खराब सड़क से आमजन परेशान, जिम्मेदार बेखर

राजेन्द्र देवांगन
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खराब सड़क से आमजन परेशान, जिम्मेदार बेखर

जांजगीर चांपा जिले के अकलतरा नगर में रहने वाले लोगों को यदि कोई समस्या सबसे ज्यादा सता रही है तो वो है सड़क की समस्या । अकलतरा की सड़क आज इतनी बदतर स्थिति में है कि कुछ लोग इस पर चुटकुले बना रहे हैं तो कुछ सामाजिक संगठन इसके लिए सड़क की लड़ाई लड़ने के लिए भी तैयार हैं सड़क की इस बदतर हालत के लिए रात और दिन चलने वाली दैत्याकार कोयले की गाडियों के अलावा राइस मिलर्स द्वारा चलाए जा रहे भारी वाहन भी जिम्मेदार है जिसके लिए खुद शासन और प्रशासन जिम्मेदार है । लगभग चार माह पूर्व अकलतरा के सिंघानिया पेट्रोल पंप के सामने हुए एक हादसे के बाद कुछ स्कूली छात्र छात्राओं ने अकलतरा विधायक सौरभ सिंह , तहसीलदार अकलतरा तथा अकलतरा पुलिस को ज्ञापन सौंपा था कि दिन को चलने वाले भारी वाहनों को स्कूल समय पर चलने से प्रतिबंधित किया जाये ।

इस ज्ञापन को दिया गया था लेकिन “ढाक के वही तीन पात” कहते हुए स्थिति यथावत है । सच कहे तो आज अकलतरा में हो रहे हादसों और उसके बावजूद शासन और प्रशासन में कोई हलचल , कोई चिंता- मनन जैसी चीजें न देखकर प्रकृति के सुकुमार कवि सुमित्रानंदन पन्त जी की कविता ” परिवर्तन ” याद आती है जिसमें कवि लिखते हैं कि प्रकृति सतत चलायमान है किसी के घर जन्म का उत्सव बनाया जा रहा होता है तो किसी के घर मृत्यु का शोक मनाया जा रहा होता है और प्रकृति अपनी गति से आगे बढ़ रही होती है लेकिन हम एक लोक कल्याणकारी राज्य में निवास करते हैं जहां कुछ अस्वाभाविक मौतों पर शासन को क्यो , कैसे और निदान पर सोचना चाहिए ।

नगर में हो रहे हादसे स्वाभाविक नहीं थे कारण सबको पता है और निदान भी सबको मालूम है परंतु इस निदान यानि बायपास रोड के निर्माण की तकनीकी दिक्कतें हैं जिसे जनता नहीं जानती और जानना भी नहीं चाहती उसे समाधान चाहिए । अगर आम जनता को आम सुविधाओं के लिए अपने काम छोड़कर सड़क पर आना पड़े तो यह प्रजातंत्र और लोककल्याणकारी राज्य की अवधारणा के खिलाफ है साथ ही जनप्रतिनिधि से तंत्रप्रतिनिधी बने नेताओं के लिए भी खतरे की घंटी है । आज अकलतरा नगर वासी दोहरे दुख से जुझ रहे हैं । अकलतरा में चल रही दैत्याकार वाहन से लोगों को खतरा , उन वाहनों से उड़ती धूल से फेफड़ों की बीमारियां और उस पर भी सड़कों पर बड़े-बड़े गड्ढे जो अकलतरा की चाल और गति बिगाड़ रहे हैं ।

ऐसा लिखना तो नहीं चाहिए परंतु ये बात स्वाभाविक रूप से दिमाग में आती है । भारत के बड़े उद्योगपति साइरस मिस्त्री की सड़क दूर्घटना ने भारत की सड़को और भारत में बन रही मंहगी गाड़ियों और उस पर बड़े-बड़े सुरक्षा-दावो की पोल खुल गई है । अब सड़क की गुणवत्ता और मंहगी गाड़ियों में खामी खोजी जा रही है और इनकी गुणवत्ता सुनिश्चित करने की बात की जा रही है क्या अकलतरा नगर भी इसी राह पर है क्योंकि अब तक अकलतरा नगर में हुए हादसों को गैर इरादतन हत्या , मुआवजा और आपसी समझौता जैसे शब्दों से सुलझा लिया गया है लेकिन इसका ठोस समाधान गुणवत्ता पूर्ण सड़क और बायपास रोड कभी भी समझौते की शर्त नहीं रही है क्योकि अब तक इन हादसों में जान गंवाने वाले लोग आम आदमी थे । शासन को अब यह बात अच्छी तरह समझना होगा कि आम जनता के गुस्से का लावा उसके अंदर ही उबल रहा है और यदि ऐसे हादसे और हुए तो शासन को अपनी खैर मनानी पड़ जायेगी ।

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