियों एवं स्थानीय लोगों समेत 38 लोग गिरफ्तार किये गये।’

लॉकडाउन से चरमराई माओवादियों की व्यवस्था
सुंदरराज ने कहा कि ये मॉड्यूल मुख्य रूप से उत्तर और दक्षिण बस्तर में सक्रिय थीं। उनके अनुसार कोरोना वायरस के चलते (2020 और 2021 में लगाये गये) लॉकडाउन के दौरान जब माओवादियों की आपूर्ति श्रृंखला चरमरा गयी तब उनके कुछ प्रमुख मॉड्यूल ने उनकी जरूरतें पूरा करने की कोशिश की और वे पुलिस की निगाहों में आ गये।

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